भक्तिमय भजनों से कविराजों ने गाया सच्चे रहबर की महिमा का गुणगान | Budharwali
बुधरवाली (सच कहूँ न्यूज)। Budharwali: रंग रंगीले राजस्थान की धरा रविवार को राम-नाम की खुशबू से महक उठी। अवसर रहा डेरा सच्चा सौदा रूहानी स्थापना माह के पवित्र भंडारे का। इस शुभ अवसर पर एमएसजी डेरा सच्चा सौदा व मानवता भलाई केन्द्र मौजपुर धाम, बुधरवाली में भारी तादाद में साध-संगत ने शिरकत की। इस दौरान डेरा सच्चा सौदा द्वारा चलाए जा रहे 162 मानवता भलाई कार्यों के तहत 76 जरूरतमंद बच्चों को गर्मी के वस्त्र वितरित किए गए। Budharwali
सुबह 11 बजे पवित्र नारा ‘धन-धन सतगुरु तेरा ही आसरा’ के साथ पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां को पवित्र भंडारे की बधाई के साथ नामचर्चा सत्संग का आगाज हुआ। पंडाल में जहां तक नज़र दौड़ रही थी साध-संगत ही दिखाई दे रही थी। पूरा पंडाल खचाखच भरा हुआ था और साध-संगत के आने का सिलसिला निरंतर जारी रहा। कविराजों ने भक्तिमय भजनों के माध्यम से सच्चे रूहानी रहबर एमएसजी की महिमा का गुणगान किया। तत्पश्चात बड़ी-बड़ी स्क्रीनों के माध्यम से पूज्य गुरु जी के पावन वचनों को साध-संगत ने एकाग्रचित होकर श्रवण किया।
इस दौरान पूज्य गुरु जी के पावन दिशा-निर्देशन में डेरा सच्चा सौदा द्वारा रक्तदान के क्षेत्र में किए गए बेमिसाल कार्यों को दर्शाती डॉक्यूमेंट्री दिखाई गई। इसके पश्चात पूज्य गुरु जी द्वारा युवाओं को नशों से दूर रहने के लिए प्रेरित करते सॉन्ग ‘मेरे देश की जवानी’ और ‘आशीर्वाद माँओ का’ चलाए गए, जिन पर साध-संगत ने नाचकर खुशी का इजहार किया। पावन भंडारे की समाप्ति तक साध-संगत के आने का सिलसिला लगातार जारी रहा। पावन भंडारे की समाप्ति पर आई हुई साध-संगत को सेवादारों ने कुछ ही मिनटों में प्रसाद और लंगर भोजन वितरित कर दिया।
विश्वास के लायक सिर्फ राम, अल्लाह, वाहेगुुरु, सतगुरु : पूज्य गुरु जी
सच्चे रूहानी रहबर पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने रिकॉर्डिड वचनों में फरमाया कि इन्सान आज के दौर में हद से इतना ज्यादा गिर गया है कि आप किसी पर यकीन नहीं कर सकते। समय इतना तेजी से बदल रहा है, समय बहुत तेज गति से परिवर्तन की तरफ जा रहा है। परिवर्तन कैसा होगा? क्या होगा? ये तो वो रामजी, ओउम, हरि, परमात्मा जाने। लेकिन हमारे पवित्र वेदों में जो उसकी निशानियां हैं, जो हजारों, लाखों, करोड़ों साल पहले इस धरती पर आए, लिखे गए। Budharwali
तो वो निशानियां सारी वैसे ही होती जा रही हैं, जो पहले भी कई बार हो चुका है। कितनी बार हुआ होगा? ये विज्ञान में कोई समझ नहीं है, लेकिन धर्म महाविज्ञान हैं। हमने अपने पवित्र धर्मों में सभी ग्रन्थों को पढ़ा। पवित्र वेदों में रामायण है, महाभारत है और सभी पवित्र धर्मों के ग्रन्थ और सभी महापुरुषों के वचन हमने पढ़कर देखे और शाह सतनाम, शाह मस्तान जी दाता रहबर ने फिर अनुभव करवाया, महसूस किया। तो आपसे बोला कि वही चीजें महसूस कीं, आपको बताएंगे। Budharwali
आदिकाल से इस तरह से प्रकृति में जब परिवर्तन आते हैं। आज इस धरती पर आ रहे हैं, आज इस त्रिलोकी में आ रहे हैं, सैकड़ों त्रिलोकियां हैं और ये पवित्र सभी जगह आए हैं। उनके (पवित्र ग्रन्थों में बताए) अनुसार आने वाला समय बहुत बुरा है। हम कोई डराना नहीं चाहते। हमारा इरादा आपको डराने का नहीं है। हमारा कहने का मतलब कि जो दिन गुजर गया शुक्र करो और आने वाला दिन बुरा होता जा रहा है। यकीन के लायक, अगर दृढ़ यकीन करना चाहते हो, दृढ़ विश्वास रखना चाहते हो तो एक ही है ओउम, हरि, अल्लाह, परमात्मा, सतगुरु दाता, राम। कहीं आप ये सोचों फलां आदमी ऐसा है, मैं उसके पाँव छुऊंगा या मैं उसका सत्कार करूंगा तो शायद भगवान मिल जाए।
जी नहीं, सत्कार करना हमारा सृष्टि में जरूरी है, हमारी संस्कृति में लिखा हुआ है। हर किसी का सत्कार करो, हर किसी की इज्जत करो। माँ-बाप बच्चे को लड़ते भी हैं, रोकते भी हैं, लेकिन इसका मतलब ये नहीं होता कि माँ-बाप आपके दुश्मन हैं। वो इसलिए रोकते हैं ताकि आपके आने वाले समय में आपके ऊपर कोई बोझ ना आ जाए, क्योंकि उनके जीवन का तज़ुर्बा होता है। चलो माँ-बाप रोकते होंगे, किस तरह से रोकते हैं वो आप लोग जानते हैं। लेकिन संत, पीर-फकीर जब रोकते हैं उसके पीछे आपकी ज़िंदगी का बहुत गूढ़ रहस्य छुपा होता है। तो आज समय का दौर ऐसी करवटें बदल रहा है, हम आपको लिखकर देने को तैयार हैं कि यकीन के लायक अगर कोई है तो वो ओउम, हरि, अल्लाह, सतगुरु, राम है। Budharwali
माना कि कोई भी काम धंधा करते हैं तो यकीन करना पड़ता है। अब किसान भाई दुकानदार के पास जाते हैं और दुकानदार कह देता है कि भाई ये गेहूँ ले जा, फलां बीज ले जा इतने मण या इतने क्विंटल प्रति एकड़ फसल होगी। तो अब बताइए किसान क्या कर सकता है? वो सूंघ कर पता लगा सकता है, जी नहीं। क्या खा कर बता सकता है कि इतनी होगी? जी नहीं। हाँ, उसने उस बीज का अगर पहले प्रयोग किया है तो बता सकता है कि ये बीज मैंने प्रयोग में लाकर देखा, इतने क्विंटल प्रति एकड़ पैदावार होती है। पर अगर नया बीज लेता है तो वो ज्ञानइन्द्रियों या किसी भी तरीके से नहीं बता सकता। तो वो क्या करता है? उस दुकानदार पर विश्वास, यकीन करना पड़ता है और वो यकीन बना होता है आगे से आगे। और जब बीज डालता है, निराई-गुड़ाई, खाद, स्प्रे समय पर करता है तो फसल भी अच्छी होती है। तो यकीन हकीकत में बदल जाता है, वास्तविकता में बदल जाता है, कि हाँ उतना ही उत्पादन होगा।
तो उस बन्दे पर यकीन और ज्यादा बढ़ जाता है। लेकिन रूहानियत, सूफियत कहती है कि जो परमपिता जी (पूजनीय परमपिता शाह सतनाम जी महाराज) वचन किया करते, आज भी करवा रहे हैं ‘‘कि रह मस्त ते होणा होशियार चाहिदा’’ मस्ती अपनी जगह है, लेकिन सचेत रहना अपनी जगह है। जो आदमी आँखें बंद करके किसी पर यकीन कर लेते हैं आज नहीं तो कल धोखा जरूर खा जाते हैं, समय का दौर ऐसा है। इसलिए हे मालिक के प्यारो! दृढ़ यकीन तो सिर्फ एक पर ही रखना चाहिए। बार-बार नहीं कहना चाहेंगे, सो वो आपको बताया, या तो उस ओउम, हरि, अल्लाह, वाहेगुरु, राम पर या फिर उसके किसी सच्चे सतगुरु पीर-फकीर पर जो आपको राम से जोड़ता हो और आपसे कोई खुद का स्वार्थ न रखता हो।
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