विपक्ष ने उठाए सवाल (Political Ruckus)
नई दिल्ली (एजेंसी)। पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई को सोमवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राज्यसभा के लिए नामित किया। मंगलवार को जस्टिस गोगोई ने इस मामले पर मीडिया से बात की। उन्होंने कहा, ‘संभवत: कल मैं दिल्ली जाऊंगा। पहले मुझे शपथ ले लेने दीजिए। इसके बाद मैं मीडिया से विस्तार में बात करूंगा कि आखिर क्यों मैंने राज्यसभा जाने का प्रस्ताव स्वीकार किया है। जस्टिस गोगोई 13 महीने चीफ जस्टिस रहे। 17 नवंबर 2019 को वे रिटायर हुए। उनके द्वारा सुनाए गए अहम फैसलों में अयोध्या और राफेल विवाद हैं। इससे पहले जस्टिस रंगनाथ मिश्रा भी कांग्रेस से जुड़कर संसद तक पहुंचे थे, जबकि पूर्व सीजेआई पी.सतशिवम को मोदी सरकार ने केरल का राज्यपाल बनाया था।
रंजन गोगोई को राज्यसभा भेजने पर सियासी बवाल
उच्चतम न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई को राज्यसभा के लिए नामित किया गया है। गृह मंत्रालय ने सोमवार को इस आशय की अधिसूचना जारी की। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने संविधान के अनुच्छेद 80 के खंड तीन के तहत प्रदत्त अपने आधिकारों का प्रयोग कर न्यायमूर्ति गोगोई को मनोनीत किया है। इसी को लेकर राजनीति भी शुरू हो गई है। वहीं एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी, कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला समेत कई नेताओं ने राष्ट्रपति के फैसले पर सवाल खड़े किए हैं।
- असदुद्दीन ओवैसी ने इस फैसले को रंजन गोगोई के लिए इनाम बताया है।
- अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा, ‘क्या यह इनाम है?’ लोग न्यायाधीशों की स्वतंत्रता पर यकीन कैसे करेंगे? कई सवाल हैं।
- देश के 46वें मुख्य न्यायाधीश रहे न्यायमूर्ति गोगोई पिछले साल 17 नवंबर को पद से सेवानिवृत्त हुए थे।
- मुख्य न्यायाधीश के रूप में उनका कार्यकाल करीब साढ़े 13 महीने का रहा।
उनकी अगुआई में गत वर्ष नौ नवंबर को पांच न्यायाधीशों की पीठ ने अयोध्या विवाद पर ऐतिहासिक फैसला दिया था। न्यायमूर्ति गोगोई ने वर्ष 2001 में गौहाटी उच्च न्यायालय में न्यायाधीश के तौर पर करियर की शुरूआत की थी। इसके बाद उन्हें 2010 में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया गया था। इस बीच पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा ने लिखा, ‘मुझे आशा है कि रंजन गोगोई की समझ अच्छी है इसलिए वो इस आॅफर को ना कह देंगे। नहीं तो न्याय व्यवस्था को गहरा धक्का लगेगा।
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