कश्मीर को खुर्द-बुर्द कर रहा पाकिस्तान

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पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर के गिलगित-बाल्टीस्तान के भारतीय क्षेत्र में कई फेरबदल कर लिए हैं। 1947 में भारत-पाक बंटवारे के दौरान जम्मू-कश्मीर के महाराजा हरिसिंह ने प्रदेश का विलय भारत में कर दिया था। कानूनन भारत को ही जम्मू-कश्मीर के भविष्य पर फैसले करने के सब अधिकार हैं। लेकिन 1948 में कबाईलियों के साथ मिलकर पाकिस्तान ने भारत के आधे के करीब जम्मू-कश्मीर पर कब्जा कर लिया जो अभी भी जारी है। पाकिस्तान यूूं तो अधिकृ त जम्मू-कश्मीर को ‘आजाद कश्मीर’ कहता है लेकिन वह चुपके-चुपके कश्मीर के भू-भाग को अपने में मिला रहा है।

इससे पहले वह कुछ हिस्सा जो अक्साई चीन से सटता है वह चीन को दे चुका है, जो 6100 वर्ग किलोमीटर है। चीन का सीपीईसी प्रॉजैक्ट जो कि चीन से पाकिस्तान के ग्वाद्र बंदरगाह तक एक बड़ा रोड़ प्रॉजैक्ट है, जिस पर कई आर्थिक जोन भी बनाए जा रहे हैं भी गिलगित-बाल्टीस्तान से होकर गुजर रहा है। फाटा क्षेत्र जो कि अफ्गानिस्तान से सटता है।

पहले वह एक स्वायत क्षेत्र रहा है। ये गिलगित-बाल्टीस्तान से सटता है। इसके सात जिलों को अब पाकिस्तान अपने खैबर पख्तूनवा प्रान्त में शामिल कर रहा है। ये जिले खैबर, उत्तरी वजीरीस्तान, दक्षिणी वजीरीस्तान, बाजौर, आरेकजई, मोहम्मद व खुर्रम हैं। ये इलाका अब पाकिस्तान का पांचवां प्रान्त होगा। भारत ने भले ही पाक उच्चायुक्त को बुलाकर गिलगित-बाल्टीस्तान पर अपना एतराज जता दिया है, लेकिन पाकिस्तान की सेहत पर इसका कोई खास असर होता नहीं दिख रहा।

उस पर पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर में आए दिन सीमापार से फायरिंग कर भारतीय क्षेत्र में तबाही फैला रहा है। भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का यह तर्क ठीक है कि आतंक व बातचीत साथ-2 नहीं चल सकते, परंतु पाकिस्तान के इरादों से साफ है कि वह भारत को अब कश्मीर लौटाने के मूड में कतई नहीं है। अब उसके द्वारा कब्जाए कश्मीर में चीन ने भी धन लगा रखा है।

अत: मामला साल-दर-साल जटिल हो रहा है। भारत की सरकार ने संसद में देशवासियों से वायदा किया है कि वह भारत की एक इंच जमीन भी किसी दूसरे देश के कब्जे में नहीं रहने देंगे। भारत सरकार को स्पष्ट करना चाहिए कि कैसे व कब तक वह कश्मीर को वापिस हासिल करने वाले हैं? जबकि अवैध कब्जाधारी पाकिस्तान धीरे-2 कश्मीर का पूरा वजूद ही खत्म कर रहे हैं।

 

 

 

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