राजनीतिक में सिद्धांत टिकता नजर नहीं आ रहा। समय की चाल के साथ-साथ राजनीति में भी माहौल तेजी से बदल रहे हैं। शनिवार के दिन पंजाब कांग्रेस को बड़ा झटका लगा। कांग्रेस के चार पूर्व मंत्री और एक पूर्व विधायक भाजपा में शामिल हो गए। यह पहली बार हुआ जब विधान सभा चुनावों के बाद इतना बड़ा बदलाव हुआ हो। आम तौर पर देखा जाता है कि नेता चुनावों से पहले या नजदीक आकर ही दल बदलते हैं। जब किसी नेता को पार्टी टिकट नहीं देती तो वह दूसरी पार्टी उसे टिकट के लालच में अपनी पार्टी में शामिल करवा लेती है। राजनीति में दल-बदल को बुराई के तौर पर देखा जाता है लेकिन जहां तक पंजाब का सम्बन्ध है इस दलबदल को पंजाब कांग्रेस की लीडरशिप की नाकामी और गलत फैसलों का परिणाम ही माना जा रहा है। इसका ठीकरा पूर्व मुख्यमंत्री चरनजीत सिंह चन्नी के सिर फोड़ा जा रहा है।
दरअसल, विधान सभा चुनाव में कांग्रेस ने लगातार दूसरी जीत दोहराने के लिए जितने बड़े स्तर पर बदलाव किए उनमें पूरी समिति की बजाय चंद नेताओं को ही महत्व दिया गया। पहले चन्नी ने अपनी कैबिनेट में पुराने मंत्रियों को हटाया। उनकी काबलियत और रिकार्ड की जांच करने की बजाय केवल कैप्टन अमरेन्द्र सिंह के समर्थक विधायकों/मंत्रियों को ही दरकिनार किया। कैप्टन के नजदीकी कुछ मंत्री, जिनकी शिकायत का कोई रिकॉर्ड नहीं था उन्हें भी बाहर का रास्ता दिखाया गया।
राणा गुरमीत सिंह सोढी, गुरप्रीत सिंह कांगड़ और बलबीर सिंह सिद्धू के खिलाफ न तो कोई दमदार सार्वजनिक शिकायत थी और न ही विरोधियों के पास कोई मुद्दा था। मंत्री घर बैठ गए और चुनाव हार गए लेकिन मंत्री पद से हटाए जाने का दर्द नहीं भूल सके। चन्नी की गलती का खमियाजा कांग्रेस को भुगतना पड़। यूं भी राज कुमार वेरका को चन्नी कैबिनेट में जगह मिली थी लेकिन वे कैप्टन के नजदीकी होने के बावजूद नवजोत सिद्धू के प्रति नाराजगी की भड़ास दिल में लेकर बैठे रहे और आखिर वे भी भाजपा में शामिल हो गए। उधर, शिरोमणी अकाली दल के पूर्व विधायक स्वरूप चंद सिंगला, जोकि चुनावों से पहले पार्टी से अपना रोष और आपत्ति व्यक्त कर चुके थे, ने भाजपा का दामन थाम लिया।
जहां तक राजनीतिक नफे-नुक्सान का सम्बन्ध है भाजपा के लिए यह मजबूत स्थिति वाली बात है। वहीं, भाजपा ने भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे रहे कांग्रेस के पूर्व मंत्रियों से भी किनारा किया हुआ है। यह बदलाव 2024 की लोक सभा चुनावों और 2027 की विधान सभा चुनावों के लिए भाजपा की बड़ी और मजबूत तैयारी का संदेश है। नाराज नेताओं का यही कहना है कि कांग्रेस हाईकमान ने पंजाब के लिए कई गलत फैसले लिए, जिनमें कैप्टन को हटाकर चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाना भी शामिल है। अब कांग्रेस को मजबूत विपक्ष के तौर पर कायम रहने और आगामी चुनावों की तैयारी के लिए पार्टी के भीतर चल रही हलचलों को निष्पक्ष और खुले मन से समझने की आवश्यकता है।
अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और Twitter, Instagram, LinkedIn , YouTube पर फॉलो करें।