प्रदेश में हुआ सबसे बड़ा धान घोटाला: सरकार ने स्वीकारा 42 हजार 589 मीट्रिक टन धान घोटाला
- 1304 मिलों के फिजीकल वैरीफिकेशन में 1207 मिलों में मिली गड़बड़ी
- सबसे ज्यादा गड़बड़ी करनाल की 284 मिलों में मिली
- सरकार का दावा धान के खरीद तंत्र को और अधिक मजबूत करने व पारदर्शिता बढ़ाने के लिए उठाये जायेंगे कदम
चंडीगढ़ (अनिल कक्कड़/सच कहूँ)। प्रदेश की भाजपा-जजपा सरकार ने स्वीकार किया है कि (Paddy scam) प्रदेश में पिछले वर्ष की गई धान की खरीद में 42 हजार 589 मीट्रिक टन का धान घोटाला हुआ है। फाइनल फिजीकल वैरीफिकेशन के बाद प्रदेश सरकार ने जब डाटा जारी किया तो पाया गया कि 1304 मिलों के फिजीकल वैरीफिकेशन में 1207 मिलों में 42 हजार 589 मीट्रिक टन धान गायब मिला। इस जांच में सबसे ज्यादा गड़बड़ी मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के गृह जिले करनाल की 284 मिलों में मिली। इस बाबत जानकारी हरियाणा के खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव पी. के. दास ने मीडिया को दी।
- धान के स्टॉक को कही ओर ले जाने और धान की फर्जी खरीद से बचने के लिए।
- खरीद तंत्र को और अधिक मजबूत करने व पारदर्शिता बढ़ाने के लिए अब से धान को मंडियों से मिल परिसर तक पहुंचाने का कार्य ।
- खाद्य, नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता मामले विभाग व अन्य खरीद एजेंसियों द्वारा किया जाएगा।
- धान की ढुलाई के लिए उपयोग होने वाले ट्रकों को जीपीएस युक्त किया जाएगा ।
- ताकि उनकी आवाजाही पर नजर रखी जा सके।
कैसे होता है धान का घोटाला?
उच्च सूत्रों के अनुसार घोटाले का चक्र ये है कि सरकार मंडियों से धान खरीदती है और मिल मालिकों को स्टोर करने के लिए देती है। लेकिन धान मिलों तक नहीं पहुंचता, इसी बीच में मिल मालिक, आढ़तियों व कुछ भ्रष्ट अधिकारियों की मिलीभगत से इसे बाहर मंडियों में बेच दिया जाता है और इसका पैसा इस्तेमाल कर दिया जाता है।
- वहीं जब सरकार को धान की वापिस चावल के रूप में जरूरत होती है।
- निश्चित समय से कुछ पहले उसे जुगाड़ कर पूरा दिखा दिया जाता है और वापिस लौटा दिया जाता है।
- इसी बीच सरकार के धान से कमाए पैसे को मिल मालिक व अधिकारी उपयोग करते हैं।
सरकार के 90 करोड़ का ब्याज सहित करेंगे वसूल, मिल मालिक होंगे ब्लैक लिस्ट
अतिरिक्त मुख्य सचिव ने बताया कि जिन मिलों के स्टॉक में कमी पाई गई, उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा जाएगा। उन्होंने बताया कि जवाब मिलने के बाद गलत काम करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने बताया कि धान खरीद पर खर्च होने वाले लगभग 90 करोड़ रुपये को ब्याज सहित वसूल किया जाएगा। इसके अलावा, अनियमितता की संवेदनशीलता के आधार पर एफआईआर दर्ज करने और ब्लैकलिस्ट करने जैसे अन्य विकल्प भी अमल में लाए जाएंगे।
करनाल जिले की मिलों ने किया बड़ा घोटाला
उन्होंने बताया कि वैरिफिकेशन के दौरान, 205 मिलों के स्टॉक में 5 टन तक कमी पाई गई। इसी प्रकार, 134 मिलों के स्टॉक में 5-10 टन तक, 248 मिलों में 10 से 25 टन तक, 325 मिलों में 25 से 50 टन तक और 295 मिलों के स्टॉक में 50 टन से अधिक की कमी पाई गई। करनाल जिले में सबसे अधिक 284 मिलों के स्टॉक में कमी पाई गई। उसके बाद कुरुक्षेत्र में 236 मिलों में, अंबाला में 185 मिलों में, फतेहाबाद में 168, यमुनानगर में 150 और कैथल में 115 मिलों के स्टॉक में कमी पाई गई।
विपक्ष ने सरकार को घेरा, मिल मालिकों को नाजायज परेशान करने का आरोप
वहीं धान घोटाले पर विपक्षी दलों ने सरकार पर हमला बोला। विपक्ष ने आरोप लगाया कि धान घोटाला अधिकारियों की मिली भगत से हुआ है। इसमें मिल मालिकों को नाजायज परेशान किया जा रहा है। वहीं प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि सरकार मामले की जांच सीबीआई से करवाए। हुड्डा ने कहा है कि अब तो सरकार की जांच में भी लगभग साफ हो गया है कि घोटाला हुआ है।
- सरकार के मंत्री कोरी बयानबाजी करके कार्रवाई को टाल रहे हैं।
- इससे स्पष्ट है कि सरकार खुद दोषियों को बचाना चाह रही है।
- लेकिन प्रदेश की जनता भ्रष्टाचार के इस खेल को बखूबी समझ रही है।
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