नई दिल्ली (सच कहूँ न्यूज)। Pooja Khedkar News: संघ लोक सेवा आयोग ने विवादों में घिरी प्रशिक्षु आईएएस अधिकारी पूजा मनोरमा दिलीप खेडकर की अस्थायी उम्मीदवारी रद्द कर दी है और उन्हें भविष्य की सभी परीक्षाओं अथवा चयनों से स्थायी रूप से प्रतिबंधित कर दिया। आयोग ने बुधवार को बताया कि उपलब्ध दस्तावेजों की जांच के बाद सुश्री खेडकर को सिविल सेवा परीक्षा सीएसई-2022 नियमों के उल्लंघन का दोषी पाया गया है। आयोग ने वर्ष 2009 से 2023 तक पंद्रह हजार से अधिक अनुशंसित उम्मीदवारों के 15 वर्षों के आंकडों की भी समीक्षा की है। आयोग ने सुश्री खेडकर को धोखाधड़ी से लाभ लेने के लिए 18 जुलाई को एक कारण बताओ नोटिस जारी किया था। सुश्री खेडकर को 25 जुलाई तक नोटिस का जवाब देना था हालांकि उन्होंने इसके लिए 04 अगस्त तक का समय देने का अनुरोध किया था जिससे कि वह आवश्यक दस्तावेज जुटा सके। Pooja Khedkar News
आयोग ने कहा कि सुश्री खेडकर के अनुरोध पर सावधानीपूर्वक विचार किया गया और न्याय के नजरिए से उन्हें 30 जुलाई दोपहर साढे तीन बजे तक का समय दिया गया ताकि वह जवाब दे सकें। समय सीमा बढ़ाए जाने के बावजूद वह निर्धारित समय के भीतर अपना स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने में विफल रहीं। आयोग ने उपलब्ध दस्तावेजों की सावधानीपूर्वक जांच की और उन्हें नियमों के प्रावधानों के उल्लंघन का दोषी पाया। इस परीक्षा के लिए उनकी अस्थायी उम्मीदवारी रद्द कर दी गई है और उन्हें आयोग की सभी परीक्षाओं अथवा चयनों से स्थायी रूप से वंचित कर दिया गया है। Pooja Khedkar News
सुश्री खेडकर के मामले की जांच के सिलसिले में आयोग ने वर्ष 2009 से 2023 तक यानी 15 वर्षों तक सीएसई के 15,000 से अधिक अंतिम रूप से अनुशंसित उम्मीदवारों के उपलब्ध आंकड़ों की गहन जांच की है। किसी अन्य उम्मीदवार को सीएसई नियमों के तहत अनुमति से अधिक संख्या में प्रयासों का लाभ उठाने का दोषी नहीं पाया गया है। सुश्री खेडकर के मामले में आयोग की मानक संचालन प्रक्रिया मुख्य रूप से इस तथ्य के कारण उनके प्रयासों की संख्या का पता नहीं लगा सकी क्योंकि उन्होंने न केवल अपना नाम बल्कि अपने माता-पिता का नाम भी बदल लिया था। आयोग अपनी प्रक्रिया को मजबूत करेगा जिससे कि भविष्य में ऐसा मामला दोबारा न हो। Pooja Khedkar News
आयोग ने कहा कि जहां तक झूठे प्रमाणपत्र (विशेष रूप से ओबीसी और पीडब्ल्यूबीडी श्रेणियां) जमा करने के संबंध में शिकायतों का सवाल है आयोग स्पष्ट करना चाहता है कि वह केवल प्रमाणपत्रों की प्रारंभिक जांच करता है। क्या प्रमाण पत्र सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी किया गया है, प्रमाण पत्र किस वर्ष से संबंधित है, प्रमाण पत्र जारी करने की तारीख, क्या प्रमाण पत्र पर कोई ओवरराइटिंग है, प्रमाण पत्र का प्रारूप आदि। आम तौर पर, प्रमाण पत्र को असली माना जाता है, यदि यह सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी किया गया है। आयोग के पास हर साल उम्मीदवारों द्वारा जमा किए गए हजारों प्रमाणपत्रों की सत्यता की जांच करने का न तो अधिकार है और न ही साधन। हालाँकि, यह समझा जाता है कि प्रमाणपत्रों की वास्तविकता की जाँच और सत्यापन कार्य के सक्षम और अधिकृत अधिकारियों द्वारा किया जाता है।
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