कर्नाटक विधानसभा चुनाव संपन्न होते ही आरोप-प्रत्यारोप का दौर (Political Instability) समाप्त हो गया है। प्रचार के दौरान नेताओं ने एक-दूसरे पर जमकर लांछन लगाए। कांग्रेस ने 10 वर्षों के बाद पूर्ण बहुमत के साथ जबरदस्त वापिसी की है। इससे पूर्व भाजपा ही सत्ता में थी। यह राज्य राजनीतिक उथल-पुथल के लिए लंबे समय तक चर्चा में रहा है। पांच वर्षों में तीन मुख्यमंत्रियों को बदला गया। वास्तव में राजनीति स्थिरता किसी भी राज्य के विकास के लिए आवश्यक है। जनता ने स्पष्ट बहुमत देकर कांग्रेस को सरकार बनाने के लिए निमंत्रण दे दिया है।
पार्टी के हर कार्यकर्ता की बात को पार्टी हाईकमान तक पहुँचाना मेरी पहली प्राथमिकता-राज सिंह दहिया
दरअसल, राज्य में राजनीतिक अस्थिरता का बड़ा कारण खींचतान भी रहा है। (Political Instability) सत्तापक्ष पार्टी में कई बार गुटबाजी इस स्तर पर बढ़ती रही कि पार्टी को मुख्यमंत्री हटाने तक की नौबत आ गई। पदों से बार-बार हटाने व नियुक्तियां से जनता में अविश्वास की भावना पैदा होती गई। वास्तव में यह बात सत्ताधारी पार्टी पर ही निर्भर करती है कि वे अपने नेता को कैसी राजनीति व संस्कृति की पालना करना सिखाती है। दरअसल, राजनीतिक अस्थिरता को खत्म करने के लिए पार्टियां को इमानदार व अनुभवी नेता का ही चयन करना चाहिए। यह भी अच्छी बात है कि राज्य में एक मजबूत विपक्ष के रूप में भाजपा होगी। विपक्ष के बिना लोकतंत्र की कल्पना नहीं की जा सकती।
बेशक जिम्मेवारी बदल गई, लेकिन सबकी भूमिका महत्वपूर्ण है। सरकार की खामियों को उजागर करना व सकारात्मक विरोध सरकार की भूमिका को और सुदृढ़ बनाता है। सरकार व विपक्ष दोनों ही जनहित के लिए हैं। उम्मीद है कि सरकार व विपक्ष नकारात्मक राजनीति को त्याग पूरी जिम्मेवारी, गंभीरता व वचनबद्धता से कार्य करेंगे। जहां तक राज्य के सांस्कृतिक व राजनीतिक इतिहास का संबंध है, जनता से सभी राजनीतिक विचारधाराओं को स्वीकार किया है। दक्षिणी क्षेत्र की जनता ने कट्टरपंथी से मुक्त होकर कभी कांग्रेस व कभी भाजपा को चुना व राज्य की क्षेत्रीय दलों को भी अवसर दिया। तकनीकी शिक्षा व व्यापार के लिए यह राज्य देश के साथ पूरे विश्व में मिसाल बन चुका है। सिलीकॉन सिटी बेंगलुरू सॉफ्टवेयर निर्यात के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान स्थापित कर चुका है। बेहतर होगा, यदि सभी दल राज्य के विकास के लिए एकजुटता से कार्य करें।