नई दिल्ली (सच कहूँ न्यूज)। पीएफआई और उसके सहयोगी संगठनों या संबद्ध संस्थाओं या उसके लिए सक्रिय संगठनों को विधिविरुद्ध क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम, 1967 के प्रावधानों के अंतर्गत ‘विधिविरुद्ध संगठन’ घोषित कर दिया है। इन संगठनों में रिहैब इंडिया फाउंडेशन (आरआईएफ), कैंपस फ्रंट आॅफ इंडिया (सीएफआई), आॅल इंडिया इमाम काउंसिल (एआईआईसी), नेशनल कॉन्फेडरेशन आॅफ ह्यूमन राइट्स आगेर्नाइजेशन (एनसीएचआरओ), नेशनल विमेंस फ्रंट, जूनियर फ्रंट, एम्पावर इंडिया फाउंडेशन और रिहैब फाउंडेशन, केरल शामिल हैं। वहीं अब ट्विटर ने भी पीएफआई को बैन कर दिया है। ट्विटर ने कहा कि कानूनी मांग के जवाब में भारत में पीएफआई आॅफिशियल खाते को रोक दिया गया है।
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पीएफआई पर प्रतिबंध भेदभावपूर्ण: जमात-ए-इस्लामी हिन्द
जमात-ए-इस्लामी हिन्द के अध्यक्ष सआदतुल्लाह हुसैनी ने पॉपुलर फ्रंट आॅफ इंडिया (पीएफआई) पर बुधवार को लगाये गये प्रतिबंध को ‘भेदभावऔर पक्षपातपूर्ण’ बताते हुए सरकार से इसे उठाने की मांग की है। हुसैनी ने एक बयान में कहा,‘हमने हाल ही में कई छोटे और कट्टरपंथी समूहों को खुले तौर पर द्वेष फैलाने और हिंसा का आह्वान करते हुए देखा है। ये समूह बेखौफ होकर काम कर रहे हैं और इनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। इसलिए (पीएफआई पर) प्रतिबंध चयनात्मक, भेदभावपूर्ण और पक्षपातपूर्ण प्रतीत होता है। उन्होंने कहा, ‘इससे लोगों और सरकार के बीच विश्वास की कमी बढ़ेगी और देश में गलत संदेश जाएगा। हम मांग करते हैं कि प्रतिबंध को जल्द से जल्द हटाया जाए।ह
हुसैनी ने कहा कि किसी संगठन पर प्रतिबंध लगाना न तो कोई समाधान है और न ही यह किसी लोकतांत्रिक समाज के अनुकूल है। संगठनों पर प्रतिबंध लगाने की संस्कृति अपने आप में संविधान द्वारा संरक्षित मौलिक अधिकारों का स्पष्ट उल्लंघन है तथा लोकतांत्रिक भावना और बुनियादी नागरिक स्वतंत्रता के खिलाफ है।
क्या है मामला
गौरतलब है कि केंद्रीय गृहमंत्रालय ने पीएफआई पर पाबंदी लगाने की घोषणा करते हुए हुए एक बयान में कहा कि पीएफआई और उसके सहयोगी संगठनों या संबद्ध संस्थाओं या अग्रणी संगठनों को गंभीर अपराधों में लिप्त पाया गया है जिनमें आतंकवाद और उसका वित्तपोषण, नृशंस हत्याएं, देश के संवैधानिक ढांचे की अवहेलना, सार्वजनिक व्यवस्था को बिगाड़ना आदि शामिल हैं जो कि देश की अखंडता, सुरक्षा और संप्रभुता के लिए हानिकारक हैं।
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