आॅक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी आफ लंदन की रिपोर्ट में पाकिस्तान को सीरिया से तीन गुणा अधिक खतरनाक घोषित किया गया है। यह रिपोर्ट वास्तविकता को ही बयान कर रही है। जम्मू-कश्मीर में रोजाना हो रहे आतंकवादी हमलों को देखा जाए तब रिपोर्ट शत-प्रतिशत सही साबित हो रही है। पिछले सात दिनों में जम्मू -कश्मीर में हुए हमलों में तीन जवान शहीद हो चुके हैं। पठानकोट व दीनानगर में हुए हमलों के बाद यह उम्मीद बंधी थी कि पाकिस्तान की करतूतों का पदार्फाश होने के बाद ऐसी घटनाएं दोबारा नहीं घटेंगी।
पाक ने भारत को जांच में सहयोग का नाटक खेल उल्टा अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान इस मामले से हटाने का प्रयास किया। इन हमलों के बाद भी जम्मू-कश्मीर में हमले ज्यों के त्यों जारी हैं। जालंधर से तीन आतंकियों की हथियारों सहित गिरफ्तारी भी एक बड़ी घटना है। यदि यह आतंकवादी न पकड़े जाते तब शिक्षण संस्थाओं में किसी बड़ी घटना को अंजाम दे दिया जानाथा। इन षड़यंत्रों के संबंध में आॅक्सफोर्ड की रिपोर्ट 100 प्रतिशत सच है। भारत सहित अंतरराष्ट्रीय समुदाय को उक्त रिपोर्ट को गंभीरता से लेना चाहिए।
अभी हाल यह है कि सुरक्षा को गंभीरता से नहीं लिया जाता। सुरक्षा व खुफिया एजेंसियों का पूरा जोर राजनीतिक रैलियों व मंत्रियों के दौरों को सफल करने में लगा रहता है। यदि जम्मू-कश्मीर पुलिस आतंकवादियों का जालंधर तक पीछा न करती तब पंजाब पुलिस तो कुंभकर्णी नींद सोई पड़ी थी। आतंकवादी केवल कश्मीर तक सीमित नहीं वह पंजाब, दिल्ली सहित अन्य राज्यों में भी अपनी, गतिविधियां सक्रिय करने के प्रयास में हैं। पाकिस्तान आतंकवाद की नर्सरी बन चुका है, जहां प्रधानमंत्री व सरकार के अन्य अधिकारी आतंकवादियों का समर्थन कर रहे हैं।
अमेरिका ने आतंकवादी घोषित किए हाफिज मौहम्मद सैय्यद के संगठन को पाकिस्तान में पाबंदी मुक्त कर दिया। पाक सेना प्रमुख सरेआम भारत को धमकियां दे रहा है। ऐसे में भारत सरकार को विदेशी ताकतों का मुकाबला करने के लिए सुरक्षा प्रबंधों को चाक-चौबंद करने में कोई कसर नहीं छोड़नी चाहिए। देश की सुरक्षा के लिए केवल ऊंचे-ऊंचे नारे लगाने ही गनीमत नहीं, बल्कि आतंकियों के इरादों को भांपने व समय पर कार्रवाई करने की सख्त आवश्यकता है।
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