Source of inspiration: हंसराज पुत्र श्री जीवन राम गांव कोटली, जिला सरसा ने बताया कि मेरे बापू श्री जीवन राम जी अक्सर ही डेरा सच्चा सौदा सरसा में जाया करते थे। सन् 1959 की बात है कि वह पूजनीय शहनशाह मस्ताना जी महाराज के दर्शन करने के लिए डेरा सच्चा सौदा सरसा में आ गए। उन्होंने अगले दिन ही अपने घर वापिस लौटना था। उस दिन, रात के समय मजलिस थी। जब आप जी मजलिस की समाप्ति के बाद तेरावास में जाने लगे तो मेरे बापू जी ने आप जी के चरणों में अर्ज कर दी कि सांई जी! मैने पहली बस से घर जाना है। Shah Satnam Ji
मुझे जरूरी काम है। आप जी कुछ पल रूककर बोले, ‘‘पुट्टर बस पर नहीं जाना। तूने भैंस लेकर जाना है। एक सेवादार को साथ ले जा। वह तेरे साथ भैंस तेरे घर पहुुंचा देगा।’’ शहनशाह जी ने आगे फरमाया, ‘‘भैंस तुम्हें तंग न करे। इसलिए दो आदमी साथ ले जाना।’’ दो आदमी साथ जाने के लिए तैयार हो गए। मेरे बापू जी के मन में ख्याल आया कि जब दो आदमी भैंस के साथ जा रहे हैं तो मैंने साथ जाकर क्या करना है। Shah Satnam Ji
फिर मेरा बापू भैंस लेकर उन दोनों के साथ चल पड़ा | Shah Satnam Ji
मेरे बापू ने सेवादार को यह कह दिया कि तुम भैंस लेकर आ जाना और खुद बस पकड़ने के लिए बस स्टैंड की तरफ चल पड़े। जब पूजनीय शहनशाह मस्ताना जी महाराज को इस बात को पता चला तो उन्होंने मेरे बापू के पीछे एक आदमी भेजकर उन्हें वापिस बुला लिया। सतगुरू जी ने मेरे बापू जी को हुक्म फरमाया,‘‘हमनें तुम्हें बोला है, चौधरी बस पर नहीं जाना। भैंस के साथ जाना है।’’ फिर मेरा बापू भैंस लेकर उन दोनों के साथ चल पड़ा। Shah Satnam Ji
वे तीनों भैंस लेकर जब सिकंदरपुर के बराबर पहुंचे तो वही हिसार जाने वाली बस हमसे थोड़ा पीछे दुर्घटनाग्रस्त हो गई। बस का बजरी से भरे ट्रक के साथ भयानक हादसा हो गया। कई लोग मौके पर ही मर गए। जानमाल का अत्यंत नुक्सान हुआ। इस प्रकार सच्चे सतगुरू जी ने अपने वचनों के द्वारा मेरे बापू को बस पर चढ़ने से रोका तथा उनकी जान बचाई। Shah Satnam Ji
Shah Mastana Ji: अपने भक्त की सुनीं पुकार, बख्शी ‘खुशियाँ बेशुमार’!