इस्लामाबाद। पाकिस्तान में इमरान खान ने राष्ट्रपति डॉ आरिफ अल्वी से नेशनल असेंबली को भंग करने की सिफारिश कर विपक्ष को पूरी तरह से धराशायी कर दिया, लेकिन पंजाब प्रांत में सरकार की हरकतों को लेकर विपक्ष सतर्क हो गया है। चर्चा है कि सरकार प्रांत में राज्यपाल शासन लगाने के बारे में सोच रही है। एक्सप्रेस ट्रिब्यून मंगलवार को अपनी रिपोर्ट में यह जानकारी दी है। बताया जा रहा है कि पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) ने प्रांत में अपने सांसदों को सतर्क रहने का निर्देश देते हुए सरकार की ओर उठाए जाने वाले इस तरह के किसी भी कदम को रोकने के लिए संयुक्त विपक्ष पर विचार-विमर्श किया है। इस संबंध में अलीम खान और तरीन खान समूह, (पीटीआई के असंतुष्ट समूह) से समर्थन मांगा है।
प्राप्त रिपोर्टों में कहा गया है कि सभी विपक्षी नेताओं ने 6 अप्रैल तक संयुक्त रूप से एक आम रणनीति के तहत काम करने पर सहमति व्यक्त की है। इस दिन पंजाब विधानसभा में सदन के नए नेता का चुनाव करने के लिए मतदान की उम्मीद है। पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता हमजा शहबाज ने कहा, “पंजाब में स्थिति बहुत विकट है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार कोई भी “असंवैधानिक कदम” उठा सकती है। इस बीच, पंजाब के नवनियुक्त राज्यपाल उमर चीमा ने प्रधानमंत्री इमरान खान से मुलाकात की, जिसके बाद इमरान ने मंगलवार को लाहौर जाने का फैसला किया। उम्मीद की जा रही है इमरान वहां पर पार्टी के नेताओं से मिलेंगे और राजनीतिक संकट से निपटने को लेकर चर्चा करेंगे।
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