विधानसभा बजट सत्र का आखिरी दिन: नशों के बढ़ते प्रकोप पर विपक्ष ने सरकार को घेरा (Assembly Budget Session)
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दो सालों में 23 हजार 170 किलोग्राम नशीले पदार्थ बरामद
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5264 मामले दर्ज, 6973 व्यक्ति गिरफ्तार
चंडीगढ़ (अनिल कक्कड़/सच कहूँ)। देसां मा देस हरियाणा, जित दूध दही का खाना। यह कहावत हरियाणा प्रदेश के लिए कुछेक साल पहले बड़े गर्व के साथ बोली जाती थी। लेकिन आधुनिकता, भौतिकतावाद के दौर और सरकारों के निकम्मेपन एवं राजनीति की कथित मिलीभगत के कारण आज हरियाणा नशों का बाजार बन गया है। हरियाणा विधानसभा में जारी बजट सत्र के आखिरी दिन विपक्षी दलों के विधायकों द्वारा सदन में ध्यानाकर्षण प्रस्ताव द्वारा उठाए गए नशों के मुद्दों पर जवाब देते हुए डराने वाले आंकड़े सामने आए। (Assembly Budget Session) जिनमें पिछले दो साल में कुल मिलाकर 23 हजार 170 किलोग्राम नशों की बरामदगी हुई है और 6 हजार 973 व्यक्तियों की गिरफ्तारी इन मामलों में की गई है।
- सदन में इस सवाल के जवाब में सत्ता और विपक्ष ने इसका हल खोजने से ज्यादा एक दूसरे पर तोहमतें लगाने में समय बर्बाद किया।
- विपक्षी विधायकों द्वारा लाए गए ध्यानाकर्षण प्रस्ताव में प्रदेश में फैल रहे नशे के कारोबार पर चिंता व्यक्त करते हुए सरकार से इस ओर उठाए जा रहे कदमों पर सवाल किया गया।
- जिसके जवाब में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री ओम प्रकाश यादव ने जवाब दिया कि नशीली दवाओं का दुरुपयोग एक जटिल मानसिक-सामाजिक और चिकित्सीय समस्या है।
- मादक पदार्थां की तस्करी अवैध मुनाफे से प्रेरित है और नैतिक और मानवीय विचारों से परे है।
तीन तरफा रणनीति के तहत काम कर रही सरकार
मंत्री यादव ने सदन में बताया कि सरकार तीन तरफा रणनीति से नशों के कारोबार पर नकेल कसने की कवायद में लगी है। पहला दवाओं, मादक पदार्थांे की आपूर्ति का विनियमन और अवैध दवाओं/पदार्थांे की आपूर्ति में कमी। दूसरा नशेड़ियों/आश्रित उपयोगकर्ताओं के पुनर्वास सहित उनका प्रबंधन एवं उपचार व विभिन्न हस्तक्षेपों के माध्यम से समाज में मांग में कमी।
दो सालों में 32 किलो हेरोइन व 218 किलो अफीम बरामद
सरकार द्वारा मुहैया करवाए गए आंकड़ों के अनुसार पिछले दो सालों में कुल 23 हजार 170 किलोग्राम नशे बरामद किए गए हैं। जिनमें हेरोइन, अफीम, चरस एवं पोस्त इत्यादि है।
विज ने कांग्रेसियों पर लगाए नशा व्यापारियों का साथ देने के आरोप
सदन में जब नशों के मामलों पर चर्चा हो रही थी तो प्रदेश के गृह मंत्री अनिल विज ने कांग्रेसियों पर गत दिनों हुए चंडीगढ़ में एक कांग्रेसी विधायक के भतीजे से नशीले पदार्थ बरामद होने के मामले का जिक्र कर आरोप लगाया कि कांग्रेसी नशा तस्करों को पनाह देते हैं। वहीं विपक्षी नेताओं ने भी भाजपा नेताओं का नाम लेकर भाजपा द्वारा नशा तस्करों का साथ देने का आरोप लगाया। इस दौरान काफी देर सत्ता और विपक्ष की बहस चलती रही।
उड़ता पंजाब से अब उड़ता हरियाणा
विपक्षी विधायकों ने आरोप लगाया कि सरकार की निष्फल योजनाओं के चलते आज उड़ता पंजाब से उड़ता हरियाणा की नौबत आ गई है। विधायकों ने कहा कि सरसा और फतेहाबाद जैसे इलाके बेहद संवेदनशील हैं और यहां नशा तस्करों को खुली छूट मिली हुई है नशा बेचने के लिए। विधायकों ने आंकड़ा देते हुए बताया कि इन जिलों में 2014 में नशों से प्रभावित लोगों की अधिकारिक संख्या 1405 थी जो 2018 में बढ़ कर 18451 हो गई। वहीं पिछले दो सालों में यह आंकड़ा 31 हजार 148 तक पहुंच गया है।
74.6 फीसदी स्कूली बच्चे नशों की चपेट में
विधायकों ने हैरानीजनक आंकड़ा सदन में पेश करते हुए बताया कि 2016 में 27.8 फीसदी स्कूली बच्चे नशों की चपेट में थे। जबकि 2017 में 37.9 फीसदी, 2018 में 53 फीसदी और अब 2020 आते आते यह आंकड़ा 74.6 फीसदी पहुंच गया है।
यदि सरकार की नियत नशा बंद करने की ही होती तो सुबह तीन बजे तक लोगों को शराब पिलाने के लिए लाइसेंस न बांटती। एनसीआर और प्रदेश के हर बड़े शहर में हुक्का बार धड़ल्ले से चलाए जा रहे हैं और बच्चों में नशा बांटने का काम कर रहे हैं।
-किरण चौधरी, कांग्रेसी विधायक
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