पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने संयुक्त बयान देकर यह संदेश दिया है कि जम्मू कश्मीर के मामले में एकतरफा कार्रवाई को बर्दाश्त नहीं करेंगे। पाक प्रधानमंत्री इमरान खान इन दिनों चीन दौरे पर हैं। दरअसल, पाकिस्तान कश्मीर मामले को उलझाने के लिए चीन का सहारा ले रहा है। इस बयान से चीन की कश्मीर मामले में सांकेतिक रूप से दखल भी देखने को मिला, दूसरी तरफ पाकिस्तान ने ताइवान, सिंगापुर, दक्षिणी चीन सागर और तिब्बत में चीन का समर्थन किया है। स्पष्ट शब्दों में पाकिस्तान कश्मीर मामले में चीन का समर्थन लेने के लिए अब सौदेबाजी पर उतर आया है। चीन पाकिस्तान में अपने प्रोजैक्ट्स को आगे बढ़ाने के लिए समझौता कर रहा है। इन परिस्थितियों में भारत के लिए एक और चुनौती बन गई है कि पाकिस्तान के साथ-साथ चीन से कैसे निपटा जाए। वास्तव में चीन भारत को बुरी नजर से देख रहा है।
गलवान घाटी में हुए हमले के बाद कई दौर की बातचीत के बावजूद चीन अपने इरादों में नेक नजर नहीं आ रहा। यह भी सोचने वाली बात है कि विंटर ओलंपिक खेलों में चीन ने उसी सैनिक को मशाल पकड़ाई, जो गलवान घाटी में भारतीय सेना पर हुए हमले में घायल हो गया था। ऐसी कार्रवाईयां चीन की नीतियों और इरादों को स्पष्ट करती हैं। अब कश्मीर मामले में सांकेतक दखल देने की कोशिश चीन-भारत संबंधों के लिए शुभ नहीं। इस मामले में भारत को ठोस कूटनीतिक तैयारी करनी होगी। विगत समय में भारत ने चीन के साथ व्यापारिक रिश्ते मजबूत करने की कोशिश की थी। इसके बावजूद गलवान घाटी की घटना घट गई, जिससे इस बात की पुष्टि हुई कि चीन के साथ रिश्ते रखने के साथ-साथ सतर्क भी रहना होगा। चीन भारत के साथ मित्रता का हाथ भी बढ़ाता है और फिर सीमा पर हमला भी करता है। चीन की दोहरी नीति से निपटने के लिए भारत को ठोस कूटनीतिक कदम उठाने होंगे, दूसरी तरफ पाकिस्तान को कश्मीर मामले से बाहर करने के लिए भी अंतरराष्ट्रीय मंचों पर और मजबूत होना पड़ेगा।
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