बिहार में राजनीतिक दलों ने महिलाओं को किया नजरअंदाज

Political parties ignore women

बिहार में महिला सशक्तीकरण और राजनीति में उनकी सहभागिता बढ़ाने के लिए बड़े-बड़े दावे करने वाले राजनीतिक दलों ने इस बार लोकसभा चुनाव में उन्हें नजरअंदाज किया है। विधायिका में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण की पुरजोर वकालत करने वाले राजनीतिक दलों ने भी महिलाओं की इस बार कोई सुध नहीं ली और टिकट बंटवारे के समय चुप्पी साध ली। राजनीतिक दल आधी आबादी को बराबरी का दर्जा देने की बात तो कहते हैं लेकिन टिकट देने के समय उन्हें तरजीह नहीं देते हंै। कई बार तो पार्टी निवर्तमान महिला सासंद या विधायक का टिकट काटकर पुरुष प्रत्याशियों को तरजीह देते हैं। बिहार में 2014 के लोकसभा चुनाव में तीन महिला सांसद चुनकर आयीं थी। इनमें शिवहर सीट से भाजपा उम्मीदवार रमा देवी, सुपौल से कांग्रेस की रंजीत रंजन और मुंगेर से लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) की प्रत्याशी वीणा देवी शामिल हैं। पिछले चुनाव में भाजपा, लोजपा और राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) का गठबंधन था। तब भाजपा ने दो महिलाओं को चुनावी समर में उतारा था, जिनमें बांका से पुतुल कुमारी और शिवहर से रमा देवी थीं। वहीं, लोजपा ने मुंगेर से वीणा देवी को उतारा था । रालोसपा ने किसी महिला को प्रत्याशी नहीं बनाया।

राजद ने हालांकि पांच महिलाओं को चुनावी समर में उतारा था लेकिन किसी को सफलता नहीं मिली। राजद की टिकट पर सीवान से बाहुबली नेता मोहम्मद शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शाहब, सारण से राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव की पत्नी और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी, खगड़िया से कृष्णा कुमारी यादव, पाटलिपुत्र से लालू-राबड़ी की पुत्री मीसा भारती और काराकाट से कांति सिंह चुनावी मैदान में थीं। कांग्रेस की टिकट पर सुपौल से रंजीत रंजन, गोपालगंज से डॉ. ज्योति भारती और सासाराम (सुरक्षित) सीट से मीरा कुमार ने चुनाव लड़ा था लेकिन रंजीत रंजन को छोड़कर सभी को पराजय का सामना करना पड़ा। जनता दल यूनाईटेड (जदयू) की टिकट पर आरा से मीना सिंह और उजियारपुर से अश्वमेघ देवी ने चुनाव लड़ा लेकिन दोनों को जीत हासिल नहीं हुयी। राज्य में महिला मतदाताओं की संख्या कुल मतदाताओं में करीब आधी है, इसके बावजूद किसी राजनीतिक दल या गठबंधन ने महिलाओं को राजनीतिक भागीदारी देने में उनके साथ न्याय नहीं किया है। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव की बात की जाए तो सभी पार्टियों द्वारा जारी की गई उम्मीदवारों की सूची में महिलाओं की संख्या निराशाजनक है। किसी भी पार्टी में 10 प्रतिशत महिला उम्मीदवारों को टिकट नहीं मिल सकी है।

इस बार के चुनाव में राजग के महत्वपूर्ण घटक भाजपा ने केवल एक सीट शिवहर से पिछले चुनाव में विजयी रमा देवी को उम्मीदवार बनाया है। बांका से पिछले चुनाव में भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ चुकी पुतुल कुमारी को इस बार पार्टी ने प्रत्याशी नहीं बनाया है। वह इस बार निर्दलीय चुनाव लड़ रही हंै। राजग के एक अन्य घटक जदयू ने इस बार के चुनाव में केवल एक महिला प्रत्याशी को मैदान में उतारा है। सीवान संसदीय सीट से जदयू की टिकट पर दरौंधा की विधायक और बाहुबली अजय सिंह की पत्नी कविता सिंह चुनावी समर में उतरी हैं। राजग में शामिल लोजपा ने भी केवल एक महिला वीणा देवी को उम्मीदवार बनाया है। वीणा देवी गायघाट विधानसभा की पूर्व विधायक और विधान पार्षद दिनेश सिंह की पत्नी हैं। वीणा देवी वैशाली से चुनाव लड़ रही हैं।

राजद की टिकट पर मीसा भारती एक बार फिर पाटलिपुत्र संसदीय सीट से चुनाव लड़ने जा रही हैं, जहां उनका मुकाबला भाजपा उम्मीदवार राम कृपाल यादव से दोबारा होगा। सीवान से हिना शहाब, नवादा से राजबल्लभ यादव की पत्नी श्रीमती विभा देवी को उम्मीदवार बनाया है, जो पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ रही हैं। सासाराम (सुरक्षित) से एक बार फिर कांग्रेस की टिकट पर मीरा कुमार और सुपौल से रंजीत रंजन चुनाव लड़ रही हैं। वहीं, मुंगेर सीट पर कांग्रेस ने बाहुबली विधायक अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी को अपना उम्मीदवार बनाया है। महागठबंधन में शामिल रालोसपा, विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) ने किसी महिला को प्रत्याशी नहीं बनाया है। कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) ने इस बार के लोकसभा चुनाव में जहानाबाद से कुंती देवी को उतारा है। शिवहर सीट से ‘बाहुबली’ नेता एवं पूर्व सांसद आनंद मोहन की पत्नी और पूर्व सांसद लवली आनंद कांग्रेस से टिकट नहीं मिलने से नाराज होकर निर्दलीय चुनाव लड़ रही हैं।

 

 

 

 

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