इन दिनों ऐसा प्रतीत हो रहा है कि जैसे देश में शिक्षा व्यवस्था अनाथ हो गई है। आधा दर्जन से अधिक राज्यों के स्कूल शिक्षा बोर्ड व सीबीएसई की परीक्षाओं के पेपर लगातार लीक हो चुके हैं। परीक्षा रद्द करने व दोबारा करवाने की घोषणा हो रही है। करोड़ों विद्यार्थी जिन्होंने साल भर मेहनत की वह परेशान हैं। बुधवार को सीबीएसई का दसवीं का गणित का पेपर लीक हो गया। इससे पूर्व सीबीएसई का ही 12वीं का अर्थ शास्त्र का पेपर लीक हो गया था। पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड का 12वीं का गणित का पेपर लीक हुआ।
यही हाल हरियाणा का है पिछले कई वर्षों में बिहार में बोर्ड की वार्षिक परीक्षाआें का गलत परिणाम जारी करने के चलते बिहार बदनाम हो गया था लेकिन अब बिहार व अन्य राज्यों में कुछ ज्यादा अंतर नहीं रहा। केंद्र व राज्य सरकारों में बैठे नेता शिक्षा क्षेत्र में हो रही इस बदहाली के लिए जरा भी चिंतित नहीं है शायद शिक्षा क्षेत्र राजनीति नीति जैसा चटपटा नहीं है। विद्यार्थी सीधे तौर पर वोटर नहीं हैं। महज बेबस विद्यार्थी हैं, जिन्होंने अपने हितों की न तो खुद लड़ाई लड़नी है और न ही इनके अभिभावकों का कोई शक्तिशाली संगठन है जो सरकार या शिक्षा विभाग को कटघरे में खड़ा कर सके। सरकार व विपक्ष में उच्च पदों पर बैठे लोग इस गंभीर मुद्दे पर चुप हैं। राजनेता बच्चों को देश का भविष्य तो बताते हैं लेकिन इस भविष्य से हो रहे खिलवाड़ पर चुप्पी साधे बैठे हैं।
शिक्षा प्रणाली का जो बुरा हाल इन सालों में हुआ वह शायद ही पहले कभी हुआ हो। अध्यापक पात्रता परीक्षा से लेकर एसएससी के पेपर लीक भी चर्चा में हैं। राजस्थान हाईकोर्ट ने राजस्थान अध्यापक पात्रता परीक्षा के परिणाम पर रोक लगा दी है। विद्यार्थियों को यह भरोसा नहीं रहा कि परीक्षा एक ही प्रयास से संपूर्ण हो सकेगी। शिक्षा देश व विकास का हिस्सा है। इस मुद्दे पर भी ठोस चर्चा व कार्रवाई होनी चाहिए। आज तकनीक का युग है जिसके प्रयोग से परीक्षा के रहस्य को कायम रखना कठिन नहीं। दो-तीन दशक पूर्व रेलगाड़ियों पर आने वाले पेपर भी सुरक्षित रहते थे, अब सील बंद विशेष वाहनों व तकनीकी पासवर्ड लगे कम्पयूटरों से भी चोरी हो रहे हैं। शिक्षा का स्तर कायम रखना सरकार की जिम्मेदारी है। इसे केवल अधिकारियों पर छोड़ने की बजाय सरकार के उच्च अधिकारी खुद भी रूचि लेकर सुधार करें चूंकि शिक्षा विकास का पैमाना है।