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किसानों के अरमानों पर फिरा पानी
चोपटा। (सच कहूँ/भगत सिंह) राजस्थान की सीमा से सटे चोपटा खंड के गांवों में हुई जोरदार बारिश से सावनी की फसल को होने का अंदेशा हो गया है। जमीन में पानी खड़ा होने से नरमे की फसल पूरी तरह से नष्ट होने के कारण किसानों के अरमानों पर पानी फिर गया है। किसानों का कहना है कि ज्यादा बारिश फसलों के लिए नुक्सानदक है। चोपटा खंड में करीब 68000 हेक्टेयर जमीन में खेती की जाती है जिसमें से 10000 हेक्टेयर जमीन सेम के चपेट में है। उसमें करीब 20 वर्ष से एक दाना भी नहीं होता है। इसके अलावा करीब 52500 हेक्टेयर जमीन में इस बार 39700 हेक्टेयर में नरमे की फसल, 4500 हेक्टेयर में धान, 1990 हेक्टेयर में बाजरा, 110 हेक्टेयर में मक्का, 14800 हेक्टेयर में ग्वार और 1500 हेक्टेयर में हरे चारे व अन्य फसलों की बिजाई की गई है।
क्षेत्र के कुम्हारिया, कागदाना, खेड़ी, गुसाईंयाना, गिगोरानी, शाहपुरिया, नाथूसरी कला, शक्कर मंदोरी, माखोसरानी, कैरावली, रुपाणा गंजा, मोची वाली सहित कई गांवों में पिछले तीन दिनों से लगातार जोरदार बारिश हो रही है। खेतों में खड़ी फसलों में पानी खड़ा हो गया है। ग्वार व बाजरे की फसल पूरी तरह से जमीन पर बिछ गई है।
‘‘सावनी की फसल में सामान्य बारिश से आम तौर पर तो फायदा ही होता है, लेकिन इस बार ज्यादा बारिश होने से फसलों में पानी खड़ा रहने से नरमा, कपास, ग्वार व बाजरे इत्यादि फसलें पूरी तरह से खराब हो गई है। जिससे उत्पादन नगण्य गया है। इस बार शुरूआत में फसल अच्छी दिखाई दे रही थी। कड़ी मेहनत और खर्च के बावजूद भी जब पकने के कगार पर आई तो फसल चौपट हो गई। उनके तो अरमानों पर ही पानी फिर गया ।
सरकार को खराब हुई फसलों की जल्द से जल्द गिरदावरी करवाकर मुआवजा देना चाहिए।
-किसान कृष्ण कुमार।
‘‘पिछले तीन-चार दिनों से हो रही लगातार बारिश से चोपटा खंड में सावनी की फसल को काफी नुकसान हुआ है। इस बार खंड में 62500 हेक्टेयर में नरमा, कपास, ग्वार, बाजरा, मूंगफली, मक्का, धान इत्यादि की बिजाई की गई है। ज्यादा नुकसान फसलों में पानी खड़ा रहने से हो रहा है इसके अलावा कई स्थानों पर फसलें जमीन पर भी बिछ गई है।
-शलेंदर सिंह, कृषि विकास अधिकारी।
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