सच कहूँ पड़ताल। ये कैसा ‘स्वच्छ भारत’, यहां गंदगी बन गई ग्रामीणों की जान की दुश्मन, एक की मौत, 8 दर्जन से भी अधिक लोग बीमारी की चपेट में
- 16 से अधिक अस्पतालोें में भर्ती
सच कहूँ/सुरजीत कुराली
नारायणगढ़। देशभर में स्वच्छता व सफाई के नाम पर करोड़ों-अरबों रुपये मात्र प्रचार पर खर्च कर इस कदर ढिंढ़ोरा पीटा जा रहा है कि मानो जैसे पूरा देश ही गंदगी मुक्त हो गया हो। लेकिन स्वच्छता की हकीकत इन प्रचार विज्ञापनों व दावों से कोसों दूर है। यह सच देखना चाहते हैं तो चले आइए अंबाला के उपमंडल नारायणगढ़ के गांव नखडौली में। यहां गंदगी ग्रामीणों की जान का दुश्मन बनी है। गंदगी व दूषित पेयजल की वजह से 100 से भी अधिक ग्रामीण भयंकर बीमारी की चपेट में हैं जिनमें से 16 लोग अलग-अलग अस्पतालों में उपचाराधीन हैं। गंदगी का आलम इस कदर है कि गांव में महामारी फैलने के आसार बने हैं।
जगह-जगह लगे गंदगी के अंबार व दूषित पेयजल है बड़ी वजह
अभी दो दिन पूर्व ही एक युवक की मौत के बाद तो ग्रामीण और ज्यादा घबरा गए हैं। शुक्रवार को सच कहूँ की टीम ने गांव का दौरा किया और जाना कि आखिर भारी गंदगी के सम्राज्य के बीच लोग किस तरह से जिंदगी व मौत के बीच जूझ रहे हैं। जैसे ही टीम ने गांव में प्रवेश किया तो सामने की तस्वीर हैरान करने वाली थी। इतनी ज्यादा गंदगी देख ऐसा लग रहा था जैसे कूड़े के बीच कोई गांव बसा दिया हो। पूरा गांव गंदगी से अटा है लेकिन न तो ग्राम सरपंच को फिक्र है और न स्वास्थ्य विभाग को।
जनस्वास्थ्य विभाग व ग्राम पंचायत झाड़ रहे पल्ला
टीम ने देखा कि किस तरह से लोग नरकीय जीवन जी रहे हैं। गांव के चारों तरफ गंदगी ही गंदगी भरी है। नालियां गंदगी से अटी पड़ी हैं, नालों की निकासी का कोई प्रबंध नहीं है। जगह-जगह गंदे पानी के तालाब बने हैं। नालियों में घास ही घास है। गंदगी में ही पानी की टोंटियां लगी हैं। ग्रामीणों से बात करने पर पता चला कि ग्राम पंचायत सफाई के प्रति जागरूक होती तो आज गांव में बीमारी पांव न पसार पाती। ग्राम स्वीपर भी सफाई की ओर ध्यान नहीं देता। जब जनस्वास्थ्य विभाग से बात की गई तो वह भी अपना पल्ला झाड़ता नजर आया।
ये ग्रामीण हैं बीमारी की चपेट में
गंदगी से फैल रही बीमारियों की चपेट में अब तक 100 के आसपास लोग आ चुके हैं। इनमें से 16 की तबियत अधिक खराब होने पर इन्हें विभिन्न अस्पतालों में भर्ती करवाया गया है। गंदगी से बीमार लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है। रामधन, संतोष, सोमा देवी, पम्मी देवी, गोगी, राजपाल, नीरजा, गुलाब सिंह, मेहरचंद, सुमन, संदल, जमवंती, बिछा राम, विमला, मेहर सिंह, तुंबो आदि वे लोग हैं जोकि गंदगी से फैल रही बीमारी का शिकार होकर विभिन्न अस्पतालों में एडमिट किए गए हैं। इसके अलावा कशिश , निखिल, रक्षा देवी, गुलाब सिंह,जीतो देवी, नक्ष, कृष्णा , अंकित, बचना राम,ननू राम, देवीदयाल, रोशनी आदि वे लोग हैं जोकि बीमारी की चपेट में आ चुके हैं।
दीपचंद की मौत, पिता व माँ भी चपेट में
गांव के 24 वर्षीय युवक दीपचंद पुत्र देवीदयाल की मौत हो गई है। दीपचंद के पिता देवीदाल ने बताया कि 2 दिन पूर्व उनके पुत्र को दस्त लग गए। उसे दवाई दिलाई गई लेकिन असर न होने पर उसे मुलाना अस्पताल ले गए। उसकी स्थिति बिगड़ती गई और अंत में उसकी मौत हो गई। देवीदयाल का कहना है कि वह स्वयं, उसकी पत्नी भी इस बीमारी की चपेट में आ चुके हैं।
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