नशों को छोड़ खुशहाल जीवन की ओर लौट रहे युवा
- पूज्य गुरु जी की शिक्षाओं पर चलते साध-संगत कर रही जागरूक
जीन्द/हिसार। (सच कहूँ/जसविन्द्र) पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां के सॉन्ग ‘जागो दुनिया दे लोको’ नशों से बर्बाद हुए घरों में खुशियों का सवेरा लेकर आ रहा है। इन्हीं में से एक है हिसार जिले के पेटवाड गाँव के बजे सिंह और रानी का। पूज्य गुरु जी के गाने से प्रभावित होकर इस दंपत्ति के बेटे ने न सिर्फ नशा छोड़ा है बल्कि अब वो अपने माता-पिता और भाई के चेहरों पर मुस्कान खिलाने व परिवार में खुशहाली लाने को प्रयासरत है। हिसार जिले के पेटवाड गाँव में रहने वाले सतीश ने बताया कि जब वो आठवीं कक्षा में पढ़ता था तो बुरी सोहबत में पड़ गया। यार-दोस्तों के साथ छिप-छिपकर स्मैक का सेवन कब आदत बन गया पता ही नहीं चला।
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जिस वक्त उसने नशा लेना शुरू किया तो वो मात्र 16 साल का था और आज 32 साल का है। जिस उम्र में युवा अपने सुनहरी भविष्य के सपने देखते हैं, उस सुनहरी दौर को उसने नशों की दलदल में फंसकर गंवा दिया। 10 साल तक वह पेपर पर नशे लेता रहा और उसके बाद इंजेक्शन से नशा लेने लगा। पशुओं वाली 100 एमएल एविल की दवाई तक नहीं छोड़ी। 10-10 हजार रुपये का रोजाना चिट्टा पी जाता था। उसका कहना है कि मैंने जांघ, पिंडी शरीर का कोई हिस्सा नहीं छोड़ा जिस पर नशे के इंजैक्शन न लगाए हों। हाथ, पैर सहित पूरे शरीर पर नशीले इंजेक्शन के काले निशान पूरी कहानी को स्वयं बयां कर रहे हैं।
अपनी भूल पर पछतावा करते हुए सतीश ने कहा कि नशे की लत बहुत बुरी है। इससे किसी का भला नहीं हो सकता। एक वक्त मेरे खेत में लोग दिहाड़ी मजदूरी करने के लिए आते थे और मेरा परिवार जमींदार कहलाता था। लेकिन मेरी नशे की आदत ने सब कुछ तबाह कर दिया। मैंने नशा लेने के चक्कर में अपनी और अपने बड़े भाई नील की चार किले जमीन भी बेच दी, जिसकी कीमत एक करोड़ से भी ज्यादा थी और परिवार को रोटी के लिए दर-दर पर भटकने को मजबूर कर दिया। आज मेरी माँ रानी और पिता बजे सिंह दूसरों के यहां मजदूरी करके पेट पालते हैं। भाई एक टैंट की दुकान पर चार-पाँच हजार रुपये महीना की नौकरी करने को विवश है।
फरिश्ता बन पहुँचा डेरा सच्चा सौदा का सेवादार अमर
सतीश बताता है कि मैं हर वक्त नशे की हालत में बदहवास पड़ा रहता था। कई बार तो मुझे ख़ुद को पता नहीं होता था कि कहां पर हूँ। एक दिन मैं अपने घर पर बैठा था, तभी डेरा सच्चा सौदा का सेवादार अमर मेरे पास आया। गाँव के लिहाज से वो मेरे भाई का लड़का है। उसने अचानक ही एक गाना अपने मोबाइल पर चलाया ‘जागो दुनिया दे लोको’। गाना एक दम दिमाग को जंच गया और ख़ुद के बारे में सोचने को मजबूर हो गया।
मैंने पूछा किसका है ये गाना? तो अमर ने बताया कि डेरा सच्चा सौदा के पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने नशों में फंसे युवाओं को बाहर निकालने के लिए ये गाना गाया है। तो मैंने कहा कि तो एक बार और सुना दे। फिर मैंने गाने का एक-एक बोल बड़े ध्यान से सुना। जब मैंने पूरा गाना सुना तो दिल में एक ख्याल पक्का हो गया कि अब नशा नहीं करना है।
सेवा भाव भी आया काम
सतीश कहता है कि इसके बाद अमर इन्सां उसे डेरा सच्चा सौदा, सरसा में लेकर गया। वहां दोनों ने लंगर घर में सेवा की। वहां सेवा करके जो खुशी मिलती है, उसके लिख या बोलकर नहीं बताया जा सकता है। सेवादार भाइयों का प्रेम भाव भी बहुत ही गजब का है। वो कहता है कि अब मुझे नशा करने की बिल्कुल चाहत नहीं होती। अब मेरे शरीर में एक अलग ही शांति महसूस कर रहा हूँ, वरना मैं हर वक्त घर में बेहोशी के आलम में बेचैन पड़ा रहता था।
युवाओं से अपील
सतीश कहता है कि जो लोग नशा करते हैं उनसे इतना ही कहना चाहूँगा कि मेरे भाइयों! नशा छोड़ दो, इसमें कोई लाभ नहीं है, बल्कि ये बर्बादी का रास्ता है। अपनी बर्बादी और परिवार की बर्बादी और लत लगाने वाले अपने फायदे के लिए हमें इस जाल में फंसाते हैं। इसलिए सभी सतर्क हो जाओ और पूज्य गुरु जी की मुहिम में जुड़कर नशों को जड़ से खत्म करने में अपना पूरा जोर लगाओ।
अपने बच्चों का रखें ध्यान
सतीश की माँ रानी कहती हैं कि जब सतीश स्कूल जाता था तो हमें लगता था कि वो पढ़ाई कर रहा है। जितने पैसे वो मांगता दिए और भूल जाते। गाँव में ज्यादातर लोग अपने बच्चों को स्कूल में भेजकर ऐसा ही करते हैं। घर से बाहर बच्चा क्या कर रहा है, इस ओर ध्यान नहीं देते। जिसका खामियाजा हमें भुगतना पड़ा है। बेटा नशे की लत में फंस गया और जिस टाइम में उसने जिंदगी में कुछ अच्छा करना था या बनना था, वो वक्त बर्बादी में गुजर गया। इसलिए सभी माता-पिता से गुजारिश करती हूँ कि पढ़ाई के वक्त भी बच्चा बाहर क्या कर रहा है, किसकी सोहब्बत में रहता है, इन बातों का ध्यान जरूर रखें।
पूज्य गुरु जी के वचनों से हुआ कमाल : अमर इन्सां
अमर इन्सां बताते हैं कि सतीश की नशे की आदत के कारण पूरा परिवार खून के आँसू रो रहा था। एक वक्त जमीन के मालिक कहलाने वाले माँ-बाप और भाई आज लोगों के घरों पर दिहाड़ी-मजदूरी करने को मजबूर हैं। मैं डेढ़ महीना पहले इसके पास गया और इसे पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां का गाना ‘जागो दुनिया दे लोको’ सुनाया।
जैसे ही इसने गाना सुना तो बहुत पसंद आया और कहने लगा कि अब मैं नशा नहीं करूंगा। फिर अगले दिन जब मैं इससे मिलने पहुंचा तो ये अपनी छत पर बैठा था। हाथ में इंजैक्शन था और सोच रहा था कि इसे लगाऊँ या ना लगाऊँ। मुझसे कहने लगा कि क्या मैं ये एक लगा लूँ तो मैंने कहा नहीं। मैंने वो नशीली दवाई उठाई और तोड़कर फेंक दी।
तब सतीश कहने लगा कि अब तो मैं नशा बिल्कुल नहीं करूंगा। बस एक बार फिर वो गाना सुना दे। फिर मैंने इसे ‘जागो दुनिया दे लोको’ गाना सुनाया। इसके बाद ये कहने लगा कि मुझे सरसा भी ले चल। इसके बाद मैं इसे शाह सतनाम जी धाम, सरसा में लेकर गया और वहां लंगर घर में सेवा की। सेवा करके ये बहुत खुश हुआ। अब इसने नशा बिल्कुल छोड़ दिया है।
गुरु जी भगवान हैं : रानी
नशों की गर्त से निकले बेटे को देख भावुक होते हुए सतीश की माँ रानी कहती हैं कि गुरु जी थारा घणा-घणा शुक्रिया। आप ख़ुद भगवान हो, जिसनै मेरा बेटा सुधार दिया। धन्य हो आप, जिननै अमर बरगे सेवादार बणाए सैं। आज जब बुरे टैम में आपणा साया भी साथ छोड़ दे सै, इसे टाइम मैं डेरा सच्चा सौदा के सेवादार ए गेल्या खड़े सैं। मेरे बेटे का नशा भी छुड़वाया और इब आगै भी उसका पूरा साथ देण लाग रे सैं।
‘‘सर, का कोई भी कदम बेवजह नहीं उठता।’’ पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां के बारे में आदरणीय ‘रूह दी’ हनीप्रीत इन्सां द्वारा बोला गया ये डायलॉग अक्षरश: सच साबित हो रहा है। पूज्य गुरु जी द्वारा समाज भलाई के लिए अनेक ऐसी पहलें की गर्इं हैं, जिन्होंने वक्त आने पर अपनी सार्थकता स्वयमेंव सिद्ध की। आपजी द्वारा पिछले दिनों नशों के खिलाफ जागरूकता लाने के लिए लॉन्च किया गया सॉन्ग ‘जागो दुनिया दे लोको’ अब खुशियों के रंग बिखेर रहा है। इस गाने से प्रभावित होकर बड़ी संख्या में युवाशक्ति नशा छोड़कर खुशहाली की ओर कदम बढ़ा रही है। साथ ही ये परिवार भी पूज्य गुरु जी का बारंबार शुक्रिया कर रहे हैं।
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