नई दिल्ली: मोदी इजरायल दौरे के आखिरी दिन गुरुवार को हाइफा शहर जाएंगे। वहां जाने वाले वे पहले भारतीय पीएम होंगे। 99 साल पहले भारतीय सैनिकों ने इस शहर को तुर्काें से आजाद कराया था।
वो सिर्फ तलवार और भाले लेकर तुर्की सेना पर टूट पड़े। दुश्मन सेना के पास बंदूक और मशीनगन थीं, इसके बाद भी भारतीय सैनिकों ने हिम्मत नहीं हारी जंग जीत ली। मोदी इस युद्ध में शहीद हुए 44 भारतीय सैनिकों की समाधि पर जाएंगे और उन्हें श्रद्धांजलि देंगे।
भारतीय सैनिकों के आगे नाकाम थीं मशीनगन
इजरायल के इतिहास में भी भारतीय सैनिकों की बहादुरी के किस्से हैं। मिलिट्री ऑपरेशन इजिप्ट एंड फलिस्तीन: वॉल्यूम 2 बुक में लिखा है, “इस पूरे कैम्पेन के दौरान घुड़सवारों की एेसी बहादुर नहीं दिखी।
तेजी से भागते घोड़ों को रोकने में मशीनगन की बुलेट भी नाकाम थीं। हालांकि, जख्म की वजह से बाद में इनमें से कई की मौत हो गई। बता दें कि भारत के ये घुड़सवार सैनिक सिर्फ तलवार और भाले से लड़े थे, जबकि दुश्मन के पास बंदूक से लेकर मशीनगन तक थीं। तुर्की की सेना को जर्मनी और ऑस्ट्रिया की सेना का भी सपोर्ट था।
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