मिल गई उसके कदमो की आहट
लगतों है वो आने वाले हैं
फिर से खुशियों के समुन्द्र
लुटाने वाले हैं।
पशु परिंदे भी झूमे ,
उनमे भी जान आई है ,
फूलों की खुशबु से हुआ समा मोहक
उन्होंने आज बात ये बतलाई है
दर्श की लगी थी कब से प्यास
फिर वो बुझाने वाले हैं ,
लगता है वो फिर आने वाले हैं।
कहा था ना तुम्हे
उन्हें सब याद है
पूरी सबकी करेंगे
जो भी फरियाद है
अँधेरे मिटाकर फिर से
वो दीप जगाने वाले है
लगता है वो फिर आने वाले हैं
खुशियां फिर मनेगी
घर – घर दिए घी के जलाएंगे
कदमों में उनके हम
फूल भावनाओं के बिछाएंगे
अपनी सुरीली आवाज में फिर वो
गीत प्यार का गाने वाले हैं
लगता हैं फिर वो आने वाले हैं ।।
कुलदीप स्वतंत्र
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