फल व सब्जियों के लिए प्राकृतिक बीजों का किया इस्तेमाल
- परमा कल्चर से पुराने जंगल में पाए जाने वाले नीम, जामुन, कीकर, सहजन व आम के लगाए पेड़
- प्रकृति प्रेमी प्रशांत चौधरी को बनाया स्वच्छता ब्रांड एम्बेसडर, उप निगमायुक्त ने सौंपा नियुक्ति पत्र
सच कहूँ/विजय शर्मा
करनाल। करनाल के सेक्टर-13 निवासी, एमबीए पास प्रशांत चौधरी जैविक खेती से जुडकर नए आयाम स्थापित करने में लगे हैं। शहर से सटे रांवर में मौजूद अपनी 17 एकड़ पुस्तैनी भूमि पर (organic farming of fruits and vegetables) फलों व सब्जियों के उत्पादन में प्राकृतिक चीजों का ही इस्तेमाल कर रहे हैं। यही नहीं परमा कल्चर का अनुसरण करके, आम, जामुन, नीम, सहजन जैसे प्राकृतिक पेड़ों का जंगल विकसित करने का उनका सपना भी साकार हो रहा है। शनिवार को नगर निगम के डीएमसी अरूण भार्गव के साथ एक टीम ने प्रशांत चौधरी की जैव विविधता पर आधारित खेती का निरीक्षण किया।
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बचपन से ही जहन में था प्राकृतिक खेती का सपना
नगर निगम की विजिट में प्रशांत चौधरी ने डीएमसी को बताया कि प्राकृतिक खेती करने का सपना उनके जहन में बचपन से ही था। किसानो द्वारा खेतो में सब्जियां व अनाज के हाईब्रिड बीजों का इस्तेमाल, कीट व खरपतवार नाशक दवाईयों का अंधाधुंध प्रयोग देखकर उन्हें बहुत दुख होता था, जिससे विचार आते थे कि हम क्या खा रहे हैं और इससे हमारे पर्यावरण को क्या नुकसान हो रहा है। बस इसी विचार से उन्होंने अपनी जमीन में प्राकृतिक खेती को अपनाने की ओर पहले पायदान पर कदम बढ़ाया। इसके लिए भिन्न-भिन्न प्रदेशों में जाकर सब्जियों व फलों के पुराने बीजों को एकत्र किया और उनका अपने खेत में प्रयोग किया। पौधों को खुराक देने के लिए रासायनिक की बजाए जैविक खाद का प्रयोग किया।
धरती माँ की सेवा करके प्राकृतिक खेती से रोल मॉडल बनने का है सपना
प्रशांत चौधरी ने बताया कि धरती माँ हमें फल, फूल, अनाज और इस पर खड़े पेड़ छांव तथा ईमारती लकड़ी प्रदान करते हैं। पेड़ों से हमारी धरती का सौंदर्यबौध होता है, लेकिन पिछले कई दशकों से जिस तरह किसानों ने धरती में रसायनिक खाद व कीटनाशकों का अंधाधुंध प्रयोग कर इसे जहरयुक्त कर दिया है, वे आगामी पीढ़ी के लिए एक खतरे की घण्टी है। आज रासायनिक विधि से पैदा किए गए खाद्यान, फल और सब्जी खाकर लोग अपना पेट तो भर रहे हैं, लेकिन उनमें स्वास्थ्य को सही रखने का कोई तत्व विद्यमान नहीं है।
- किसान दिनो-दिन कॉमर्शियल होता जा रहा है
- उसे अपने व्यवसाय की चिंता तो है
- लेकिन मानव के स्वास्थ्य से क्या खिलवाड़ हो रहा है, उसको लेकर कोई चिंता नहीं।
- धरती जिसे हम अपनी माँ कहते हैं, इसमें इस तरह की चीजों का प्रयोग सिद्धांतों से परे है।
- चौधरी ने बताया कि बस इसी विचार को लेकर उन्होंने ऐसे सिद्धांतों से समझौता नहीं किया, जो प्रकृत्ति के विरूद्ध हैं।
दूसरे किसानों को भी करना चाहिए अनुसरण
विजिट के दौरान उप निगमायुक्त अरूण भार्गव ने जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए प्रशांत चौधरी के प्रयासों की सराहना की और कहा कि दूसरे किसानो को भी इनका अनुसरण करना चाहिए। उन्होंने कहा कि खाद्यानो में कीटनाशक दवाओं के तत्व पाए जाने से हमारे निर्यात पर विपरित प्रभाव पड़ता है। खेती में जहरीली दवाओं के प्रयोग से पैदा की गई चीजों के सेवन से आज के मनुष्य में कैंसर, बीपी, शुगर और लिवर की खराबी जैसे दोष पैदा हो रहे हैं। इसे देखते अब सरकार भी आग्रेनिक खेती को बढ़ावा देने पर जोर दे रही है, ताकि हम अगली पीढ़ी को अच्छा वातावरण और स्वास्थ्यवर्धक चीजें दे सकें।
प्रकृति प्रेमी प्रशांत चौधरी को बनाया स्वच्छता ब्रांड एम्बेसडर
उप निगमायुक्त ने बताया कि किसान प्रशांत चौधरी जिस तरह से आॅग्रेनिक खेती को बढ़ावा दे रहे हैं, उसे देखते नगर निगम की ओर से उन्हें स्वच्छता ब्रांड एम्बेसडर बनाया गया है। वे जैविक खेती के साथ-साथ नागरिकों को स्वच्छता बनाए रखने के लिए भी प्रेरित करेंगे और आगामी स्वच्छ सर्वेक्षण में अपना भरपूर सहयोग देंगे। उन्होंने मौके पर ही प्रशांत चौधरी को ब्रांड एम्बेसडर बनाए जाने का नियुक्ति पत्र दिया।
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