अर्थव्यवस्था के लिए बिजली आपूर्ति बेहद जरूरी

Electricity Bills

देश में यदि बिजली संकट गहराएगा तो अर्थव्यवस्था को गहरी चोट लगेगी। कोरोना महामारी से प्रभावित देश की अर्थव्यवस्था तेजी से पटरी पर लौट रही है। इसके लिए बिजली की आपूर्ति का सुचारू बने रहना बेहद आवश्यक है। सरकारी कंपनी गेल और निजी कंपनी टाटा के गैस व कोयले की कमी से बिजली आपूर्ति बाधित होने के संदेश के चलते आने वाले वक्त में बिजली संकट होने की आशंका व्याप्त हुई है। दुनियाभर में बिजली संकट की समस्या यूरोप में नेचुरल गैस के उत्पादन में कमी, कोरोना के दौरान कोयले के उत्पादन की सुस्त रफ्तार, पिछले 18 महीने में जीवाश्म ईंधन को निकालने की दिशा में बहुत कम काम, चक्रवाती तूफानों के चलते खाड़ी देशों की कुछ तेल रिफाइनरी का बंद होना, रूसी गैस निर्यात में गिरावट, चीन और आॅस्ट्रेलिया के तनावपूर्ण संबंध व समुद्र में कम हवा चलने के कारण पैदा हुई है।

संकट का एक पहलू यह है कि दुनिया में कोयले के दामों में चालीस फीसदी की तेजी है। सरकार भी आयात कम करना चाहती है। हालिया आयात पिछले दो सालों में सबसे कम है। हालांकि, भारत दुनिया में कोयले का चौथा बड़ा उत्पादक है, मगर खपत ज्यादा होने के कारण आयात करने वाले देशों में दूसरे नंबर पर है। अत: बिजली संयंत्र देश के कोयले पर निर्भर हो गये हैं। देश में कोयला संकट की आहट से सरकार से लेकर आम आदमी तक के माथे पर चिंता की लकीरें हैं। भारत ही नहीं चीन, अमेरिका, यूरोपीय यूनियन, रूस, लेबनान आदि देश पहले से ही ऊर्जा संकट का सामना कर रहे हैं। लेबनान अंधेरे में डूबा है। चीन की बढ़ती ऊर्जा भूख ने आपूर्ति तंत्र में असंतुलन पैदा कर दिया है। कई राज्य कोयला कमी से पैदा होने वाले बिजली संकट को लेकर चिंतित हैं।

कुछ ने तो बिजली कटौती शुरू कर दी है और बिजली का उपयोग संयम से करने की अपील की गई है। इस संकट का त्योहारी सीजन में जहां अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है, वहीं महंगी बिजली का असर फिर उपभोक्ताओं की जेब पर भी पड़ सकता है जो परोक्ष रूप से महंगाई बढ़ने का जरिया भी बन सकता है। दरअसल, खुलती अर्थव्यवस्था में बिजली की मांग में अचानक तेजी आई है, जो वर्ष 2019 के मुकाबले सत्रह फीसदी से भी अधिक है। पहले से महंगाई का दंश झेल रही जनता की परेशानियां बढ़ सकती हैं। बहरहाल, भारत को कोयले पर निर्भरता कम करने तथा ग्रीन ऊर्जा को विकल्प के तौर पर इस्तेमाल करने के लिये दीर्घकालीन रणनीति बनानी होगी।

 

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