‘‘अगर आज बच्चों को मोबाइल के इस्तेमाल से नहीं रोका, तो जल्द हमें ढूंढ़ने होंगे मनोचिकित्सक’’

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Sangrur News : ‘‘अगर आज बच्चों को मोबाइल के इस्तेमाल से नहीं रोका, तो जल्द हमें ढूंढ़ने होंगे मनोचिकित्सक’’

बच्चों में मोबाइल फोन के बढ़ते इस्तेमाल पर बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. अमित सिंगला से की गई खास बातचीत | Sangrur News

संगरूर (सच कहूँ/गुरप्रीत सिंह/नरेश कुमार)। Sangrur News: आजकल के समय में बच्चों में मोबाइल फोन के इस्तेमाल का बढ़ता चलन भविष्य में उनके लिए बहुत ही खतरनाक साबित होता जा रहा है, मोबाईल की वजह से बच्चे अपने माता-पिता से दूर होते जा रहे हैं और इसके साथ ही मोबाईल का उनके स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव पड़ रहा है। इस संबंधी आज हमने बच्चों के विशेषज्ञ डॉ. अमित सिंगला से खास बातचीत की। पेश हैं बातचीत के कुछ विशेष अंश:-

सवाल: डॉक्टर साहब, बच्चों में मोबाइल फोन का इस्तेमाल क्यों बढ़ रहा है?

उत्तर: मोबाइल फोन का असर बच्चों में काफी देखने को मिल रहा है, यह हम पिछले पांच सालों से देख रहे हैं। कोरोना के दौरान बच्चों में मोबाइल फोन का इस्तेमाल शुरू होने से इसका प्रभाव हर साल और अधिक बढ़ रहा है, ऐसा इसलिए क्योंकि कोरोना के समय में आॅनलाइन पढ़ाई की मजबूरी थी और आॅनलाइन पढ़ाई के कारण सभी स्कूल बंद थे, इसलिए बच्चों को फोन या लैपटॉप या आईपैड को तीन या चार घंटे तक इस्तेमाल करना पड़ता था, लेकिन कोरोना चला गया, दुर्भाग्य से अपने पीछे बच्चों में मोबाईल की आदत छोड़ गया है। Sangrur News

दूसरा कारण है सीमित परिवार। आजकल अधिकांश परिवारों में केवल एक ही बच्चा होता है और माता-पिता नौकरी करते हैं, जब वे अपने कामकाज से वापिस आते हैं तो वे थके हुए होते हैं और उनके पास अपने बच्चों के साथ बिताने का समय नहीं होता और मोबाइल बच्चों के हाथ में आ जाता है।

सवाल : किस आयु वर्ग के बच्चे ज्यादा मोबाईल की चपेट में आ रहे हैं?

उत्तर: किसी भी उम्र का लगभग हर बच्चा मोबाइल फोन के इस्तेमाल से एक या दो तरह से प्रभावित हो रहा है। एक तो 2 से 5 साल के बच्चे हैं, उनका दिमाग विकसित हो रहा होता है, जब वह फोन का इस्तेमाल करते हैं, तो उनके विकास में कमी आ जाती है। वहीं दूसरा 13 साल से लेकर 18 साल के बालिक बच्चों के लिए भी फोन का इस्तेमाल खतरनाक है। वहीं एक तो उनकी पढ़ाई खराब होती है और दूसरा वह ऐसे गेमस में पड़ जाते हैं, जिनसे उनकी जान को खतरा पैदा हो जाता है, जैसे कि पहले ब्ल्यू व्हेल आदि गेमों के कारण भी घटनाएं घटी हैं।

प्रश्न: डॉ. साहब, बच्चों को मोबाईल की लत से कैसे बचाएं?

उत्तर: मोबाइल फोन के अत्यधिक उपयोग को रोकने के दो या तीन तरीके हैं। ऐसा कहा जाता है कि जितना समय बच्चे अपने माता-पिता के साथ बिताते हैं, उतना ही समय माता-पिता को भी अपने बच्चों के साथ बिताना चाहिए। इससे बच्चों का ध्यान मोबाइल से हटेगा। वहीं दूसरा हमें बच्चों का ध्यान मोबाइल फोन से हटाकर टीवी से जोड़ना होगा, क्योंकि शतरंज, कैरमबोर्ड, ड्राइंग आदि जैसे इनडोर गेम्स को जोड़ने के अलावा टीवी के नुक्सान मोबाइल की तुलना में बहुत कम हैं। Sangrur News

बच्चों को मोबाइल फोन से दूर किया जा सकता है, यह सब माता-पिता के हाथ में है, कई माता-पिता उनके पास आते हैं और कहते हैं उनका बच्चा बिना मोबाइल देखे खाना नहीं खाता, इसमें भी गलती माता-पिता की होती है, क्योंकि माता-पिता बच्चे के हाथ में मोबाइल थमा देते हैं। हां, यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, जब बच्चा भूखा होगा तो वह अपने आप ही कुछ खाने को मांगेगा, इसलिए इस बात का ख्याल रखा जाना चाहिए।

प्रश्न: मोबाइल फोन की तरंगें बच्चों के स्वास्थ्य पर कितना प्रभाव डालती हैं?

उत्तर: मोबाइल रेडिएशन से बच्चों के स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर पड़ रहा है। अगर बच्चों की आंतरिक कोशिकाओं पर यह तरंगे लगातार पड़ती रहीं, तो यह कैंसर का कारण भी बन सकती हैं, हालांकि इसका परीक्षण किया जा रहा है। इसके अलावा जो बच्चे ज्यादा फोन का इस्तेमाल कर रहे हैं, वे आत्महत्या करने पर मजबूर हो रहे हैं।

प्रश्न: आप पाठकों से क्या कहना चाहेंगे?

उत्तर: बच्चों पर ध्यान दें। अब हमारे पास जितने भी बच्चे आ रहे हैं, उनमें तकरीबन मुझे लगता है 30 से 40% बच्चे मोटे होने लगे हैं। हमारे पास पहले माता-पिता इस बात को लेकर आते थे कि हमारा बच्चा बहुत पतला है, जिसे कोई दवाई दें, लेकिन अब तकरीबन 40% पैरेंट्स इस इस कारण आते हैं, कि उनका बच्चा मोटा हो रहा है। इस कारण माता-पिता को अपने बच्चों का समय रहते खास ख़्याल रखने की जरूरत है।

प्रश्न: बच्चों को कब तक मोबाइल फोन देना उचित है?

उत्तर: आपने बिल्कुल वाजिब सवाल पूछा है, इस पर कई परीक्षण भी हुए हैं, जिसका सार यही है कि बच्चों को फोन का इस्तेमाल कम से कम 40 मिनट तक करना चाहिए, लेकिन हैरानी की बात है कि आजकल बच्चे स्क्रीन पर लगातार 4-4 घंटे बिता रहे हैं। जोकि बहुत ही खतरनाक है। यह एक नशा है। इस नशे से छुटकारा दिलाने के लिए माता-पिता को ही मेहनत करनी होगी। उन्होंने कहा कि मोबाईल का नशा दिनों दिन बढ़ रहा है। Sangrur News

उन्होंने कहा कि अगर बच्चों में मोबाईल का इस्तेमाल इसी तरह बढ़ता रहा तो आने वाले सालों में हमें बच्चों को मनोचिकित्सकों के पास ले जाना होगा। क्योंकि समाज में कुछ ऐसी चीजें हैं, जिनके बारे में हम नहीं जानते। भले ही हम खुद को नुकसान पहुंचा रहे हों, लेकिन इसका असर अगले पांच साल के बाद दिखाई देगा।

सवाल : मोबाईल के ज्यादा इस्तेमाल से बच्चों में किस तरह के प्रभाव नजर आ रहे हैं?

उत्तर: मोबाइल फोन के अत्यधिक उपयोग से प्रभावित होने वाले बच्चों को दो भागों में विभाजित किया गया है। एक मानसिक व दूसरा शारीरिक प्रभाव। हम मानसिक प्रभाव को शारीरिक प्रभाव से अधिक हानिकारक मान रहे हैं। सबसे पहले तो बच्चों में मोटापा बहुत ज्यादा बढ़ रहा है, बच्चे बाहर खेलने की बजाय मोबाइल तक ही सीमित रहने लगे हैं, जिससे हर बच्चे का वजन औसतन बढ़ रहा है। इसके अलावा मानसिक तनाव भी अधिक रहने लगा है, क्योंकि जितना ज्यादा बच्चे फोन देखेंगे, उन्हें सिरदर्द की शिकायत होगी और उनकी आंखों की रोशनी भी कम होगी। मोबाईल का इस्तेमाल करने वाला बच्चा ज्यादा चिड़चिड़ा हो जाता है और घर में इधर-उधर सामान फैंकता है। Sangrur News

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