जलवायु परिवर्तन के चलते आज विनाश का जो दौर देखा जा रहा है, उसके लिए काफी हद तक ओजोन परत की कमी मुख्य रूप से जिम्मेदार है और हमें अब यह भी भली-भांति समझ लेना चाहिए कि हमारी लापरवाही और पर्यावरण से बड़े पैमाने पर खिलवाड़ ही पर्यावरण विनाश का सबसे बड़ा कारण है। ओजोन परत के सुरक्षित न होने से मनुष्यों, पशुओं और यहां तक की वनस्पतियों के जीवन पर भी बेहद प्रतिकूल प्रभाव पड़ना तय है। यही नहीं, अधिकांश वैज्ञानिकों का मानना है कि ओजोन परत के बिना पृथ्वी पर जीवन का अस्तित्व ही समाप्त हो जाएगा और पानी के नीचे का जीवन भी नहीं बचेगा। ओजोन परत की कमी से प्राकृतिक संतुलन बिगड़ता है, सर्दियां अनियमित रूप से आती हैं, हिमखंड गलना शुरू हो जाते हैं और सर्दी की तुलना में गर्मी अधिक पड़ती है, पर्यावरण का यही हाल पिछले कुछ वर्षों से हम देख और भुगत रहे हैं।
भारत ने 2030 तक ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन की तीव्रता में 35 फीसदी तक कमी लाने का लक्ष्य रखा है किन्तु जी-20 देशों पर जलवायु परिवर्तन से निपटने के उपायों की समीक्षा पर आधारित एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत सहित जी-20 देशों ने ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में कटौती के जो लक्ष्य निर्धारित किए हैं, वे तापमान वृद्धि को डेढ़ डिग्री तक सीमित करने के दृष्टिगत पर्याप्त नहीं हैं। रिपोर्ट के मुताबिक अपेक्षित परिणाम हासिल करने के लिए इन देशों को अपने उत्सर्जन को आधा करना होगा। दरअसल ओजोन परत में कमी और मोटे होते जा रहे छिद्र के कारण पृथ्वी तक पहुंचने वाली पराबैंगनी किरणें हमारे स्वास्थ्य तथा पारिस्थितिकी तंत्र पर बहुत हानिकारक प्रभाव डालती हैं। ओजोन परत की कमी से हमारे स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरे उत्पन्न हो रहे हैं। ओजोन परत वातावरण में बनती है।
जब सूर्य से आने वाली पराबैंगनी किरणें आॅक्सीजन परमाणुओं को तोड़ती है और ये परमाणु आॅक्सीजन के साथ मिल जाते हैं तो ओजोन अणु बनते हैं। ओजोन परत पृथ्वी के धरातल से 20-30 किमी की ऊंचाई पर वायुमण्डल के समताप मंडल क्षेत्र में ओजोन गैस का एक झीना-सा आवरण है। यह परत पर्यावरण की रक्षक मानी गई है क्योंकि यही वह परत है, जो पराबैंगनी किरणों को पृथ्वी पर आने से रोकती है। ओजोन परत सूर्य से निकलने वाली पराबैंगनी किरणों के लिए एक अच्छे फिल्टर के रूप में कार्य करती है। सूर्य विकिरण के साथ आने वाली पराबैंगनी किरणों का लगभग 99 फीसदी भाग ओजोन मंडल द्वारा सोख लिया जाता है, जिससे पृथ्वी पर रहने वाले प्राणी एवं वनस्पति सूर्य के तेज ताप और विकिरण से सुरक्षित रहते हैं और इसी कारण ओजोन परत को सुरक्षा कवच भी कहा जाता है। इसीलिए प्राय: कहा जाता है कि ओजोन परत के बिना पृथ्वी पर जीवन का अस्तित्व ही समाप्त हो जाएगा।
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