मांगों को लेकर दे रहे थे धरना, प्रदर्शनकारियों और पुलिस में हुई काफी धक्का-मुक्की
- लाठीचार्ज से कई घायल, पैरों में बिखरी पगड़ियां
संगरूर। (सच कहूँ/गुरप्रीत सिंह/नरेश कुमार) प्रदेश सरकार से मानी गई मांगों को लागू करवाने के लिए बुधवार को खेत मजदूरों ने मुख्यमंत्री भगवंत मान की कोठी के आगे बड़े स्तर पर रोष प्रदर्शन किया। इसमें राज्य भर से बड़ी संख्या में मजदूरों, नौजवानों और महिलाओं ने शिरकत की। जैसे ही काफिला नारेबाजी करते हुए आगे बढ़ा, सीएम निवास पर तैनात पुलिस बल ने लाठीचार्ज करते हुए उन्हें तितर-बितर कर दिया। इस दौरान कई मजदूरों को चोट पहुंची और उनकी पगड़ियां पैरों में बिखर गईं।
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इससे पहले सांझे मोर्चे में शामिल जमीन प्राप्ति संघर्ष कमेटी के प्रधान मुकेश मलौद, क्रांतिकारी पेंडू मजदूर यूनियन पंजाब के महासचिव लखवीर सिंह, पंजाब खेत मजदूर यूनियन के राज्य महासचिव लक्ष्मण सिंह, मजदूर मुक्ति मोर्चा पंजाब के राज्य नेता मक्खन सिंह, कुल हिंद किसान यूनियन के राज्य नेता भूप चंद, देहाती मजदूर सभा के नेता प्रकाश नंदगढ़, पेंडू मजदूर यूनियन पंजाब के राज्य प्रधान तरसेम पीटर कहा कि ग्रामीण व खेत मजदूर संगठनों के आह्वान पर सांझे मोर्चे की अगुआई में मुख्यमंत्री भगवंत मान की संगरुर रिहायश पर बड़ा इकट्ठ किया। इसमें खेत मजदूरों की मांगों को लागू करने की मांग की गई। उनका कहना था कि पंजाब सरकार ने अभी तक बैठक करने का अपना वादा पूरा नहीं किया। मजदूर सड़कों पर धरना प्रदर्शन करने को मजबूर हो रहे हैं।
जोरा सिंह, परमजीत सिंह व परगट सिंह ने बताया कि 3 अक्टूबर को मुख्यमंत्री की मजदूर मोर्चे से तय बैठक रद्द होने व वित्त मंत्री हरपाल चीमा द्वारा की बैठक में मानीं मांगों पर पक्षपात करने से मजदूरों में रोष है। उन्होंने कहा कि सत्ता में आने से पहले आम आदमी पार्टी का रवैया कुछ और था और सत्ता में आने के बाद ये खास बन गएहैं। उन्होंने कहा कि आम जनता की मांगों से आप सरकार का कोई सरोकार नहीं हैं। सरकार अब चुनावो दौरान किए गए अपने ही वायदों से भाग रही है, लेकिन उन्हें ऐसा नहीं करने दिया जाएगा। सरकार ने जो वायदे किए हैं, सरकार को पूरे करने ही होंगे। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि मांगों के हल के लिए सरकार ने बैठक न की, तो संघर्ष और तेज किया जाएगा।
ये हैं प्रदर्शनकारियों की मुख्य मांगें :
बारिश व कीट के हमले के कारण नरमे (कपास) व धान की फसल को हुए नुकसान का मुआवजा दिया जाए। मजदूरों को वर्ष भर रोजगार की गारंटी सहित 700 रुपए दिहाड़ी दी जाए। पंचायती जमीन का तीसरा हिस्सा सस्ते भाव दिया जाए। नजूल जमीनों के मालिकी हक दिए जाएं। गुलाबी सुंडी से प्रभावित फसल का मुआवजा दिया जाए। जरुरतमंद बेघर मजदूरों को प्लाट दिए जाएं। अलाट किए प्लाट के कब्जे दिए जाएं। कर्ज माफ किया जाए। विधवा, बुढ़ापा, विकलांगों को मिलने वाली राशि पांच हजार रुपए तय की जाए। बुढ़ापा पेंशन की आयु सीमा कम की जाए। दलितों पर जुल्म बंद किए जाएं आदि मांगें शामिल हैं।
भाकियू (उगराहां) ने लाठीचार्ज की कड़ी निंदा की
संगरुर में मुख्यमंत्री की कोठी समक्ष शांतमयी धरना शुरु करते हुए पंजाब के ग्रामीण/खेत मजदूरों पर किए गए लाठीचार्ज की भारतीय किसान यूनियन (एकता-उगराहां) द्वारा सख्त शब्दों में निंदा की गई। संगठन के प्रधान जोगिंद्र सिंह उगराहां और जनरल सचिव सुखदेव सिंह कोकरी कलां ने आरोप लगाया है कि आप सरकार के मुख्यमंत्री मान की कहनी और कथनी में जमीन-आसमान का अंतर है। कहने को तो कहते हैं कि लोगों को अपने मामले हल न होने की सूरत में सड़कें, रेल रोककर आमजन को तंग परेशान की बजाय सरकार के विधायकों या मंत्रियों के घरों समक्ष रोष प्रदर्शन करने चाहिए, परंतु वहां गए लोगों पर लाठीचार्ज किया जाता है। किसान नेताओं ने हजारों मजदूरों द्वारा दिए जा रहे धरने का पुरजोर समर्थन किया।
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