मालिक को देखने के लिए ध्यान एकाग्र करना होगा
सरसा। पूज्य हजूर पिता संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां फरमाते हैं कि अल्लाह, वाहेगुरु, गॉड, खुदा, रब्ब कण-कण, जर्रे-जर्रे में मौजूद है। इन्सान हर समय दुनियादारी में मशगुल, मस्त रहता है, जिस कारण इन्सान को मालिक अंदर होते हुए भी दूर लगता है।
मालिक इन्सान की आंखों के सबसे नजदीक है और इन्सान उसे सबसे दूर किए बैठा है, लेकिन मालिक को देखने के लिए ध्यान एकाग्र करना होगा और एकाग्र होने के लिए, ध्यान जमाने के लिए सुमिरन, भक्ति-इबादत करना जरूरी है।
भक्ति किए बिना मालिक नजर नहीं आता। सबसे पहले यह जरूरी है कि इन्सान मालिक को अपने अंदर देखे और जैसे ही मालिक अंदर से महसूस होगा, तो वो कण-कण, जर्रे-जर्रे में नजर आने लगेगा।
इसलिए अगर आप उस परमपिता परमात्मा को पाना चाहते हो और उसे कण-कण में देखना चाहते हो तो आपको सेवा-सुमिरन में ध्यान जरूर लगाना होगा।
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