एनजीटी ने कहा- प्रदूषण रोकने के लिए कदम उठाने की बजाय बहाना बनाते रहे अधिकारी
दिल्ली सरकार जुर्माना नहीं दे पाई तो हर महीने 10 करोड़ रुपए फाइन भरना होगा: एनजीटी
नई दिल्ली।
प्रदूषण की समस्या सुलझाने में नाकाम रहने पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने दिल्ली सरकार पर 25 करोड़ रुपए जुर्माना लगाया है। एनजीटी ने सोमवार को आदेश दिया कि यह जुर्माना दिल्ली सरकार के अधिकारियों के वेतन और प्रदूषण फैलाने वालों से वसूला जाए। ट्रिब्यूनल ने यह भी कहा कि अगर सरकार जुर्माना चुकाने में नाकाम रहती है तो उसे हर महीने 10 करोड़ रुपए फाइन भरना होगा। एनजीटी ने सतीश कुमार, महावीर सिंह की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह फैसला दिया। याचिका में कहा गया था कि प्लास्टिक, चमड़ा, रबड़, मोटर इंजन ऑयल जलने और खेतीवाली जमीन पर अवैध कारखानों के संचालित होने की वजह से प्रदूषण फैल रहा है।
लाचारगी जाहिर करते रहे अधिकारी- एनजीटी
एनजीटी अध्यक्ष आदर्श कुमार की बेंच ने कहा- शहर में वायु प्रदूषण को काबू करने में नाकाम रहने पर दिल्ली सरकार केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को जुर्माना दे। प्राधिकरण के स्पष्ट आदेशों के बावजूद इन्हें पूरा करने के लिए शायद ही कोई कदम उठाया गया। अधिकारियों की नाक के नीचे कानून तोड़ा जाता रहा और लगातार प्रदूषण बढ़ता रहा। अधिकारियों ने लाचारगी जाहिर करने और बहानेबाजी करने के अलावा कोई मजबूत कदम नहीं उठाया। आम आदमी पार्टी सरकार इस संबंध में परफॉर्मेंस गारंटी रिपोर्ट दाखिल करे, ताकि जुर्माने के संबंध में आगे कोई कोताही ना बरती जाए।
प्रदूषण हमेशा दिल्ली तक सीमित कर दिया जाता है- आप
आप नेता अतिशी ने कहा- वायु प्रदूषण के मुद्दे पर हंगामा केवल दिल्ली तक ही सीमित कर दिया जाता है, जबकि नासा की सैटेलाइट तस्वीरोें से जाहिर हो गया है कि देश के दूसरे हिस्सों में भी बड़े पैमाने पर पराली जलाई जाती है। दिल्ली सरकार अपनी तरफ से प्रदूषण करने के लिए कदम उठा रही है। इसीलिए हम ई-व्हीकल और ई-बसें लाने की कोशिश कर रहे हैं।
खराब रही दिल्ली में वायु की गुणवत्ता
दिल्ली में सोमवार को भी वायु की गुणवत्ता बेहद खराब श्रेणी में रही। अधिकारियों का कहना है कि अगले दिन में प्रदूषण और ज्यादा बढ़ेगा। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक, एयर क्वॉलिटी इंडेक्स में पीएम2.5 337 रिकॉर्ड किया गया, जो बेहद खराब श्रेणी में आता है।
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