महक रहा है आलम दम-दम, रौनक लगी फिजाओं में।
यूं लगता है फूल बिखेरे, सृष्टि उनकी राहों में।
सृष्टि उनकी राहों में अब तोरण द्वार बनाए हैं।
दिल अजीज वो पिया हमारे, अहो भाग हैं आए हैं।
मद मय मानिन्द मलय पवन, छोह से उनकी बहक रहा।
हर्ष हिलोरें लहर स्फूटित, जर्रा-जर्रा महक रहा।
संजय बघियाड़