सरसा। पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां फरमाते हैं कि जब बच्चा पांच-छह साल का हो जाता है तो उसकी परवरिश कैसे की जाती है? इस उम्र में बच्चा अनजान नहीं होता बल्कि उसे पूरी समझ होती है। ये कलियुग का दौर है, आज के समय पांच-छ: साल का बच्चा ही लगभग-लगभग पूरी समझ रखने लग जाता है। इस दौर में बच्चों की सोचने-समझने की कैचिंग पॉवर बहुत ज्यादा होती है। इसलिए इस टाईम पीरियड में अपने बच्चों को अच्छे संस्कार दें, ताकि वो बड़ा होकर नेक इंसान बने और आपका नाम रोशन करे। बच्चा जब 5-6 साल का हो जाता है तो इस उम्र में हो सके तो बच्चों के सोने का कमरा अलग से हो। माता-पिता को बच्चों के सामने कभी भी झूठ नहीं बोलना चाहिए और न ही बच्चों के सामने कभी लड़ाई-झगड़ा व गाली-गलौच करें।
पूज्य गुरुजी फरमाते हैं कि बच्चे के साथ दोस्त मित्र जैसा व्यवहार करो ताकि अगर कोई उसका गलत इस्तेमाल करे या कोई गलत हरकत करे तो वह आपको बता सके। इस उम्र में माता-पिता को अपने बच्चों का ज्यादा ख्याल रखना चाहिए। जैसे पुराने समय में लकड़ी की फट्टी (तख्ती) पर मुल्तानी मिट्टी की लीपापोती कर पोच करते थे। वैसी ही बाल्यवस्था के इस दौर में बच्चा फट्टी की भांति बिल्कुल तैयार होता है जैसे फट्टी (तख्ती) पर कलम से जैसे अक्षर लिखोगे वैसे ही अक्षर बनते चले जाते हैं। इसी तरह बच्चे को भी इस आयु में आप जैसे संस्कार देंगे, उसकी पूरी लाईफ उसी सांचे में ढल जाएगी। इसलिए सोच समझकर कलम चलानी चाहिए। आप जी फरमाते हैं कि अपने बच्चों को इंसानियत की, धर्मों की, शूरवीरता की शिक्षा दें, उसे डराना-धमकाना नहीं चाहिए। बच्चों को खेल के अंदाज में पढ़ाएं ताकि उसे पढ़ाई बोझ ना लगे।
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