हथिनीकुंड बैराज से छोड़े जाने वाले पानी की मात्रा में भी आई कमी
- तटवर्ती क्षेत्र के बाशिंदों को राहत मिलने की जगी आस | Kairana News
कैराना (सच कहूँ न्यूज)। विगत तीन दिनों से खतरे के निशान से ऊपर बह रही यमुना के जलस्तर में 40 सेंटीमीटर की आंशिक गिरावट दर्ज की गई है। हालांकि क्षेत्र में यमुना (Yamuna) का बहाव अभी भी खतरे के निशान से 40 सेंटीमीटर ऊपर है। वही, हथिनीकुंड बैराज से छोड़े जाने वाले पानी की मात्रा में भी कमी आई है, जिससे आने वाले दिनों में तटवर्ती क्षेत्र के बाशिंदों को राहत मिलने की संभावना है।
पिछले कई दिनों से पहाड़ी व मैदानी क्षेत्र में हो रही मूसलाधार वर्षा से यमुना के जलस्तर में भारी वृद्धि हुई है। विगत सोमवार को हथिनीकुंड बैराज से यमुना में छोड़े गए 2.94 लाख क्यूसेक पानी ने क्षेत्र में तबाही मचाने का कार्य किया था। यमुना के पानी के दबाव से गांव सहपत के निकट से गुजर रहा तटबंध बह गया था, जिससे आसपास के किसानों की सैंकड़ों बीघा फसलें पानी के आगोश में समा गई थी। इसके अलावा, खादर क्षेत्र के करीब आधा दर्जन स्थानों पर भी तटबंध में रिसाव हुआ था। Kairana News
हालांकि प्रशासन एवं ड्रेनेज विभाग की मुस्तैदी के चलते टूटे तटबंध को दुरुस्त करा दिया गया था। वही, यमुना का बहाव क्षेत्र में खतरे के निशान से 80 सेंटीमीटर ऊपर पहुंच गया था। लेकिन बुधवार को हथिनीकुंड बैराज से यमुना में कम पानी छोड़ा गया, जिसके चलते गुरुवार को कैराना में यमुना का जलस्तर में 40 सेंटीमीटर की आंशिक गिरावट के साथ 231.90 मीटर पर आ गया। हालांकि क्षेत्र में यमुना का बहाव अभी भी खतरे के निशान से 40 सेंटीमीटर ऊपर है। यूपी-हरियाणा सीमा पर स्थित यमुना ब्रिज के सूचकांक पर चेतावनी बिंदु 231.00 मीटर तथा खतरे का निशान 231.50 मीटर पर निर्धारित किया गया है।
उधर, बैराज से यमुना में छोड़े जाने वाले पानी की मात्रा में भी भारी कमी आई है। इससे तटवर्ती क्षेत्र के लोगो को राहत मिलने की उम्मीद जगी है। ड्रेनेज विभाग के सहायक अभियंता राजेन्द्र सिंह ने बताया कि हथिनीकुंड बैराज से गुरुवार प्रातः छह बजे 1,50,803 क्यूसेक, आठ बजे 1,59,757 क्यूसेक, शाम चार बजे 88,329 क्यूसेक तथा पांच बजे 61000 क्यूसेक पानी यमुना में डिस्चार्ज किया गया। उन्होंने बताया कि इससे क्षेत्र में यमुना का जलस्तर नीचे आयेगा तथा तटवर्ती क्षेत्र के लोगो को राहत मिलेगी।
किसानों के सामने खड़ा हुआ पशुओं के चारे का संकट | Kairana News
यमुना का आकार बढ़ने से तटवर्ती क्षेत्र की हजारों बीघा फसलें पानी में डूबी हुई है। यमुना के निचले इलाकों के खेतों में पूरी तरह से पानी भरा हुआ है, जिससे किसानों के सामने पशुओं के लिए हरे चारे का संकट खड़ा हो गया है। किसान भूसा आदि डालकर पशुओं के खाने का इंतजाम कर रहे है। लेकिन जिन गरीब किसानों के पास भूसा उपलब्ध नही है। उन्हें भारी परेशानियों से दो-चार होना पड़ रहा है। हालांकि यमुना का जलस्तर घटने से तटवर्ती किसानों को राहत मिलने की आस जगी है।
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