सालाना 20 लाख रुपये मुनाफा कमाते हैं प्रहलाद सिंह
- किसानों के लिए प्रेरणा का बड़ा स्रोत बने हैं प्रहलाद सिंह
गुरुग्राम (सच कहूँ/संजय कुमार मेहरा)। Agriculture News: इन दिनों देश में लखपति दीदीयां ज्यादा चर्चा में हैं। उनके द्वारा आत्मनिर्भर बनने की कहानियों को खूब प्रचारित, प्रसारित किया जा रहा है। हम यहां उस किसान को सबके सामने ला रहे हैं, जो पारंपरिक खेती को त्यागकर मशरूम की खेती करके लखपति बन गए हैं।
आपको बता दें कि मशरूम उत्पादन से गुरुग्राम के गांव डाबोदा के किसान प्रहलाद सिंह सालाना 20 लाख रुपये मुनाफा कमाते हैं। वे किसानों के लिए प्रेरणा का बड़ा स्रोत बने हुए हैं। किसान आधुनिक होगा और व्यवसायिक खेती की ओर अग्रसर होगा तो किसान की आय दोगुनी होने के साथ-साथ क्षेत्र में कृषि व बागवानी का चेहरा भी बदलेगा। यह बात गुरुग्राम के डाबोधा में रहने वाले किसान प्रहलाद सिंह ने सही साबित की है। प्रहलाद सिंह पहले परंपरागत खेती के रूप में बाजरा और गेहूं का उत्पादन कर रहे थे। जिसमें आमदनी ना के बराबर हो रही थी। Agriculture News
खर्चा अधिक और उत्पादन कम होने से मुनाफा भी घटता जा रहा था। ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा आय दुगनी करने और आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करते हुए व्यवसायिक खेती करने पर जोर देने के विचारों से प्रेरणा ली। तत्पश्चात जिला बागवानी अधिकारी नेहा यादव से जानकारी लेकर विभाग की योजनाओं का लाभ लेकर मशरूम प्रोडक्शन यूनिट लगाने का प्लान किया।
करीब 8 कनाल क्षेत्र में सेटअप किया तैयार | Agriculture News
प्रहलाद सिंह बताते हैं कि मशरूम उत्पादन के लिए उन्होंने करीब 8 कनाल क्षेत्र में पूरा सेटअप तैयार किया है। जिसमें मशरूम कपोस्ट व प्रोडक्शन यूनिट स्थापित करने में करीब 40 लाख रुपये की लागत आई है। जिला बागवानी विभाग द्वारा उसे 40 प्रतिशत की सब्सिडी दी गयी है। बाकी राशि के लिए उसने बैंक से लोन लिया है। किसान प्रहलाद सिंह ने बताया कि उसने सरकारी मदद से कपोस्ट यूनिट व चार प्रोडक्शन यूनिट स्थापित की है। जिसमें प्रत्येक प्रोडक्शन यूनिट में 90 दिन का प्रोडक्शन सर्कल चलता है।
उन्होंने बताया कि एक यूनिट से करीब 38 से 40 क्विंटल मशरूम उत्पादित किया जा रहा है। मार्किट में मशरूम का थोक भाव 140 से 150 रुपये किलो के करीब है। जिससे पूरे साल में चारों यूनिट से सभी खर्चों को घटाकर शुद्ध मुनाफे के रूप में 20 से 22 लाख रुपये की आमदनी हो रही है। प्रहलाद सिंह ने बताया कि क्षेत्र में अधिकांश होलसेलर फार्म पर आकर ही मशरूम ले जा रहे हैं। इससे उन्हें बाजार में जाने की आवश्यकता भी नही है। उन्होंने बताया कि वे अभी गुरुग्राम व एनसीआर में अन्य बड़े फूड संस्थानों में डायरेक्ट डील के लिए प्रयासरत हैं।
यूनिट लगाने पर 40 से 85% तक की अनुदान राशि | Agriculture News
किसानों को सिर्फ सकारात्मक प्रयास करने की जरूरत है। बागवानी विभाग उनकी हर संभव मदद को तैयार है। जिला में उद्यान विभाग हरियाणा द्वारा विभागीय स्कीम के तहत मशरूम कंपोस्ट व एक मशरूम प्रोडक्शन यूनिट की अधिकतम यूनिट कोस्ट 20 लाख निर्धारित की गई है। जिसमें जनरल कैटेगरी में 40 प्रतिशत व अनुसूचित जाति श्रेणी में 85 प्रतिशत राशि अनुदान स्वरूप दी जाएगी।
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