अलीकां पैक्स का करोड़ों का घोटाला भी 7 वर्षां से ठंडा
ओढां, राजू। दि सरसा सेंट्रल कोऑपरेटिवबैंक की ओढां ब्रांच के मैनेजर द्वारा लोगों की पेंशन में गड़बड़ी कर गबन करने का मामला ठंडे बस्ते में चला गया है। वहीं इस मामले को लेकर चचार्ओं का दौर गर्म है। महाप्रबंधक ने शिकायतकर्ता पक्ष को आश्वासन दिया था कि इस मामले में एक सप्ताह में एसआईटी जांच शुरू करेगी। लेकिन इस आश्वासन को 2 सप्ताह का समय गुजरने के बाद भी अभी तक कोई हलचल नहीं है। न तो एसआईटी जांच करने पहुंची और न ही कोई अन्य कार्रवाई। जिसके चलते शिकायतकर्ता पक्ष में रोष है। Pension News
उन्होंने आरोप लगाया कि विभागीय अधिकारी आरोपी ब्रांच मैनेजर को बचाकर मामले को रफादफा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि वे इस मामले को जिला कष्ट निवारण समिति की बैठक में उठाएंगे। शिकायतकतार्ओं का कहना है इस मामले में निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। आरोपी ब्रांच मैनेजर ने अकेले उनके साथ ही नहीं बल्कि पता नहीं कितने और लोगों के साथ धोखाधड़ी कर पता नहीं कितना बड़ा घोटाला किया है। वहीं जनता अधिकार मोर्चा के प्रदेशाध्यक्ष जसविन्द्र सिंह बब्बू ने इस मामले में कहा है कि अधिकारियों ने इस मामले में शीघ्र जांच का आश्वासन दिया था, लेकिन कुछ दिन गुजरने के बाद मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। वहीं इस विषय में महाप्रबंधक ऋषिपाल से बात की गई तो उन्होंने कहा कि इस मामले में शीघ्र ही जांच होगी। जिसके लिए एसआईटी गठित की हुई है।
अलीकां पैक्स गबन मामला भी ठंडे बस्ते में | Pension News
2017 में अलीकां पैक्स में हुए बड़े घोटाले का मामला भी ठंडे बस्ते में चल रहा है। इस मामले को 7 वर्ष का समय व्यतीत हो गया, लेकिन अभी तक न किसी पर कार्रवाई हुई और न ही किसी प्रकार की रिकवरी। पैक्स में 1 करोड़ 14 लाख 50 हजार 387 का बड़ा गबन सामने आया था। जिसमें कुल 13 कर्मचारी व अधिकारी शामिल थे। इस मामले में अकेले पैक्स प्रबंधक के सिर ठीकरा फोड़कर अन्य को बचा लिया गया।
इस मामले में अभी तक बड़ा संशय ये बना हुआ है कि एक कर्मचारी आखिर इतना बड़ा घोटाला बिना किसी के साथ सांठ-गांठ के कैसे कर सकता है। इस मामले में दोषी कर्मचारी सुभाष चन्द्र ने निदेशक मंडल के सामने गुहार लगाई हुई है कि उसे अकेले को फंसाया गया। निदेशक मंडल ने आश्वासन दिया कि मामले की जांच दोबारा करवाई जाएगी। लेकिन इस आश्वासन को भी करीब डेढ़ माह का समय हो गया, कोई जांच शुरू नहीं हुई। इस मामले में विभागीय कार्रवाई पर सवाल उठ रहे हैं कि आखिर उच्चाधिकारी इस मामले की जांच क्यों नहीं करवाना चाहते। या फिर अधिकारियों को बचाया जा रहा है। Pension News
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