सरसा। पूज्य हजूर पिता संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां फरमाते हैं कि मालिक की रहमत, उसकी कृपा-दृष्टि हर समय, हर पल मूसलाधार बरसती है, जैसा किसी का बर्तन होता है, वैसे ही उसमें समा जाती है। जैसी किसी की श्रद्धा, भावना होती है, वैसा ही रहमो-कर्म उसकी झोली में आता है।
पूज्य गुरु जी फरमाते हैं कि कहीं भी बरसात हो रही हो, उसमें बाकी सभी अपने-अपने घड़े भर लेते हैं, लेकिन बीच में कोई अपना घड़ा ओंधे मुंह यानी उलटा रख दे तो वह खाली रह जाता है। उसी तरह मालिक का रहमो-कर्म मूसलाधार हर जगह बरस रहा है। आगे इन्सान की सोच है, श्रद्धा या यकीन पर निर्भर करता है, क्योंकि मालिक के सामने नाटकबाजी नहीं चलती। यह नहीं होता कि बाहर से आप कुछ नजर आएं, और कुछ और ही करते फिरें। मालिक को हर पल, हर जगह मालूम है कि आप क्या कर रहे हैं। इसलिए गलत कर्म न करो। मालिक के मुरीद बनना है तो नेकी-भलाई करो और सबका भला मांगो। भला करते हुए आगे बढ़ोगे तो जरूर मालिक का रहमो-कर्म बरसेगा।
पूज्य गुरु जी फरमाते हैं कि इन्सान मालिक की रहमत को एक बार हासिल कर ले तो उसे बेइन्तहां खुशियां मिलती हैं। गम, दुख, दर्द, चिंता, परेशानियां मिट जाती हैं। इसलिए आप वचनों पर रहते हुए सुमिरन किया करो ताकि जो भी कांटे आपकी राहों में आते हैं, वो मखमल बन जाएं। आप नियम बनाकर सुबह-शाम लगातार नाम का सुमिरन करो। जिस तरह आप हर रोज खाना खाते हो, चाय, दूध, पानी लेते हो, उसी तरह परमात्मा का नाम भी लेना शुरु करो। जैसे आप खाने-पीने के बिना नहीं रहते, उसी तरह सारी उम्र के लिए आप सोच लें कि मैं सुमिरन के बिना भी नहीं रहूंगा। तो हो सकता है कि कुछ दिनों में नजारे मिलने शुरु हो जाएं या हाथों-हाथ नजारे मिल जाएं।
अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और Twitter पर फॉलो करें।