आधार कार्ड को वोटर आईकार्ड से जोड़ने वाले विधेयक पर संसद की मुहर

linking Aadhar card with voter ID card sachkahoon

नई दिल्ली (सच कहूँ न्यूज)। राज्यसभा में मंगलवार को कांग्रेस और संपूर्ण विपक्ष के वाकआउट के बीच आधार कार्ड को वोटर आई कार्ड से जोड़ने, सर्विसेस वोट में लिंग समानता करने और साल में चार बार नए मतदाता बनाने का प्रावधान करने वाले निर्वाचन विधि (संशोधन) विधेयक 2021 पर संसद की मुहर लग गई। इससे पहले राज्यसभा ने इस विधेयक को प्रवार समिति में भेजने के प्रस्ताव को खारिज करते हुए ध्वनिमत से पारित कर दिया। लोकसभा ने इसे सोमवार को पारित कर चुकी है।

विपक्ष का कहना था कि सरकार ने इस महत्वपूर्ण विधेयक पर विपक्ष को अध्ययन के लिए पर्याप्त समय नहीं दिया है इसलिए इसे प्रवर समिति के पास भेज देना चाहिए। विपक्ष ने आरोप लगाया कि इसके जरिए सरकार लोगों को मताधिकार से वंचित करना चाहती है। विपक्ष के हंगामें के बीच लगभग एक घंटे तक चली संक्षिप्त चर्चा का जवाब देते हुए विधि एवं न्याय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि इस विधेयक का वे लोग ही विरोध कर रहे हैं जो फर्जी और नकली मतदान के जरिए चुनाव जीतते रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह विधेयक संसद की स्थायी समिति में भेजा गया था जहां सभी दलों के सदस्यों के सुझाव इसमें शामिल किये गये हैं। इसलिए सदन में विपक्षी दलों के विरोध का कोई औचित्य नहीं है।

देश के लिए बहुत जरूरी

रिजिजू ने चुनाव संबंधी सुधारों को देश के लिए जरूरी बताते हुए कहा कि इससे एक तरफ मतदाता सूची में दोहराव और फर्जी मतदान को रोकने में सफलता मिलेगी साथ ही यह लिंग भेदभाव को भी समाप्त करेगा। उन्होंने कहा कि सरकार ने जन प्रतिनिधित्व कानून में संशोधन का प्रस्ताव इसलिये किया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई व्यक्ति एक से अधिक निर्वाचन क्षेत्र में पंजीकरण न करा सके तथा फर्जी तरीके से मतदान को रोका जा सके। उन्होंने कहा कि इस विधेयक के माध्यम से मतदाता कार्ड को आधार कार्ड से जोड़ने का प्रावधान किया गया है जो अनिवार्य नहीं बल्कि एैच्छिक है।

कई विपक्षी दलों ने किया विरोध

उन्होंने कहा कि वर्तमान चुनावी कानून के प्रावधानों के तहत, किसी भी सैन्यकर्मी की पत्नी को सैन्य मतदाता के रूप में पंजीकरण कराने की पात्रता है लेकिन महिला सैन्यकर्मी का पति इसका पात्र नहीं है। इस विधेयक को संसद की मंजूरी मिलने पर स्थितियां बदल जाएंगी। उन्होंने कहा कि अब तक अठारह साल की उम्र की अर्हता के लिए एक जनवरी की तिथि को माना जाता था लेकिन इस विधेयक के माध्यम से अर्हता की तिथि में बदलाव किया गया है। इसके लिए अब एक जनवरी के अलावा एक अप्रैल, एक जुलाई और एक अक्टूबर को भी जिसकी उम्र अठारह साल की होगी वह मतदाता सूची में अपना नाम जुड़वाने के लिए वैध होगा। हंगामे के बीच कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, द्रमुक, शिव सेना समेत कई विपक्षी दलों ने इस विधेयक के लाने के तरीके का विरोध करते हुए इसे अलोकतांत्रिक बताया।

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