सेवा-सुमिरन करते हुए सबका भला मांगो

Pray for the good of all while serving and meditating
सरसा। पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां फरमाते हैं कि इन्सान सुख-शांति, परमानंद चाहता है। हर इन्सान की इच्छा होती है, उसे सुख मिले, असीम शांति मिले, परमानंद मिले, जीवन बहार की तरह गुजरे, कोई कमी न रहे। पूज्य गुरु जी फरमाते हैं कि इन्सान जितनी मर्जी इच्छाएं रख सकता है, लेकिन जब इच्छाएं बढ़ती जाती हैं तो उनका मक्कड़जाल इन्सान को घेर लेता है, जो इन्सान को बर्बाद करने लगता है। इसलिए सुमिरन करो, सेवा करो, दीन-दुखियों की मदद करो, सबका भला मांगो व भला करो। सबसे बेगर्ज, नि:स्वार्थ भावना से प्यार करो, किसी का दिल न दु:खाओ।
पूज्य गुरु जी फरमाते हैं कि सेवा सुमिरन करते हुए रुहानियत व इन्सानियत के रास्ते पर आगे बढ़ते जाओ तो मालिक अंदर बाहर किसी तरह की कोई कमी नहीं छोड़ता। पूज्य गुरु जी फरमाते हैं कि अल्लाह, वाहेगुरू, भगवान, खुदा, रब्ब एक ही ताकत है, एक ही शक्ति है, जो एक होते हुए भी दोनों जहानों की खबर रखता है। सारी त्रिलोकी, इन्सान, पेड़-पौधे, जीव-जंतु, बहुत-सी जोनिया हैं, जो असंख्य हैं। ये तो एक त्रिलोकी की बात है, ऐसी सैकड़ों त्रिलोकियां हैं, ये हमारे धर्मों में लिखा है। अगला जहान जहां आत्माएं वास करती हैं, वहां उनकी सजा का, खुशी का, स्वर्ग-नर्क का, सारा सिस्टम है।
आप जी फरमाते हैं कि कितनी हैरानी है कि एक ही सबको देख रहा है और वो एक ही सबके अंदर मौजूद है। कमाल है उस अल्लाह, वाहेगुरू, भगवान, रब्ब का। पूज्य गुरु जी फरमाते हैं कि जिस प्रकार पानी को जल, आब, नीरू, वाशर कहने से उसका स्वाद नहीं बदलता, ठीक उसी प्रकार उस सुप्रीम पावर को अल्लाह, वाहेगुरु, भगवान, खुदा, रब्ब, प्रभु, परमात्मा कितने भी नाम दे दो, वो एक था, एक है और हमेशा एक ही रहेगा। और वो ही एक ऐसी शक्ति है जो इन्सान को तमाम खुशियां देती है। इसलिए उसका सुमिरन करो, भक्ति इबादत करो ताकि उसकी खुशियों से आप लबरेज हो सको, अंदर, बाहर मालिक रहमो-कर्म से मालामाल करे।

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