अफीम घातक नशा इसकी खेती की वकालत गलत

Opium

वो नेता व सरकारें मूर्ख थीं, क्या जिन्होंने अफीम की खेती या परमिट को बंद किया। कृषि बिलों का मसला हल होते ही पंजाब में नेता एक बार फिर नशों की रोकथाम का हल ढूंढने व उसे लागू करने की बात करने लगे हैं। कांग्रेस अपने शासन काल में नशों पर पूर्णत काबू नहीं पा सकी है लेकिन पंजाब प्रदेश कांग्रेस के प्रधान की पत्नी डॉ. नवजोत कौर सिद्धू ने पंजाब में अफीम की खेती हो इसका प्रचार व मांग शुरू कर दी है। अपनी मांग के समर्थन में श्रीमती सिद्धू डॉक्टरी रिपोटर्स व सलाह का भी हवाला दे रही हैं वो बात अलग है कि पंजाब की मांग नशों का पूरा अंत करने की है। अफीम एक घातक नशा है। अफीम की खेती की मांग करना पंजाब को पुन: दो सौ साल पीछे धकेल देने जैसा है।

पंजाब के लोगों को नेताओं की बातों में नहीं आना चाहिए। चिट्टा, स्मैक, हेरोइन ये सब अफीम से ही तैयार होते हैं, अगर पंजाब में अफीम की खेती शुरू कर दी गई तब तस्करों को घातक नशे तैयार करने का कच्चा माल पंजाब के खेतों से ही मिलने लगेगा जोकि अब अफगानिस्तान से वाया पाकिस्तान आता है। अफीम ही वो बला है जिसके कारण पहले पंजाबी व पूरा देश ईरानियों, दुर्रानियों, पठानों, तुर्कों-अफगानों के हाथों लुटा पिटा, पंजाब सहित पूरे देश की आबरू बिखर गई। नेताओं की याददस्त कमजोर होती है लेकिन जनता को नहीं भूलना चाहिए कि अफीम पुराने वक्त में देश में फैला हुआ सबसे बुरा नशा था। राजमहलों से लेकर, जगीरदारों, सरदारों, चौधरियों, किसानों, व्यापारियों सबको अफीम की लत थी, जबकि ईरानी, पठान, अफगान, तुर्क अफीम नहीं खाते थे।

भारत को अफीम की खुमारी चढ़ी हुई थी जिसके चलते भारत लुटा-पिटा। इतना ही नहीं भारत में मुगलों को भी अफीम ने ही उखाड़ा और अंग्रेज काबिज हो गए। अंग्रेजों ने देश में अफीम को नहीं रोका क्योंकि उन्हें पता था कि इससे ही भारतीय काम करते हैं, अफीम के नशे में खोए रहते हैं बल्कि अंग्रेजों को अफीम में टुन्न भारतीय ज्यादा काम करके ज्यादा फसलें, ज्यादा माल का उत्पादन करके देते हैं। इसके अलावा आज के भारत में हॉस्पिटल या चिकित्सा उपकरणों ने उतनी लड़कियां कोख में नहीं मारी जितनी कि भारतीयों द्वारा अफीम चटा-चटाकर मारी जा चुकी है। डॉ. नवजोत कौर सिद्धू अफीम की खेती की वकालत कर रही हैं उससे आमजन का कोई भला नहीं होने वाला बल्कि बड़े नेता व व्यापारी ही अफीम की खेती के परमिट हासिल करेंगे और पंजाब को नशा दे देकर अपना काम करवाएंगे।

मेरा जन्म राजस्थान का है और मैंने देखा है कि किस तरह राजस्थान में पोस्त की एक पुड़िया के लिए लोगों से दिन-रात खेतों में निराई-गुड़ाई, घरों व फैक्ट्रियों में साफ-सफाई, कबाड़ की वर्कशापस् में तोड़फोड़, ट्रांसपोर्ट के क्षेत्र में ढुलाई लदाई का काम करवाया जाता था जोकि अब राजस्थान में पोस्त बिक्री बंद कर देने पर बहुत हद तक खत्म हो गया है। पंजाब के नेता कभी आमजन को दाल व आटा देते हैं, कभी मुफ्त बिजली, कभी मुफ्त यात्रा ताकि लोगों को काम की आदत ना रहे और अभी अफीम देने के सपने दिखाए जा रहे हैं जिससे नशा करने वाले सोच-सोच खुश होते हैं कि उन्हें अफीम मिलेगी, बेचने वाले खेती करने की सोच-सोच खुश हो रहे हैं लेकिन नुकसान पंजाब का होगा। अफीम की खेती तो दूर की बात है, उल्टा शराब व बाहरी नशों चिट्टा, स्मैक, हेराईन पर पूरा प्रतिबंध होना चाहिए।

नशा किसी का भला नहीं कर सकता। डॉ. नवजोत कौर उदाहरण दे रही हैं कि डॉक्टर्स भी दर्द में ये देते हैं, डॉक्टर तो ईलाज के लिए बहुत कुछ देते हैं क्या लोग वह सब खाना शुरू कर दें। 1950 में हेराईन को भी खांसी की दवा के तौर पर ईजाद किया गया था लेकिन आज चिकित्सा विज्ञानी उसे बंद करवा चुके हैं। नशा छुड़ाने के नए ईलाज खोजे जाना वक्त की जरूरत है न कि नशा छूट नहीं रहा सो खेती शुरू कर दी जाए क्यों? सरकार की इच्छा शक्ति से सब कुछ संभव है पाब्लो एस्कोबार बागोटा में ड्रग के कारोबार से सरकारें खरीदने चला था और कुत्ते की मौत मारा गया। पंजाब में सरकारों ने तय करना है कि वह बिकना चाहेंगी या तस्करों को कुत्ते की मौत देंगी।

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