क्या बयां! ला बया मोहब्बत का।
जन्नत सा सुकूं सोहबत का।
रूह से रूहानियत तक
इन्सां से इन्सानियत तक
नियती से लेकर हमारी निय्यत तक
सब नियत कर रखा है उसने
वो जो हमारा मुर्शिद है।
…उसी की
फिर हर शै होगी खुशी की…
संजय बघियाड़
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