असहाय को सहारा | Miracle
Param Pita Shah Satnam Ji Maharaj: सन् 1983 में पूजनीय परम पिता शाह सतनाम जी महाराज जी की रहमत से मुझे पब्लिक वर्कस विभाग में नौकरी मिल गई। मेरी ड्यूटी हॉट मिक्सरचर (बजरी व तारकोल आदि को गर्म कर मिलाने वाली मशीन) पर थी। एक दिन वह मशीन खराब हो गई। उसे ठीक करवाने के लिए मैं मिस्त्री के पास गया। मिस्त्री ने कहा कि मशीन के ड्रम के अंदर जाकर इसे ठीक करना पड़ेगा। उसके कहे अनुसार मैं नट-बोल्ट खोलने के लिए एक लीटर डीजल का डिब्बा व कुछ चाबियां लेकर उस मशीन में बड़ी मुश्किल से गया क्योंकि अंदर जानेके लिए जगह बहुत ही कम थी। मैं अंदर जाकर तेल से साफ करके नट-बोल्ट खोलने लगा परंतु वह नहीं खुले। तब मिस्त्री ने कहा कि इनको बाहर से वैल्डिंग से काट देते हैं। Param Pita Shah Satnam Ji
यह कहकर उसे वैल्डिंग से काटना शुरू कर दिया। अभी एक ही नट कटा था कि मशीन में आग लग गई। मैं मशीन के अंदर ही था। मैंने मिस्त्री से कहा कि मशीन में आग लग गई है। उसे मेरी बात समझ में नहीं आई। मैंने शोर मचा दिया। जब उसे पता चला कि मशीन में आग लग गई है तो उसने वैल्डिंग करनी बंद कर दी। मैं इतनी जल्दी मशीन से बाहर नहीं आ सकता था क्योंकि रास्ता बहुत ही तंग था और उसमें भी आग लग चुकी थी। मुझे अपनी मौत सामने नजर आ रही थी।
तभी मैने ‘धन-धन सतगुरू तेरा ही आसरा’ का नारा लगाया और पूजनीय परम पिता जी से प्रार्थना की कि पिता जी मुझे बचाओ मेरा और कोई सहारा नहीं है। उसी समय पूजनीय परम पिता जी ने मुझे दर्शन दिए और फरमाया, ‘‘बेटा, घबराना नहीं, तुम्हें कुछ नहीं होने देंगे।’’ उसी समय पूजनीय परम पिता जी एक दूधिये के वेश में साईकिल पर पानी के दो ड्रम लेकर आ गए। मिस्त्री ने जल्दी-जल्दी पानी के दोनों ड्रम मशीन के अंदर डाल दिये।
थोड़ी देर बाद ही आग बुझ गई और मैं सही सलामत मशीन से बाहर आ गया। मैंने पूजनीय परम पिता जी का लाख-लाख धन्यवाद किया, जिन्होंने मुझे नई जिंदगी दी।
मो. दारा खान, राजपुरा, पटियाला (पंजाब)