कहते हैं कि एक साफ शरीर में ही साफ मन का वास होता है लेकिन एक साफ शरीर और साफ मन किसी गंदे शहर में नहीं रह सकता। एक सर्वेक्षण के अनुसार देश का सबसे साफ सुथरा शहर मध्य प्रदेश का इंदौर है जबकि 10 लाख से ज्यादा आबादी वाले शहरों में पटना को देश का सबसे गंदा शहर माना गया है। पिछले तीन वर्षों की तरह इंदौर को इस साल भी स्वच्छ सर्वेक्षण में पहला स्थान मिला है यानी इंदौर देश का सबसे साफ सुथरा शहर है। दूसरे नंबर पर गुजरात का सूरत और तीसरे नंबर पर महाराष्ट्र का नवी मुंबई शहर है। हैरानी की बात ये है कि देश की राजधानी दिल्ली के कई इलाके इस रैंकिंग में काफी पीछे हैं। वर्ष 2016 में इंदौर में पूरे 85 वार्ड में हर घर से कचरा उठाया जाने लगा था।
वर्ष 2019 आते-आते इंदौर ने कचरे को जमा करने से लेकर उसके समुचित इस्तेमाल की एक ऐसी व्यवस्था विकसित कर ली है कि कई शहर कचरे के प्रबंधन को यहां से सीख सकते हैं। तकरीबन 275 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले और 27 लाख की आबादी वाले इस शहर से रोजाना 1,150 टन कचरा निकलता है जिसमें से आधा कचरा जैविक होता है। हर तरह के कचरे को दोबारा प्रयोग में लाने के लिए शहर में बीते कुछ वर्षों में कई सफल प्रयोग हुए हैं। स्वच्छ भारत मिशन के सलाहकार असद वारसी के मुताबिक इस वक्त शहर के हर घर से कचरे को जमा किया जाता है। कचरा जमा कर इसे इक्ट्ठा करने के बाद इंदौर नगर निगम का असली काम शुरू होता है। कचरा ठीक से अपने गंतव्य तक पहुंचे, इसके लिए हर गाड़ी में व्हीकल ट्रैकिंग सिस्टम लगा हुआ है। शहर में आठ हजार से अधिक सफाईमित्र भी हैं जो कचरा इक्ट्ठा करने के साथ सड़कों की सफाई भी करते हैं।
इंदौर में आमतौर पर सड़कें साफ और चमकती हुई दिखती हैं। इसकी वजह सफाई के काम में लगी मशीनें हैं जो हर रात करीब 800 किलोमीटर सड़क, डिवाइडर और फुटपाथ की सफाई करती हैं। इंदौर ने सब्जी मंडी में बचने वाले कचरे से बायो-सीएनजी गैस बनाने की प्रक्रिया शुरू की है। यह प्लांट इस तरह के कचरे से इतना सीएनजी बना लेता है कि शहर में 20 सीएनजी बसों को रोजाना र्इंधन दिया जा सकता है। यहां की परमाणु नगर कालोनी में 65 ऐसे घर हैं जो कचरे को ठिकाने लगाने के लिए कई नई पहल कर रहे हैं। कालोनी के भीतर ही कंपोस्टिंग के जरिए गीले कचरे से खाद बनती है। खाद बनाने के काम में शहर के 29 हजार और भी घर लगे हुए हैं।
शहर में सार्वजनिक टायलेट की व्यवस्था बहुत सुन्दर है। सार्वजनिक टायलेट थोड़ी थोड़ी दूरी पर है जो स्वच्छता में मील का पत्थर साबित होते हैं। देश के हर शहर व नगर निगम को इस पूरे प्रोजेक्ट से सबक लेकर अपने शहर को ज्यादा से ज्यादा स्वच्छ बनाना चाहिए। इसके लिए जरुरत है एक दृढ़ संकल्प व राजनेताओं तथा सफाई कर्मचारियों के आपसी तालमेल की। लोगों ने तो इंदौर शहर के सांसद शंकर लालवानी को महानगर पालिका के सफाई कर्मचारियों का हौसला बढ़ाने के लिए पालिका की कचरा गाड़ी को चलाते हुए भी देखा है। बाकी शहरों के जिम्मेदार प्रतिनिधि भी आगे आएं और अपने शहरों को स्वच्छता की दौड़ में आगे लाएं।
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