पंचायत चुनाव में हिंसा: फिरोजपुर में 2 की मौत

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पंजाब (एजेंसी)। पंचायत चुनाव के दौरान रविवार को सूबे भर में कई जगह हिंसक झड़पें हुईं। फिरोजपुर, जलालाबाद, मोगा, बठिंडा, मुक्तसर, लुधियाना, पटियाला समेत कई इलाकों में बूथ कैप्चरिंग और फायरिंग हुई। फिरोजपुर में दो लोगों की जान चली गई। कुछ जगह चुनाव रद्द कर दिया गया है। ममदोट के गांव लखबीर के हिठाड़ में कुछ लोगों ने बूथ कैप्चर किया और मतपेटी को आग लगा दी। इसके बाद वे गाड़ी में सवार होकर भागने लगे। इस गाड़ी से कुचले जाने से वोट देने आए महिंदर सिंह (55) की मौत हो गई। यहां चुनाव रद्द कर दिया गया है। आईजी एमएस छीना का कहना है कि 8 लोगों की पहचान की गई है। फिरोजपुर के ही कोठे राय साहिब में अज्ञात लोगों ने बूथ कैप्चरिंग की कोशिश में 9 राउंड फायर किए। इससे वहां भगदड़ मच गई।

इस दौरान बोल पाने में लाचार सैमसन कुचला गया। उसकी मौके पर ही मौत हो गई। बताया जा रहा है कि भगदड़ के दौरान ईंटें भी चलीं। एक ईंट उसे भी लगी थी। जलालाबाद के गांव झुग्गे टेक सिंह वाला में सरपंच उम्मीदवार के भाई-भाभी ने मतपेटी में तेजाब डाल दिया। दोनों को अरेस्ट कर लिया गया है। गांव कोलियांवाली में भी दो पक्षों में झगड़ा हुआ। लुधियाना के ब्लाॅक सुधार के गांव देतवाल में कुछ लोगों ने बूथों पर कब्जा कर लिया। पटियाला के गांव हीरागढ़ में जाली वोट डालने के आरोप में कांग्रेस सरपंच प्रत्याशी के भाई का सिर फोड़ दिया। घनौर में सरपंच उम्मीदवार प्रवीन का नाम पंच में आने से समर्थकों ने चुनाव रुकवा दिया। यहां भी चुनाव रद्द कर दिया गया। समाना में सरपंच बने कांग्रेस समर्थित प्रत्याशी पर अकाली समर्थकों ने हमला कर दिया, जिसमें चार लोग जख्मी हुए हैं।

बहू ने सास को हराया; बोली- जनता ने पढ़े-लिखे को जिताया, अनपढ़ को हराया

जालंधर में गांव बेगमपुरा में 36 साल की कमलजीत कौर सरपंच चुनी गईं। उन्होंने अपनी सास 68 साल की बिमला देवी को 47 वोट से हराया। दोनों एक ही घर में रहती हैं, लेकिन बातचीत नहीं करतीं। जीतने के बाद कमलजीत ने कहा कि जनता ने पढ़ी-लिखी काे जिताया और अनपढ़ को हराया है।

  • शरबतगढ़ में सरपंची की उम्मीदवार गुरमीत कौर और मनदीप कौर को बराबर 128 वोट मिले। इसके बाद दोनों के 2.5-2.5 साल सरपंच बने रहने पर सहमति बनी।
  • धारकलां की हाड़ा में 21 साल की पल्लवी ठाकुर सबसे युवा सरपंच बनी। वह बीएससी आईटी की छात्रा है।
  • पूर्व सीएम परकाश सिंह बादल के गांव में कांग्रेस समर्थित जबरजंग सिंह जीत गए।

न भत्ता, न फंड; सिर्फ चौधर के लिए चुनाव :

गांव स्तर पर सरपंच को न तो फंड मिलता है और न कोई भत्ता। प्रोजेक्ट पास होने पर ही ग्रांट जारी की जाती है। एमपी या एमएलए अपनी विकास निधि से प्रोजेक्ट के तहत राशि जारी करते हैं। जानकारों की मानें तो यह चुनाव इलाके में चौधर के लिए ही लड़ा जाता है। क्योंकि, गांव के ज्यादातर लड़ाई-झगड़े सरपंच अपने स्तर पर निपटाता है। कुछ समय पहले 1500 रु. भत्ते की घोषणा हुई थी, लेकिन फिलहाल बंद है।

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