रक्षा व सैन्य प्रतिष्ठानों में फैलता पाक जासूसों का जाल

Pak traps network

देश के रक्षा और सैन्य प्रतिष्ठानों में पाकिस्तानी जासूसों का जाल जिस कदर फैलता जा रहा है, वह बेहद चिंता का विषय है। सबसे बड़ी चिंता की बात तो यह है कि न केवल सेना के जवान बल्कि अब तो सेना और रक्षा प्रतिष्ठानों के बड़े-बड़े अधिकारी, वैज्ञानिक और यहां तक कि राजनयिक भी देश के साथ गद्दारी करते पकड़े जा रहे हैं। अब नागपुर में रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) की ब्रह्मोस यूनिट के सीनियर सिस्टम इंजीनियर निशांत अग्रवाल तथा कानपुर व आगरा स्थित रक्षा प्रयोगशाला डिफेंस मैटेरियल्स एंड स्टोर्स रिसर्च एंड डेवलपमेंट (डीएमएसआरडीई) की महिला वैज्ञानिक सहित दो वैज्ञानिकों को दबोचा गया है। निशांत द्वारा ब्रह्मोस यूनिट की कई गोपनीय जानकारियां अपने निजी लैपटॉप में सेव कर ली गई थी जबकि इस प्रकार के गोपनीय दस्तावेज यूनिट से बाहर नहीं ले जाए जा सकते। चूंकि निशांत की फेसबुक आईडी से दो महिलाओं की छद्म नामों से बनी ऐसी फेसबुक आईडी पर चैटिंग का खुलासा हुआ है, जो पाकिस्तान से संचालित हो रही थी, अत: जांच एजेंसियों द्वारा अब यह पता लगाया जा रहा है कि कहीं यह भी ‘हनीट्रैप’ का मामला तो नहीं है।

पिछले ही महीने 18 सितम्बर को उत्तर प्रदेश एटीएस द्वारा हनी ट्रैप के शिकार बीएसएफ के एक जवान अच्युतानंद मिश्रा को सरकारी गोपनीयता कानून के तहत गिरफ्तार किया था। उसी से पूछताछ के दौरान डीआरडीओ के इंजीनियर निशांत अग्रवाल के बारे में सुराग मिला, साथ ही उत्तर प्रदेश से दो और वैज्ञानिक भी जासूसी के मामले में पकड़े गए। कुरूक्षेत्र के नेशनल इंस्टीच्यूट आॅफ टैक्नोलॉजी से इंजीनियरिंग कर चुका और रूड़की में रिसर्च इंटर्न रह चुका उत्तराखण्ड निवासी निशांत पिछले चार वर्षों से डीआरडीओ की ब्रह्मोस मिसाइल यूनिट के प्रोजेक्ट में कार्यरत था, जिसे पिछले ही साल युवा वैज्ञानिक पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था। हालांकि जासूसी का यह कोई नया मामला नहीं है लेकिन अगर देश का ऐसा होनहार वैज्ञानिक भी पाकिस्तान के लिए जासूसी करता पकड़ा जाए तो इससे बड़ी शर्म की बात और क्या हो सकती है। कल्पना की जा सकती है कि जिस मां-बाप ने अपनी कड़ी मेहनत के बाद अपने बेटे को कैरियर के इस मुकाम तक पहुंचाया होगा, जब उन्हें पता लगा होगा कि उनके बेटे ने क्या गुनाह किया है तो उनके कलेजे पर क्या बीती होगी। उच्च पदों पर आसीन लोग भी अगर महंगे कपड़ों, महंगी कारों, महंगी बाइकों, महंगी चीजों के शौक को पूरा करने और विलासितापूर्ण जीवन जीने के लिए इस प्रकार ‘हनीट्रैप’ में फंसकर देश के साथ गद्दारी कर यहां की खुफिया जानकारियां दुश्मन देश तक पहुंचने का जरिया बनने लगे तो देश के लिए इससे बड़ी दुर्भाग्य की बात और क्या हो सकती है। आखिर हो गया है क्या हमारे प्रतिभा सम्पन्न युवाओं की मानसिकता को?

कुछ ही माह पहले पाकिस्तान को गोपनीय सूचनाएं लीक करने के मामले में भारत की पूर्व राजनयिक माधुरी गुप्ता को आईएसआई के लिए जासूसी करने के मामले में सरकारी गोपनीयता कानून की धारा 3 और 5 के तहत सजा सुनाई गई थी, जो 2007 से 22 अप्रैल 2010 तक पाकिस्तान में इस्लामाबाद स्थित भारत उच्चायोग में तैनात थी, जिसे बतौर राजनयिक अपने कार्यकाल के दौरान उन्हें पाक खुफिया एजेंसी आईएसआई के साथ संवेदनशील जानकारियां साझा करने तथा राष्ट्रीय हितों के साथ समझौता करने का दोषी पाया गया। माधुरी आईएसआई के दो अधिकारियों मुबशर रजा राणा और जमशेद एलियास जिम के निरन्तर सम्पर्क में थी और पाकिस्तानी अधिकारियों को संवदेनशील जानकारियां उपलब्ध कराती थी। वह देश से बाहर के लिए भारत सरकार द्वारा बनाई जाने वाली तमाम बड़ी योजनाओं की जानकारियां एकत्रित करने में खासी दिलचस्पी लेती थी। पाक खुफिया एजेंसी ने माधुरी को हनीट्रैप में फंसाने के लिए अपने दो जासूसों मुबशर रजा राणा और 30 वर्षीय जमशेद एलियास जिम का इस्तेमाल किया था, जिनका मकसद माधुरी को अपने प्यार के जाल में फंसाकर उनसे भारत से जुड़ी गोपनीय और संवदेनशील जानकारियां उगलवाना था और आईएसआई अपने इस उद्देश्य में कामयाब भी हुई थी।

अब प्रशांत अग्रवाल के संबंध में खुलासा हुआ है कि वह पिछले दो वर्षों से ब्रह्मोस मिसाइल परियोजना की गोपनीय जानकारियां अमेरिका और पाकिस्तान को उपलब्ध करा रहा था लेकिन हैरानी की बात है कि किसी को इसकी भनक तक नहीं लगी। अगर पिछले माह अच्युतानंद मिश्रा की गिरफ्तारी नहीं हुई होती तो शायद निशांत का यह खेल भी बहुत लंबा चलता। माना जा रहा है कि चूंकि भारत की ब्रह्मोस मिसाइल से पाकिस्तान भयभीत है, इसीलिए उसने निशांत जैसे इंजीनियरों को हनीट्रैप के जरिये अपना शिकार बनाया। बता दें कि ब्रह्मोस एक ऐसी सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है, जो 3700 किलोमीटर प्रति घंटा की तेज गति से करीब 290 किलोमीटर की दूरी तक मार कर सकती है और परमाणु हथियारों के साथ हमला करने में सक्षम है। सेना के जंगी बेड़े में शामिल इस मिसाइल का निर्माण भारत और रूस के वैज्ञानिकों ने मिलकर किया है, जो कम ऊंचाई पर उड़ान भरने के कारण रडार को भी आसानी से चकमा दे सकती है। हिंद महासागर में निरंतर अपनी उपस्थिति बढ़ा रहे चीन और पाकिस्तान के जहाजों पर भी यह इसीलिए भारी है चूंकि इसे पनडुब्बी से जमीन, हवा अथवा पानी से अर्थात् कहीं से छोड़ा जा सकता है। अमेरिका, कोरिया और जापान जैसे देश अपने जंगी जहाजों के लिए जिस एजिस कॉम्बेट प्रणाली का इस्तेमाल करते हैं, ब्रह्मोस उस पर भारी है। रामायण और महाभारत जैसी पौराणिक कथाओं में ‘ब्रह्मास्त्र’ नामक ऐसे शस्त्र का उल्लेख मिलता है, जो अपने लक्ष्य को भेदकर ही लौटता था और डीआरडीओ द्वारा निर्मित ब्रह्मोस भी अपनी उपरोक्त विशेषताओं के कारण ‘भारतीय सेना का ‘ब्रह्मास्त्र’ ही कहलाता है। अच्युतानंद मिश्रा की गिरफ्तारी के बाद एटीएस ने खुलासा किया था कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई खूबसूरत लड़कियों की फर्जी फेसबुक आईडी बनाकर सुरक्षा बलों के लोगों को मोहब्बत के जाल में फंसाकर जासूसी करा रही है। एटीएस के आईजी असीम अरूण के मुताबिक आईएसआई पहले पाकिस्तान से भारत आने वाले लोगों और उनके रिश्तेदारों को लालच देकर तथा कई बार पाकिस्तान में फंसे भारतीयों के रिश्तेदारों से सैन्य क्षेत्रों के फोटो तथा अन्य जानकारियां प्राप्त करने के लिए जासूसी करवाती थी किन्तु सोशल साइटों के बढ़ते प्रभाव के बाद पिछले कुछ समय से आईएसआई ने जासूसी के लिए नए हथकंडे अपनाने शुरू किए हैं, जिसका खुलासा देश के रक्षा और सैन्य प्रतिष्ठानों से बार-बार पकड़े जा रहे जवानों और अधिकािरयों से पूछताछ के बाद हो रहा है। महिलाओं के नाम की छद्म फेसबुक आईडी के जरिये आईएसआई रक्षा और सैन्य प्रतिष्ठानों के लोगों को भ्रमित कर उन्हें हनीट्रैप में फंसाकर जासूसी करा रही है।

आईजी असीम अरूण के मुताबिक दिल्ली और उत्तर प्रदेश में ही आईएसआई ने करीब 150 ऐसे लोगों को अपने जाल में फंसा रखा है। पिछले कुछ समय में देश के साथ गद्दारी करते पकड़े गए लोगों से पूछताछ के दौरान यह स्पष्ट भी हो चुका है कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ने किस प्रकार हमारे जवानों व अधिकारियों को अपने जाल में फंसाने के लिए फेसबुक पर खूबसूरत औरतों की पूरी फौज तैयार कर रखी है। ये महिलाएं दोस्ती की आड़ में, पैसे का लालच देकर और यहां तक कि यौन संबंध बनाने का लालच देकर भी खुफिया जानकरियां हासिल करती हैं और अगर अपने शिकार की कोई आपत्तिजनक तस्वीर या आॅडियो अथवा वीडियो रिकॉर्डिंग उनके हाथ लग जाए तो उन्हें ब्लैकमेल करके भी सारे खुफिया राज उगलवाती हैं, जिनका इस्तेमाल पाकिस्तान द्वारा हमारे देश के खिलाफ अपनी नई रणनीति बनाने और संवेदनशील ठिकानों को निशाना बनाने के लिए किया जाता है।

फेसबुक और व्हाट्सअप जैसे सोशल मीडिया के साधनों ने पाकिस्तानी जासूसों का काम बेहद आसान कर दिया है क्योंकि इन्हीं के जरिये अब पाकिस्तानी जासूस हसीनाएं आसानी से हमारे जवानों, अधिकारियों और इंजीनियरों को अपना शिकार बनाने में सफल हो रही हैं। अब जिस प्रकार सैन्य अड्डों, सैन्य व रक्षा प्रतिष्ठानों, कारखानों इत्यादि की जासूसी करने वालों का नेटवर्क हमारे ही तंत्र में पैठ बना रहा है, वह हमारी सुरक्षा व खुफिया एजेंसियों के लिए गंभीर चुनौती का विषय बनता जा रहा है। ऐसे में जरूरत इस बात की है कि हनीट्रैप में फंसकर देश के गद्दारी करने वालों को कड़ी सजा के प्रावधान किए जाने के साथ-साथ देश के तमाम सैन्य व रक्षा प्रतिष्ठानों में कार्यरत जवानों, अधिकारियों और इंजीनियरों की हरकतों की कड़ी निगरानी की जाए और हमारी सुरक्षा व खुफिया एजेंसियां विशेष सतर्कता बरतते हुए अपने नेटवर्क को और मजबूत बनाने पर ध्यान दें।

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