जिग-जैग तकनीक से प्रदूषण पर लगाम लगाने वाला पहला राज्य बनेगा हरियाणा
- प्रदेश में जल्द लागू होगी नई नीति
- प्रदेश में 2947 र्इंट भट्ठों पर कार्यरत हैं हजारों मजदूर
चंडीगढ़(अनिल कक्कड़)। प्रदेश के खाद्य एवं आपूर्ति राज्य मंत्री कर्ण देव कंबोज ने कहा है कि सरकार र्इंट भट्ठों से निकलने वाले प्रदूषण पर काफी गंभीर है। लगभग 2 वर्ष से चल रही स्टडी के बाद सरकार ने इस प्रदूषण पर कंट्रोल करने के लिए नई नीति का निर्माण किया है। जिसके तहत प्रदेश में सभी र्इंट भट्ठे प्रदूषण मुक्त होकर ज्यादा प्रॉडक्शन करेंगे। वीरवार को वे यहां सच कहूँ से विशेष बातचीत कर रहे थे।
कर्णदेव कंबोज ने बताया कि प्रदेश में इस समय 2947 र्इंट भट्ठे हैं, जहां हजारों लोग काम करते हैं। इन भट्ठों से निकलने वाले प्रदूषण से जहां वहां काम करने वाले लोगों को बीमारियां घेर रही थीं, वहीं आसपास के क्षेत्र के लोगों के लिए भी ये बड़ी समस्या थे। उन्होंने कहा कि पूर्व की सरकारों ने इस समस्या पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया। लेकिन भाजपा के सत्ता में आने के बाद से इस समस्या से निजात के लिए स्टडी शुरू कर दी गई थी।
रुड़की लैब ने सुझाई तकनीक
कंबोज ने बताया कि काफी स्टडी एवं र्इंट भट्ठा संचालकों से विचार-विमर्श करने एवं रुड़की (हरिद्वार) की एक लैब के वैज्ञानिकों द्वारा सुझाई गई जिग-जैग तकनीक को सरकार ने इंप्लीमेंट करने का प्लॉन किया है। कंबोज ने बताया कि यह तकनीक अपनाने वाला हरियाणा देश का पहला राज्य होगा।
हर भट्ठे पर 22 लाख रुपए आएगा खर्च
प्रत्येक र्इंट भट्ठा संचालक को इस तकनीक को इंस्टाल करवाने में करीबन 22 लाख रुपए प्रति भट्ठा खर्चा होगा। कंबोज ने बताया कि हालांकि इस पर एक बारगी तो खर्च ज्यादा लग रहा है लेकिन इस तकनीक के बाद भट्ठे की प्रॉडक्शन काफी बढ़ जाएगी। जहां ईंटों की क्वालिटी नंबर 1 की रहेगी वहीं 90 फीसदी र्इंटें तैयार होंगी। जोकि पहले 65-70 फीसदी होता था।
टायर, बोरियां एवं अन्य पदार्थ जलाने से हो रहा था प्रदूषण
कंबोज ने बताया उन्हें शिकायत मिली थी कि कि कई र्इंट भट्ठों पर टायर, बोरियां, लकड़ी इत्यादि जला कर र्इंटों का निर्माण किया जा रहा है जिससे प्रदूषण की मात्रा काफी बढ़ जाती थी। उन्होंने कहा कि इस जिग-जैग तकनीक से न केवल इन ज्यादा प्रदूषण वाले ज्वलनशील पदार्थांे के उपयोग से राहत मिलेगी वहीं काले प्रदूषित धुएं की जगह बहुत ही कम मात्रा में सफेद धुआं चिमनी से निकलेगा।
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