परिचर्चा: एक मूल्यपरक समाज व उन्नतिशील राष्ट्र के निर्माण में शिक्षकों की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका
कुरुक्षेत्र(सच कहूँ, देवीलाल बारना)। भारत के पूर्व राष्ट्रपति और महान चिंतक-शिक्षाविद डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। राधाकृष्णन का मानना था कि एक मूल्यपरक समाज और उन्नतिशील राष्ट्र के निर्माण में शिक्षकों की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका है। एक शिक्षक की दी हुई शिक्षा से ही बच्चे किसी देश के भविष्य बनते है। इसलिए एक अच्छा शिक्षक वही होता है जो विद्यार्थियों में नैतिक गुण विकसित करे तथा विवेक पैदा करे और यह वही शिक्षक कर सकता है जो शिक्षा के प्रति समर्पित हो और शिक्षा को नौकरी नही बल्कि अपने जीवन का ध्येय समझे। शिक्षक दिवस पर शिक्षकों ने अपने विचार सच कहूँ के साथ सांझा किए जो इस प्रकार से हैं।
सबसे महत्वपूर्ण होता है शिक्षक व विद्यार्थी का रिश्ता: चौधरी
शिक्षिका सुमन चौधरी ने कहा कि जीवन पथ पर चलते हुए मनुष्य के कई संबंध बनते है लेकिन उनमें सबसे महत्वपूर्ण रिश्ता शिक्षक और विद्यार्थी का होता है। मनुष्य का मुख्य उद्देश्य अपने जीवन में सम्पूर्ण हो जाना होता है और उसे शिक्षक की शिक्षा ही सम्पूर्ण करती है। शिक्षक अपने शिष्य को ज्ञान की सम्पूर्ण शिक्षा देकर सही मार्ग दिखाता है और सत्य से उसका साक्षात्कार करवाता है।
विद्यार्थियों का करें सही मार्ग दर्शन : सागर
टेरी संस्थान के निदेशक डा. सागर गुलाटी ने कहा कि एक सच्चे शिक्षक की पहचान होती है कि वह हमेशा अपने विद्यार्थियों का सही मार्ग दर्शन करता है। जैसा श्री रामकृष्ण परमहंस ने स्वामी विवेकानंद और गुरु द्रोणाचार्य ने अर्जुन को कराया था। शिक्षक के रूप में प्राचीन काल में यह स्थान गुरू को प्राप्त होता था जो गुरूकुल में अपने शिष्यों को उच्चशिक्षा देकर उनके जीवन का उद्धार करते थे। शिक्षक असीम योग्यताओं का भंडार होते है लेकिन वे तभी संतुष्ट होते है जब उनके विद्यार्थी भी उनके द्वारा दी गई शिक्षा को पूरी गंभीरता से ग्रहण करने की योग्यता रखते हो।
शिक्षक ही होते है हमारे दोस्त : रेनू
छात्रा रेनू चौधरी ने कहा कि शिक्षक ही हमारे गुरू होते है और शिक्षक ही हमारे दोस्त होते है। हमे अपने शिक्षकों का सम्मान करना चाहिए। हमे अपने शिक्षक के प्रति हमेशा मन में सच्ची इज्जत व मान-सम्मान की भावना रखनी चाहिए। किसी भी तरह के दिखावे से दूर रहे और जब भी पढ़ाई करे दिल लगा कर करे।
सम्मान करना चाहिए शिक्षक का : आशा चौहान
शिक्षिका आशा चौहान ने कहा कि आज के नये दौर में विद्यार्थी संस्कृति व संस्कारों दोनों को भूलते जा रहे है। शिक्षक का फर्ज बनता है कि विद्यार्थियों में संस्कारों का प्रवाह करे वहीं एक विद्यार्थी का फर्ज बनता है कि अपने शिक्षक का सम्मान करे। विद्यार्थी अपने मन में यह भावना न लाएं कि आपको यह सब मजबूरी में करना पड़ रहा है।
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