आखिर पाकिस्तान ने आतंकवाद, अमन-शांति और अंतरराष्टÑीय मंचों की वास्विकता को समझते हुए भारत के विंग कमांडर अभिनंदन को रिहा कर दिया। यह घटनाचक्कर बहुपर्तीय है। बाहरी तौर पर पाकिस्तान ने कमांडर की रिहाई के निर्णय को अमन-शांति का संदेश देने की बात कही है। यह बात कहकर पाकिस्तान आतंकवाद की अपनी शह पर पर्दा डालने की कोशिश कर रहा है लेकिन वास्विकता यह है कि बालाकोट में हुई सर्जीकल स्ट्राईक के बाद पाकिस्तान भी हक्का-बक्का रह गया था। प्रधानमंत्री इमरान खान सहित पाकिस्तान सेना, आईएसआई व आतंकवाद संगठनों को इस बात की आशा नहीं थी कि भारत इतनी बड़ी कार्रवाई करेगा।
भारतीय सेना की ताकत का अहसास पूर्व सेना प्रमुख परवेज मुरर्शफ ने ही अपनी सरकारों को करवा दिया था। ऊपर से अंतरराष्टÑीय दबाव इतना अधिक था कि पाकिस्तान के पास विंग कमांडर की वापसी न करने का कोई बहाना नहीं था। पाकिस्तान की होशियारी महज इतनी ही रह गई कि वह विंग कमांडर को वापिस भारत भेजने की अपनी मजबूरी को अमन-शांति का कदम रहकर अंतरराष्टÑीय भाईचारे को संतुष्ट करने में जुट गया। अब हालात यह हैं कि पाकिस्तान-भारत के मुकाबले अपने कमजोर सेना प्रबंधों व अंतरराष्टÑीय दबाव के कारण जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी कार्रवाईयों को आगे बढ़ाने से पहले सौ बार सोचेगा। भारत के लिए अब बड़ी चुनौती अलगाववादियों व पत्थरबाजों के साथ निपटना है।
अगर घर में सब सही सलामत होगा तब विदेशी ताकतों के मंसूबे फेल हो जाएंगे। कश्मीर में आतंकवादियों के साथ मुकाबले दौरान नागरिकों की सुरक्षा के लिए विशेष रणनीति तैयार करनी होगी। कश्मीरी युवाओं को भटकाने व आतंकवाद की तरफ धकेलने वाली ताकतों को बेअसर करने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे। जम्मू-कश्मीर सीमा पर पहरेदारी और मजबूत करनी होगी। अमेरिका पर एक हमला (9/11) हुआ था। फिर किसी ने उस तरफ देखने की हिम्मत तक नहीं की थी। अमेरिका ने आंतरिक सुरक्षा को मजबूत कर लिया है कि पक्षी भी पंख नहीं मार सकता। डोनाल्ड टंÑप ने तो हैरोईन की तस्करी रोकने के लिए मैक्सिको सीमा पर दीवार बनाने का निर्णय तक ले लिया है। तो हमारे यहां भी हथियारबंद आतंकवादियों को रोकने के लिए भी दीवार होनी चाहिए। पुलवामा, उड़ी जैसे हमलों के बाद भारत को अमेरिकी नजरिया अपनाने पर और ठोस काम करने की आवश्यकता है।
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