नई दिल्ली: जीएसटी लागू होने पर फोन बिल बढ़ना करीब-करीब तय है। टेलीकॉम कंपनियों का कहना है कि सरकार जो इनपुट टैक्स क्रेडिट दे रही है, वह बढ़े हुए टैक्स को एडजस्ट करने के लिए काफी नहीं होगा। इन कंपनियों के संगठन सीओएआई ने सरकार से टैक्स रेट 18% से घटाने की मांग की है। अभी फोन बिल पर 15% सर्विस टैक्स और सेस लगता है। इसका कहना है कि जीएसटी में इनपुट क्रेडिट की फैसिलिटी जरूर दी गई है, लेकिन यह इतना नहीं होगा कि टैक्स में बढ़ोतरी को एडजस्ट किया जा सके।
PM ने लिया तैयारियों का जायजा
नरेंद्र मोदी ने अफसरों से जीएसटी के आईटी नेटवर्क की सुरक्षा पर खासतौर पर ध्यान देने को कहा है, ताकि इसे हैक न किया जा सके। उन्होंने कहा कि नई टैक्स व्यवस्था देश की इकोनॉमी के लिए ‘टर्निंग प्वाइंट’ साबित होगी।
एक देश, एक बाजार और एक टैक्स सिस्टम से आम आदमी को काफी फायदा होगा। सोमवार को जीएसटी की समीक्षा बैठक में उन्होंने ये बातें कही। पीएमओ की तरफ से जारी बयान के मुताबिक बैठक करीब दो घंटे चली। इसमें वित्त मंत्री अरुण जेटली, हसमुख अढिया, वित्त मंत्रालय और पीएमओ के टॉप अफसर और कैबिनेट सेक्रेटरी मौजूद थे।
जीएसटी में टैक्स रेट तय होने के बाद मोदी की यह पहली समीक्षा बैठक थी। इससे पहले उन्होंने 2 मई को जीएसटी पर बैठक की थी। पीएम ने आईटी और एचआर से जुड़ी तैयारियों, अफसरों की ट्रेनिंग, सवाल-जवाब की व्यवस्था और मॉनिटरिंग के बारे में भी जाना। अधिकारियों ने बताया कि आईटी इन्फ्रा से लेकर अफसरों की ट्रेनिंग और कारोबारियों के एनरोलमेंट तक, सब कुछ 1 जुलाई से पहले पूरा हो जाएगा।
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