क्रवाती फोनी तूफान को लेकर नासा ने प्रभवित देशों को सतर्क रहने को कहा है। अपने सेटेलाइट के जरिए ली ताजी तस्वीरों से आंका है कि अभी आगे भी यह तूफान अपना रोद्र रूप दिखाएगा। खैर, आगे क्या होगा पता नहीं? लेकिन फोनी की दहशत इस वक्त चारो ओर फैली है। क्योंकि इस चक्रवाती तूफान ने तबाही मचाने के लिए अपने फन समुद्री तटों के आसपास बसे इलाकों में फनफना रखे हैं। भारत का समूचा समुद्री व धरातलीय क्षेत्र फोनी के डर से भयाभीत है। तटीय इलाकों के लोगों को प्रशासन ने सुरिक्षत स्थानों पर फिलहाल पहुंचा दिया है। आपदीय तूफान से बचाव के लिए दिल्ली में खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अधिकारियों से आपातकाल बैठक कर चुके हैं। सुरक्षा एजेंसियों की बैठकें लगातार जारी हैं। तूफान से बचने के लिए फिलहाल सभी इंतजाम पुख्ता किए हुए हैं। लेकिन तूफान ने फिर भी कईयों को अपने आगोश में समेट लिया। तूफान ने ओडिशा, आंध्रप्रदेश और पश्चिम बंगाल में कहर बरपा रखा है, जहां से दर्जनों लोगों के मरने की खबरें प्रशासन ने दी हैं। लेकिन खतरा अब भी बरकरार है।
फोनी तूफान की स्पीड दूसरे तूफानों से कहीं ज्यादा आंकी गई है। इससे पहले नीलोफर, तितली, बिजली, कटरीना जैसे तमाम तूफान आए। लेकिन फोनी सबसे खतनाक बताया गया है। क्योंकि फोनी का मतलब फन वाला सांप होता है जो अमूमन बंगाल में पाया जाता है। तभी इस तूफान का नाम बांग्लादेश सरकार ने रखा। बीते तीन और चार तारीख को इस तूफान ने बंग्लादेश में सबसे ज्यादा कहर बरपाया। वहां जानमाल का नुकसान दूसरे मुल्कों से ज्यादा हुआ। तूफान का सामना करने के लिए तमाम देश एकजुट हुए हैं। चक्रवाती तूफान सबसे ज्यादा भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका व नेपाल में अपना असर दिखा रहा है। इसलिए ये सभी देश लगातार एक दूसरे के संपर्क में हैं। डिजास्टर की टीमें लगातार तूफान की स्पीड का आंकलन कर रही हैं। तूफान की शुरूआत में रफ्तार कम थी, लेकिन एक मई के बाद बढ़ गई। स्पीड की तीव्रता इतनी है कि इसकी चपेट में आने वाला इंसान हवा में उड़ जाता है।
तूफान की चपेट में आने वाले सभी संभावित क्षेत्रों में प्रशासन ने अर्लट जारी कर दिए हंै। ओडिसा में अभी तक फिलहाल काफी नुकसान हुआ है लेकिन आगे ऐसी स्थिति न उत्पन्न हो, साथ ही राहत-बचाव में कोई बाधा न आए, इसके लिए समयाविधि से पहले ही वहां लोकसभा चुनाव के लिए लगाई गई आदर्श आचार संहिता को हटा दिया गया है। फिलहाल केंद्र से लेकर राज्य सरकार भी पूरी तरह से मुस्तैद है। क्योंकि सबसे पहले चक्रवातीय तूफान ने ओडिशा में ही जमकर कोहराम मचाया था। सरकारी आंकड़ो के मुताबिक पुरी, भुवनेश्वर में करोड़ों की संपत्ति को तबाह किया। अभी तक तेरह लोगों की मौत की खबर और करीब ढाई सौ से ज्यादा प्रभावित बताए गए हैं। ओडिशा में कोहराम मचाने के बाद फोनी अब बंगाल में प्रवेश कर चुका है। पिछले दो दिनों से बंगाल और झारखंड के कई शहरों में तूफानी हवाओं के साथ जमकर मूसलाधार बारिश हो रही है। स्थिति को देखते हुए केंद्र सरकार ने दोनों राज्यों को हाई अलर्ट के आदेश दिए हैं। तूफान की स्थिति जल्द सामान्य हो, इसकी ईश्वर से पूरा देश कामना कर रहा है।
नासा ने शनिवार को फोनी तूफान की ताजा तस्वीरें और नवीनतम जानकारी प्रभावित देशों से साझा की हैं। बताया गया है कि तूफान का प्रकोप अभी आगे भी जारी रहेगा। नासा के मुताबिक फानी एक उष्णकटिबंधीय तूफान है, जो मानवीय हिमाकत के बाद उत्पन्न हुआ है। इंसान लगातार जंगलों, नदियों, समुद्रों से छेड़छाड़ कर रहा है। इसके बाद ही प्रकृति का रोद्र रूप सामने आया है। अनुमान लगाया जा सकता है कि प्रकृति से खिलवाड़ का ही नतीजा है यह चक्रवाती तूफान। धरती के अथाह दोहन से पूरा विश्व कराह रहा है। धरती से मानवीय छेड़छाड़ के बाद प्रकृति आपदातों की संभावनाएं बढ़ गई हैं। धरा पर इंसानी जीवन को सुरक्षित करने के लिए प्रकृति से खिलवाड़ को तत्काल प्रभाव से त्यागना होगा, नहीं तो आने वाले वक्त में इंसानी जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती।
फोनी तूफान इस वक्त एशिया में कहर बरपा रहा है। इससे पहले पश्चिमी समुंद्री तटों पर अपने रोद्र रूप का परिचय दे चुका है। दरअसल, उष्णकटिबंधीय तूफानों को अलग-अलग नामों से जाना जाता है। तूफानों के नाम रखने का सिलसिला 1953 में शुरू हुआ था। तूफानों के ज्यादातर नाम महिलाओं के नाम से रखे जाते रहे हैं। गौरतलब है, किसी भी चक्रवाती तूफान का नामाकरण उस स्थिति में किया जाता है जब उसके दौड़ने की रफ्तार 60 से 70 किलोमीटर प्रति घंटा हो। मसलन, जब तूफान की स्पीड सौ या उससे ज्यादा हो, वह तूफान गंभीर चक्रवाती तूफान कहा जाता है। वहीं, अगर अन्य तूफान की रफ्तार 200 किमी प्रति घंटे से ज्यादा होती है तो उसे सुपर साइक्लोन की संज्ञा दी जाती है। मौजूदा फोनी तूफान इसी श्रेणी में माना गया है। प्रत्येक देश के लिए तूफान को लेकर एक और प्रोटोकॉल फॉलो किया जाता है। दरअसल, तूफान का नामकरण वही मुल्क रखता है जिस क्षेत्र में तूफान जन्म लेता है। फोनी तूफान बांग्लादेश से शुरू हुआ है इसलिए उन्होंने ने ही तूफान का नामाकरण किया। तूफान की स्पीड डेढ़ सौ कि.मी. प्रतिघंटा से ज्यादा है इसलिए इसे सुपर साइक्लोन की श्रेणी में रखा गया है।
फिलहाल फोनी की अनहोनी से बचने के लिए सरकारी अमला हर संभव कोशिशों में जुटा है। लेकिन एक सच्चाई यह भी है कि प्राकृतिक आपदाओं के आगे सभी मानवीय कोशिशें धराशाही और बौनी हो जाती हैं। प्रकृति के रौद्र रूप पर किसी का बस नहीं चलता। एतियात के तौर पर प्रशासन ने ओडिया के सभी स्कूल-कालेजों को बंद करवा दिया है। सरकारी कार्यालयों में भी कामधंधे बंद हैं। मछुआरों को सख्त हिदायतें दी गईं हैं कि जब तक प्रशासन का अलर्ट रहे, वह समुद्र में न जाएं। सेटेलाइट के जरिए नासा द्वारा ली गईं तस्वीरों के आधार पर तैयार की गई रिपोर्ट के मुताबिक चक्रवाती तू्फान फोनी का प्रभाव अभी कुछ दिन और रहेगा। समुंद्र के तट से अंदर करीब पांच सौ मीटर दूरी पर अभी भी लंबी-लंबी बौछारे बन रही हैं। बौछारों की लपटें जब नीचे गिरती हैं तो तेजी से आवाजें कौंधती हैं, जो तूफान के रहने का संकेत देती हैं।
दरअसल कार्बन फैलाने वाली विकास नीतियों को बढ़ावा देने के कारण धरती के तापमान में लगातार वृद्धि हो रही है। यही कारण है कि बीते 134 सालों में रिकार्ड किए गए तापमान के जो 13 सबसे गर्म वर्ष रहे हैं, वे 2000 के बाद के ही हैं और आपदाओं की आवृत्ति भी इसी कालखंड में सबसे ज्यादा बढ़ी हैं। पिछले तीन दशकों में गर्म हवाओं का मिजाज तेजस्वी लपटों में बदला है। इसने धरती के 10 फीसदी हिस्से को अपनी चपेट में ले लिया है। तापमान की वृद्धि का अनुमान लगा लिए जाने के आधार पर अंतर सरकारी पैनल ने भी भारतीय समुद्री इलाकों में चक्रवाती तूफानों की संख्या बढ़ने की आशंका जताई है। मौसम विभाग की भविष्यवाणी के बाद बचाव और राहत की तैयारी के लिए कुछ दिन जरूर मिले थे। इन्हीं दिनों में केंद्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण सक्रिय हो गया। इस तरह की तस्वीर भविष्य में इसलिए भ दिखनी जरूरी है, ताकि फोनी अपना रौद्र रूप न दिखा पाए।
डॉ. एस. सरस्वती
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