Shamshan Ghat : एक श्मशान ऐसा भी! जहां लोग सुबह-शाम परिवार के साथ आते हैं घूमने

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Hisar News: एक श्मशान ऐसा भी! जहां लोग सुबह-शाम परिवार के साथ आते हैं घूमने

हिसार (सच कहूँ/श्याम सुन्दर सरदाना)। Hisar Shamshan Ghat: अक्सर लोग श्मशान घाट का नाम सुन कर ही डर जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि श्मशान घाट में नेगेटिव एनर्जी होती है। इस लोग यहां जाना पसंद नहीं करते है। हालांकि हिसार के एक श्मशान घाट का नजारा कुछ और ही है। यहां लोग अपने परिवार सहित घूमने आते हैं। दरअसल, हम बात कर रहे हैं हरियाणा के प्रथम आॅक्सीजन जोन विलेज तलवंडी राणा के श्मशान की। इस श्मशान की जमीन इन दिनों पर्यटन स्थल बनी हुई है। स्थानीय लोग यहां हर रोज सुबह-शाम मॉर्निग वॉक के लिए आते है। वहीं, प्रदेश के सैकड़ों लोग यहां घूमने आते हैं। यहां लोग सुबह-शाम योगा करने और टहलने भी पहुंचते हैं।

राह ग्रुप फाउंडेशन ने की पहल | Hisar News

सामाजिक संस्था राह ग्रुप फाउंडेशन की पहल से तलवंडी राणा श्मशान को खूबसूरत बनाया गया है। तलवंडी राणा के श्मशान को भी इसी संस्था की पहल से खूबसूरत और घूमने योग्य बनाया जा सका है। राह संस्था के नेशनल चेयरमैन नरेश सेलपाड़ ने अपनी टीम के साथ साल 2019 को अपने गांव तलवंडी राणा के श्मशान घाट और दूसरे स्थानों पर फूलों की पौधे लगाकर उसकी कायाकल्प बदलने की कोशिश की। साथ ही लोगों को पौधों का वितरण भी करने लगे। उनका मकसद ग्रामीणों का रुख फूलों से लेकर पेड़-पौधों के माध्यम से प्रकृति संरक्षण एवं श्मशान या दूसरे प्रकार की विरान भूमियों का कायाकल्प कराना था।

मटका थेरेपी बनी वरदान

आॅक्सीजन जोन विलेज तलवंडी राणा में पौधारोपण करने में मटका थेरेपी तकनीक बेहद कारगर रही। इस तकनीक से बेहद कम पानी का उपयोग करते हुए पौधों को लंबे समय तक सिंचित किया जा सकता है। इस पद्धति में पौधा रोपने के समय ही उसी गड्ढे के अंदर पुराने मटके को रख दिया जाता है। इस मटके की तली में एक छेद किया जाता है, जिसमें जूट या सूत की रस्सी पौधे की जड़ों तक पहुंचाई जाती है। इसमें यह ध्यान रखा जाता है कि मटके का मुंह खुला रहे। धूप या प्रदूषण से बचाने के लिए इसे कपड़े से ढक दिया जाता है। इससे कम मात्रा में खाद एवं पानी देने के बावजूद भी पौधा दो-गुणा गति से बढ़ोतरी करता है। Hisar News

यहां डर नहीं बल्कि मिलता है अच्छा माहौल

शमशान घाट में औषधीय पौधे, फलदार-पेड़ और फूलकरी लगाई गई हंै। इन पेड़ों की देखभाल यहां के लोग खुद करते हैं। उनको यहां अब किसी चीज का डर नहीं लगता बल्कि उन्हें यहां आकर अच्छा माहौल मिलता है। अजीब बात तो यह है कि यहां जब भी चिताएं जलती हैं। तो लोगों को यहां की हरियाली देख डर बिल्कुल भी नहीं लगता।

तीन चरणों में लगाए गए दो हजार पेड़ | Hisar News

प्रदेश के पहले आॅक्सीजन जोन विलेज तलवंडी राणा में बीते पांच वर्षों में गांव की श्मशान भूमि में तीन चरणों में दो हजार से अधिक औषधीय, छायादार, सजावटी और फलदार पौधे लगाए गए हैं। तलवंडी राणा गांव की श्मशान भूमि में बरगद, पीपल, नीम, पील/जाल, कदम, शीशम, आंवला, अमलतास, जॉटी, कनेर, चांदनी, गुगल बेल, अर्जुन, अमरूद, आम, जामुन, एलोवेरा, तुलसी, गिलोय इत्यादि जैसे अधिक आॅक्सीजन देने वाले पौधों के साथ-साथ सुन्दरता बढ़ाने वाले सजावटी पौधे भी लगाए गए हैं।

आधुनिक तरीके से पौधारोपण

तलवंडी राणा की श्मशान भूमि में पर्यावरण को देखते हुए अलग-अलग किस्म के फूलों और फलों के पौधे लगाए गए हैं। आलम यह है कि यहां पर न केवल प्राकृतिक फूलों की बहार आई हुई है, बल्कि यहां पर जानवरों एवं पक्षियों का सरंक्षण प्रदान करने के लिए प्राकृतिक ताने-बाने को भी नहीं छेड़ा गया है। यहां की खास बात यह है कि तलवंडी राणा की श्मशान भूमि में पौधारोपण करके एवं गंदे पानी के बेहतर उपयोग करने, रेन वाटर हार्वेस्टिंग, लैड स्केपिंग, मार्डन गार्डनिंग पद्वति का उपयोग करके यहां पौधारोपण किया जाता है। Hisar News

पुराने वृक्षों का किया जा रहा संरक्षण

गांव तलवंडी राणा के श्मशान घाट में पहले से लगे पौधों को भी नया आकार प्रदान कर सुन्दर बनाया गया है, जिसमें जाल, कीकर, कैर और दूसरे पौधों को विशेष आकार और प्रकार देकर संरक्षित किया गया है।

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