विपक्षी दलों का नये संसद भवन के उद्घाटन समारोह के बहिष्कार का निर्णय
नई दिल्ली (सच कहूँ न्यूज)। New Parliament Inauguration: विपक्ष के 19 दलों ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार में संसदीय लोकतंत्र पर कुठाराघात हुआ है और नये (New Parliament Building) भवन के निर्माण में विपक्षी दलों के साथ कोई सलाह मशविरा तक नहीं किया गया इसलिए समान विचारधारा वाले दलों ने नये संसद भवन के उद्घाटन समारोह का सामूहिक रूप से बहिष्कार करने का निर्णय लिया है।
समान विचारधारा वाले विपक्षी दलों ने बुधवार को यहां संयुक्त वक्तव्य में कहा, ‘नये संसद भवन का उद्घाटन एक महत्वपूर्ण अवसर है। (New Parliament Building) विपक्ष मानता है कि मोदी सरकार लोकतंत्र के लिए खतरनाक स्थिति पैदा कर रही है। इस सरकार ने निरंकुश तरीके से नये संसद का निर्माण किया है इसके बावजूद विपक्ष उद्घाटन समारोह के अवसर पर मतभेदों को भुलाने को तैयार था। सरकार ने नये संसद भवन के उद्घाटन के अवसर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को पूरी तरह से दरकिनार कर नये भवन का उद्घाटन मोदी से कराने का निर्णय लिया है और यह हमारी लोकतांत्रिक परंपरा पर सीधा हमला है।
नया संसद भवन महामारी के दौर में बड़ा खर्च कर बनाया गया: विपक्षी दल | (New Parliament Building)
विपक्षी दलों ने कहा, ‘नया संसद भवन महामारी के दौर में बड़ा खर्च कर बनाया गया है। इसमें भारत के लोगों या सांसदों से कोई परामर्श नहीं लिया गया है। जब लोकतंत्र की आत्मा को संसद से निष्कासित कर दिया गया है, तो हमें नयी इमारत में कोई मूल्य नहीं दिखता इसलिए हम नए संसद भवन के उद्घाटन का बहिष्कार करने के अपने सामूहिक निर्णय की घोषणा करते हैं। हम इस निरंकुश प्रधानमंत्री और उनकी सरकार के खिलाफ शब्दों और भावनाओं में लड़ना जारी रखेंगे और अपना संदेश सीधे लोगों तक ले जाएंगे। बयान में लिखा है कि संविधान के अनुच्छेद 79 के अनुसार संघ के लिए एक संसद होगी जिसमें राष्ट्रपति और दो सदन होंगे जिन्हें क्रमश: राज्यों की परिषद और लोगों की सभा के रूप में जाना जाएगा।
विपक्षी दलों ने कहा, ‘राष्ट्रपति न केवल भारत में राज्य का प्रमुख होता है बल्कि संसद का एक अभिन्न अंग भी होता है। वह संसद को बुलाती हैं, सत्रावसान करती हैं और संबोधित करती हैं। संक्षेप में राष्ट्रपति के बिना संसद कार्य नहीं कर सकती है। फिर भी प्रधानमंत्री ने उनके बिना नये संसद भवन का उद्घाटन करने का निर्णय लिया है। यह अशोभनीय कृत्य राष्ट्रपति के उच्च पद का अपमान करता है और संविधान के पाठ और भावना का उल्लंघन करता है। यह सम्मान के साथ सबको साथ लेकर चलने की उस भावना को कमजोर करता है जिसके तहत देश ने अपनी पहली महिला आदिवासी राष्ट्रपति का स्वागत किया था।
विपक्ष का पीएम पर हमला | New Parliament Building
प्रधानमंत्री पर सीधा हमला करते हुए बयान में कहा गया है कि संसद को लगातार खोखला करने वाले प्रधानमंत्री के लिए अलोकतांत्रिक कृत्य नयी बात नहीं है। संसद में विपक्षी सदस्यों ने लोगों के मुद्दों को उठाया तो उनको अयोग्य, निलंबित और मौन कर दिया गया है। सत्ता पक्ष के सांसदों ने संसद को बाधित किया है। तीन कृषि कानूनों सहित कई विवादास्पद विधेयकों को लगभग बिना बहस के पारित कर दिये और संसदीय समितियों को व्यावहारिक रूप से निष्क्रिय कर दिया गया है।
विपक्ष के जिन दलों ने यह संयुक्त बयान जारी किया है उनमें कांग्रेस के अलावा तृणमूल कांग्रेस,द्राविड मुन्नेत्र कषगम, जनता दल-यू, आम आदमी पार्टी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, शिवसेना-उद्धव बालासाहेब ठाकरे, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, झारखंड मुक्ति मोर्चा, नेशनल कांफ्रेंस, केरल कांग्रेस-मणि,रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी, विदुथलाई चिरुथिगल कच्ची मारुमलार्ची द्राविड मुन्नेत्र कषगम और राष्ट्रीय लोकदल शामिल है।
मुर्मू से संसद भवन का उद्घाटन न कराना सर्वोच्च संवैधानिक पद का अपमान: राहुल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसद के नवनिर्मित भवन के उद्घाटन कार्यक्रम को लेकर तेज हुई राजनीति के बीच कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा है कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से नये भवन का लोकार्पण नहीं कराना देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद का अपमान है। गांधी ने ट्वीट किया “राष्ट्रपति से संसद का उद्घाटन न करवाना और न ही उन्हें समारोह में बुलाना – यह देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद का अपमान है।संसद अहंकार की ईंटों से नहीं, संवैधानिक मूल्यों से बनती है।”
कांग्रेस संचार विभाग के प्रभारी जयराम रमेश ने कहा, “संसद में ‘लोकतंत्र’ की शहनाई बजनी चाहिए, लेकिन जब से स्वघोषित विश्वगुरु पधारे हैं ‘एकतंत्र’ की तोप चलाई जा रही है। इमारत नहीं, नीयत बदलो।” पार्टी के राष्ट्रीय सचिव तथा संचार विभाग की आंतरिक प्रभारी विनीत पुनिया ने कहा, “नये संसद भवन के उद्घाटन के लिए राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति को न बुलाना सिर्फ़ उनका ही नहीं, देश के संविधान व हर नागरिक का अपमान है। आत्ममुग्धता की ऐसी पराकाष्ठा एक गलत परंपरा की शुरूआत है….क्या इसका एहसास कराने का साहस किसी भी मंत्री के पास नहीं है।” इससे पहले विपक्ष के 19 दलों ने संसद भवन के निर्माण में विपक्ष तथा जनता की राय नहीं लेने और राष्ट्रपति को लोकार्पण समारोह से दूर रखने को लोकतंत्र का अपमान बताते हुए उद्घाटन समारोह के बहिष्कार की सामूहिक घोषणा की।