लोधा कमेटी के पास जाने के लिए उच्च अधिकारी नहीं एकमत
- पंजाब सरकार कर रही विचार, वहीं अधिकारियों का मानना, ज्यादा फायदा मुमकिन नहीं
चंडीगढ़(सच कहूँँ/अश्वनी चावला)। पर्ल ग्रुप की जायदाद (Pearl Group Case) बेचकर पंजाबियों को पैसा वापिस करने का ऐलान कर चुकी पंजाब सरकार के हाथ अभी तक खाली ही नजर आ रहे हैं। सीएम भगवंत मान ने एक माह में सारा पैसा वापिस लौटाने का ऐलान किया था लेकिन सरकार के अधिकारी इस ऐलान को पूरा करने के लिए कोई पुख्ता कदम ही नहीं उठा पा रहे हैं। हालांकि सीएम भगवंत मान इस मामले में लोधा कमेटी के पास जाने को लेकर विचार कर रहे हैं लेकिन सरकार के उच्च अधिकारी इसे लेकर कोई ज्यादा इतेफाक नहीं रखते कि लोधा कमेटी सिर्फ पंजाबियों के पैसे वापिस करने के लिए जायदाद को बेचने की इजाजत देगी।
इस कारण ही लोधा कमेटी के पास जाने या फिर नहीं जाने का फैसला अभी अधर में ही लटकता नजर आ रहा है। जानकारी के अनुसार पर्ल?गु्रप ने पंजाब सहित देश के आधा दर्जन राज्यों के करोड़ों लोगों से रूपये इकट्ठे करते हुए 60 हजार करोड़ के लगभग घपला किया था। इस मामले में कई राज्यों के लोगों की शिकायतें आने के बाद सीबीआई ने मामला दर्ज करते हुए जांच शुरू की और पर्ल गु्रप के मालिक निर्मल सिंह भंगू सहित कई अन्य लोगों को गिरफ्तार किया। इस मामले की गंभीरता को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट के आदेशों पर लोधा कमेटी तैयार की गई थी। अब तक इस मामले में लोधा कमेटी ही जांच कर रही है।
कई राज्यों के करोड़ों लोगों के रूपये फंसे
सीएम भगवंत मान ने 2 महीने पहले इस मामले में उच्च स्तरीय जांच करने के आदेश देते हुए पंजाबियों को जल्द ही पैसा वापिस करने का भरोसा दिया था लेकिन अब तक इस मामले में कोई भी ठोस कार्रवाई नहीं हो पाई है। पंजाब सरकार पर्ल गु्रप की जायदाद को अपने स्तर पर न ही निलाम कर सकती है और न ही कोई कार्रवाई कर सकती है। इसलिए सीएम मान इस मामले में लोधा कमेटी के पास जाकर निलामी करने के स्वीकृति मांगने के पक्ष में हैं।
उनकी तरफ से इस संबंधी अपने अधिकारियों से विचार भी किया गया है लेकिन पंजाब सरकार के उच्च अधिकारी इस मामले को लेकर एकमत नहंी हैं कि सिर्फ पंजाब के लोगों को पैसा वापिस करने के लिए लोधा कमेटी निलामी करने का फैसला नहीं करेगी, क्योंकि पंजाब के अलावा अन्य राज्यों के करोड़ों लोगों के रूपये इसमें फंसे हुए हैं। इसलिए सिर्फ पंजाब के लिए कोई फैसला लेना मुमकिन नहीं है। पंजाब सरकार के एक अधिकारी ने बताया कि यह मामला विचाराधीन है लेकिन लोधा कमेटी के पास जाने का अभी कोई फैसला नहीं लिया गया है।
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