जांच में ‘राजनीतिक घोड़ा’ बना पुलिस अधिकारी

IG Kunwar Vijay Pratap

पुलिस अधिकारियों का पक्षपात रवैया कोई नई बात नहीं, लेकिन जब कोई पुलिस अधिकारी किसी विशेष राजनीतिक दल को निशाना बनाकर अपने पद का अंधा दुरुपयोग करे तब बेहद दु:खद व हैरानीजनक होता है। माननीय पंजाब व हरियाणा होईकोर्ट ने कोटकपूरा व बहिबल कलां गोलीकांड संबंधी जांच कर चुकी एसआईटी के सदस्य कुंवर विजय प्रताप सिंह पर जिस प्रकार माननीय उच्च न्यायलय पंजाब एवं हरियाणा द्वारा तल्ख टिप्पणीयां की गई हैं वह पुलिस कार्यप्रणाली के राजनीतिकरण का स्याह पक्ष सामने आया है। घटनाक्रम पंजाब की जनता के लिए बेहद निराशाजनक है। एक व्यक्ति पुलिस से यही उम्मीद करता है कि पुलिस किसी फरियाद में दूध का दूध व पानी का पानी करेगी, लेकिन जब वास्तविक्ता सामने आती है तब जनता खुद को ठगा हुआ महसूस करती है।

कोटकपूरा व बहिबल कलां कांड बेहद दु:खद घटनाएं थीं, जिसकी निष्पक्ष व स्वतंत्र जांच होनी चाहिए थी किंतु आईजी कुंवर विजय प्रताप सिंह ने इसकी पक्षपातपूर्ण पटकथा तैयार कर इसे राजनीतिक खेल बना दिया। अदालत ने कुंवर विजय प्रताप को एक राजनीतिक घोड़ा कहा है। साथ ही यह भी कहा कि गवाहों के ब्यान भी कुंवर विजय प्रताप ने अपने अनुसार लिखवाए। मुख्यमंत्री व पुलिस के आपसी संबंधों की व्याख्या करने के लिए यदि किसी विशेषज्ञ की आवश्यकता है, तब वहां भी सरकार की आवश्यकता है? एक पुलिस अधिकारी राजनीतिक इशारों के आधार पर पूरी प्रशासनिक व्यवस्था को अपनी मर्जी के अनुसार ढाल देता है, ऐसे में संविधान का तो कोई महत्व नहीं रह जाता। दरअसल यहां पुलिस अधिकारी ने एक अपराधिक मामले को ऐसे धार्मिक व राजनीतिक खांचें में फिट करने का प्रयास किया है, जो पुलिस के बुनियादी सिद्धांतों के एकदम खिलाफ है।

दरअसल उक्त अधिकारी राजनीतिक गलियारों में इतना हावी हो चुका था कि विधानसभा चुनावों के वक्त पंजाब की एक पार्टी को नुक्सान पहुंचाने के लिए इस द्वारा कोटकपूरा एवं बहिबल कलां गोलीकांडपर सरेआम ब्यान दिए गए और इसकी बोली और उसकी बोली नेताओं की बोली बन गई। उस वक्त चुनाव आयोग को भी कुंवर विजय प्रताप के खिलाफ कार्रवाई करनी पड़ी। उच्च न्यायलय ने पंजाब पुलिस द्वारा की गई बेअदबी मामलों की जांच पर भी सवाल उठाए। पंजाब पुलिस की एसआईटी डेरा श्रद्धालुओं को गिरफ्तार कर पूरा आरोप उन पर मढ़ रही है जबकि सीबीआई डेरा श्रद्धालुओं के पॉलीग्राफी, ब्रेनमैपिंग जैसे टेस्ट करवाकर उन्हें निर्दोष साबित कर चुकी है। इन परिस्थितियों में बेअदबी मामलों की जांच में भी पंजाब पुलिस की भूमिका पर सवाल उठना निश्चित है। नि:संदेह कोटकपूरा गोलीकांड संबंधी पंजाब पुलिस की स्पैशल टीम की जांच पुलिस सिस्टम में एक और शर्मनाक कृत्य है। देश व समाज हित में यह आवश्यक है कि पुलिस अपराधों की पारदर्शिता, निष्पक्षता से स्वतंत्र होकर जांच करे ताकि लोग न्याय की उम्मीद कर सकें।

 

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